Saturday, June 11, 2011

सरदार पटेल ने पूरा नहीं होने दिया पं. नेहरू का ख्वाब


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सरदार पटेल ने पूरा नहीं होने दिया पं. नेहरू का ख्वाब

Jun 11, 09:11 am


अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा]। अयोध्या के विवादित ढांचे से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू भी कहीं न कहीं जुड़े थे। वह पांचवे दशक में सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर सरकारी खजाने से विवादित ढांचे का पुनर्निर्माण कराना चाहते थे, लेकिन लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने उनकी इच्छा को परवान नहीं चढ़ने दिया। सरदार पटेल ने इसके लिए सरकारी खजाने से एक रुपया भी देने से साफ इंकार कर दिया।

पटेल की दलील थी कि सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार जनभागीदारी से हुआ है। ऐसे में विवादित ढांचे का पुनर्निर्माण सरकारी खजाने से कराने का प्रश्न ही नहीं उठता।

यह खुलासा सरदार पटेल की बेटी मणीबेन की डायरी के अंशों से हुआ है। सरदार पटेल मेमोरियल ट्रस्ट अहमदाबाद मणीबेन की इस डायरी के पुर्नप्रकाशन की तैयारी कर रहा है। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि इस ट्रस्ट के अध्यक्ष दिनशा पटेल वर्तमान में मनमोहन सरकार के काबीना मंत्री हैं। डायरी के जल्द बाजार में आने की संभावना है। इसके बाजार में आने पर कांग्रेस की मुसीबत बढ़ सकती है।

मणीबेन की डायरी के अंशों में साफ कहा गया है कि कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता पं. नेहरू के जमाने से चली आ रही है। कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति पुरानी है, क्योंकि उसने हमेशा मुसलमानों को वोट बैंक के नजरिये से आंका।

डायरी के अंशों में आजादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी, पं. नेहरू, सुभाष चन्द्र बोस और सरदार पटेल में तमाम मुद्दों पर गंभीर मतभेदों की बात भी शिद्दत से स्वीकारी गई है, लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि सरदार पटेल चूंकि महात्मा गांधी का काफी सम्मान करते थे। इसलिए वह उनके निर्देशों का पालन किया करते थे।

डायरी में कश्मीर, हैदराबाद रियासत के एकीकरण के मुद्दे पर नेहरु व सरदार में मतभेद की बात भी कबूली गई है। इसमें कहा गया है कि कश्मीर को लेकर नेहरु के राजनीतिक प्रयासों को सरदार ने बचपना तक कह दिया था।

उड़ीसा में आईजीपी की नियुक्ति पर 21 सितंबर 1950 की एक घटना का उल्लेख करते हुए मणीबेन ने डायरी में उल्लेख किया है कि प.नेहरू तथा मौलाना आजाद इस स्तर पर भी राष्ट्रवादी विचारधारा के बजाए हिंदू-मुस्लिम के रूप में सोचते थे। डायरी में इसे विकृत धर्मनिरपेक्षता बताते हुए सरदार के लिए बाधक बताया गया है।

सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे तथा योग गुरु बाबा रामदेव भले आज भ्रष्टाचार तथा लोकपाल बिल की लड़ाई लड़ रहे हों ,लेकिन जुलाई 1950 को खुद सरदार पटेल ने रफी अहमद किदवई तथा फिरोज गाधी पर रिश्वत लेकर लाईसेंस बेचने के सबूत देने के बावजूद नेहरू चुप रहे। अगस्त 1950 में किदवई ने यहा तक कह दिया था कि उनके खिलाफ कार्रवाई हुई तो वे नेहरु को ब्लैकमेल करेगे।

मणिबेन ने मुसलमानों को भारत माता काऐसा छोटा बेटा बताया है जिसे जानबूझकर इस दलदल में धकेला गया है।

ट्रस्ट के संयुक्त सचिव प्रभाकर खमार बताते है कि इनसाइड स्टोरी ऑफ सरदार पटेल-द डायरी ऑफ मणीबेन पटेल 1934-1950 में देश की राजनीति के उन स्याह पन्नों पर प्रकाश डाला गया है जो अभी तक अछूते थे। डायरी में सरदार की प्रतिभा को समस्याओं से संघर्षरत् यौद्धा के रूप में उभारा गया है।

Tuesday, June 7, 2011

काले धन पर और समिति की जरूरत नहीं... रामलीला मैदान में घायल राजबाला की हालत गंभीर



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काले धन पर और समिति की जरूरत नहीं
Jun 07, 08:32 pm

नई दिल्ली। काले धन के खिलाफ कार्रवाई के लिए बन रही समिति और अध्ययन के बहाने भ्रष्ट राजनेताओं, बिजनेसमैनों और नौकरशाहों को अपने अवैध धन को मुखौटा कंपनियों में लगाने का मौका मिल जाएगा। यह कहना जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स स्टडीज एंड प्लानिंग के प्रमुख प्रोफेसर अरुण कुमार का।

उन्होंने कहा कि अध्ययन, समितियां या नई विशेष जांच शाखा का गठन और विदेशी सरकारों के साथ संधियां कार्रवाई को लटकाने के लिए हैं। 'द ब्लैकमनी इन इंडिया' किताब के लेखक कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा काले धन पर अध्ययन शुरू करने या समितियां बनाने से भ्रष्टचार में लिप्त उच्चपदस्थ अधिकारियों और राजनेताओं को अपना पैसा विदेशों में कंपनियों में लगाने का मौका मिल जाएगा।

उन्होंने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने अपने अवैध धन का निवेश अफ्रीकी खनन उद्योग में किया।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पालिसी की प्रोफेसर इला पटनायक का भी कमोबेश यही मानना है। उन्होंने कहा कि कर से जुड़े अपराधों पर नियंत्रण के लिए आपराधिक जांच निदेशालय [डीसीआइ] जैसी एजेंसी की जरूरत नहीं है। उल्लेखनीय है कि काले धन को लेकर बढ़ते दबाव के बीच सरकार ने हाल ही में डीसीआइ का गठन किया था।

कुमार ने कहा कि सरकार संदिग्ध लोगों की टेलीफोन बातचीत के टेप के आधार पर जांच एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर कार्रवाई कर सकती है।

काली अर्थव्यवस्था का हिस्सा 1971 में वांचो समिति के आकलन, सात प्रतिशत से बढ़कर हालिया ग्लोबल इंटेग्रिटी रिपोर्ट की मुताबिक 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है। कुमार ने कहा, 60 के दशक में दर्जनों समितियों ने काले धन के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन किया और हजारों सलाह दी। जिसमें सैकड़ों सलाहों का उपयोग भी किया गया। इसके बावजूद काली अर्थव्यवस्था का आकार काफी हद तक बढ़ा हो गया।


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रामलीला मैदान में घायल राजबाला की हालत गंभीर
Jun 07, 05:59 pm

नई दिल्ली। रामलीला मैदान पर शनिवार की आधी रात में बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर पुलिसिया कार्रवाई में घायल हुए 71 लोगों में से 51 वर्षीय राजबाला की हालत आज लगातार तीसरे दिन भी गंभीर बनी हुई है।

वह दिल्ली के गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल में आईसीयू में वेंटिलेटर पर हैं। राजबाला का उपचार कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि वह सचेत हैं और सामान्य मौखिक संकेतों को समझ रहीं हैं।

हालाकि उनकी हालत अभी गंभीर है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।

गुड़गाव की रहने वाली राजबाला को रीढ़ की हड्डी में चोट के साथ जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के एक डॉक्टर ने कहा कि उनकी हालत अब भी गंभीर है। कल उनकी सर्विकल स्पाइनल पर चोटों के लिए सर्जरी की गई। उनके शरीर का गर्दन से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है।

इसके अलावा एक और समर्थक की हालत गंभीर बनी हुई है जिसे सिर में चोट के बाद लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ रिचा दीवान ने कहा कि हमारे यहा केवल एक मरीज भर्ती है और बाकी सब को छुट्टी दे दी गई है। उन्हें भी स्वस्थ होने के बाद जल्द ही छुट्टी दे दी जाएगी।

पुलिस के 'मैदान मारने' की कहानी में कई पेंच....










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पुलिस के 'मैदान मारने' की कहानी में कई पेंच



नई दिल्ली, मंगलवार, 7 जून 2011( 14:03 IST )

रामलीला मैदान में भूखे-सोए लोगों पर कहर बरपाने वाली दिल्ली पुलिस की कहानी में कई पेंच है। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि बाबा रामदेव की दी गई कड़ी जेडप्लस सुरक्षा इस पूरे ड्रामे के दौरान कहां गायब हो गई थी। क्या ऐसे में बाबा पर जानलेवा हमला नहीं हो सकता था। लाठीचार्ज नहीं करने का पुलिसिया दावा भी बेदम नजर आता है। खुद को बचाने में जुटी पुलिस ने सोमवार की रात शिविर के सीसीटीवी रिकार्ड पर भी जबरन कब्जा कर लिया।


दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिनशर लॉ एंड ऑर्डर की बात को सही माने तो बाबा रामदेव की जान को खतरा था। इसी के तहत शनिवार की सुबह ही उन्हें कड़ी सुरक्षा वाली जेडप्लस सुरक्षा देने का दावा दी गई थी। इसके तहत आठ नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के कंमाडो का एक सुरक्षा घेरा बाबा को मुहैया कराया जाता। लेकिन यह सुरक्षा बाबा को मुहैया कराई नहीं गई। अगर पुलिस या सरकार की नीयत साफ होती है तो यह सुरक्षा बाबा को मिल गई होती। जिस तरह से इतनी भारी भीड़ में बाबा के साथ जबरदस्ती हुई, क्या ऐसे में कोई उन पर हमला नहीं कर सकता था।

पुलिस ने शिविर में आने वाले समर्थकों की सघन तलाशी के लिए एक्सरे मशीन लगाई थी। इसमें हर बैग स्कैन होकर शिविर में गया। लेकिन पुलिस का दावा है कि बाबा के समर्थकों ने पुलिस पर पत्थर बरसाए। अब सवाल यह है कि इतनी कड़ी सुरक्षा व एक्सरे स्कैनर के बाद भी पत्थर शिविर में कैसे पहुंच गए। क्या यह पुलिस की विफलता नहीं है।

पुलिस का दावा है कि कोई लाठीचार्ज नहीं किया गया। लेकिन नईदुनिया के पास ही ऐसे फोटो है, जो साफ दर्शाते है कि लाठीचार्ज हुआ है। लोगों का भी आरोप है कि इसी लाठीचार्ज में उनके हाथ-पैर टूटे है। पुलिस का कहना है कि मंच से गिरने से लोगों के हाथ पैर-टूटे।


पुलिस की नीयत इससे भी पता लग जाती है कि सोमवार की रात पुलिस ने बाबा की ओर से शिविर में लगाए सीसीटीवी के रिकार्ड पर भी जबरन कब्जा कर लिया। मालवीय नगर थाने की पुलिस टीम ने सावित्री नगर स्थित सीसीटीवी लगाने वाली कंपनी के दफ्तर पर धावा बोल दिया। भारत स्वाभिमान न्यास के दिल्ली प्रदेश के संगठन मंत्री अनुज सोम का आरोप था कि वह लोग पुलिस की रिकार्ड देने को तैयार थे, लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। पूरी रिकार्ड मशीन को ही पुलिस उठाकर ले गई। अब पुलिसिया अत्याचार का पता शायद ही लग पाए। न्यास के इस रिकार्ड को जबरन ले जाने के पीछे पुलिस का क्या उद्देश्य है। क्या पुलिस अपनी बर्बरता को छुपाना चाहती है।

पुलिस के इस पूरे ऑपरेशन के दौरान शिविर की बिजली भी काट दी गई। बिजली काटने के पीछे क्या उद्देश्य था। कहीं बिजली काटने के बाद ही तो लाठीचार्ज नहीं किया गया ताकि मीडिया इसकी सही कवरेज न कर पाए।

इसमें एक अहम सवाल यह भी है कि बकौल पुलिस बाबा को पांच हजार लोगों के लिए शिविर लगाने की अनुमति मिली थी। लेकिन शिविर लगाया गया था करीब एक लाख लोगों के लिए। इतना बड़ा तामझाम पुलिस को नजर नहीं आया। ऐसे में पुलिस का खुफिया विभाग कहां सोया हुआ था। कैसे उन्हें इस बात की भनक नहीं लगी कि इतना बड़ा आंदोलन होने वाला है
सौजन्य से - नईदुनिया

दिल्ली पुलिस की असलियत अब सामने आई...किसी को नहीं पता कहां हैं बालकृष्ण..कालाधन वापस लाने के लिए आइटी को मिले 30 लाख पत्र.





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दिल्ली पुलिस की असलियत अब सामने आई
Jun 07, 01:35 am

नई दिल्ली। हमेशा बाबा रामदेव के साथ नजर आने वाले आचार्य बालकृष्ण का पिछले दो दिनों से कोई पता नहीं है। बाबा रामदेव का कहना है कि रामलीला मैदान से गायब हुए अधिकांश लोग दिल्ली पुलिस के कब्जे में हैं।

आचार्य बालकृष्ण, रामदेव के सबसे निकटस्थ माने जाते हैं। शनिवार को पुलिसिया कार्रवाई से पहले वह दिल्ली के रामलीला मैदान में रामदेव के करीब ही दिखाई दिए थे। आचार्य बालकृष्ण की गैर मौजूदगी के बारे में सोमवार को जब रामदेव से पूछा गया तो उन्होंने सीधा जवाब देने के बजाय कहा, 'रामलीला मैदान से गायब हुए अधिकांश लोग दिल्ली पुलिस के कब्जे में हैं।' गौरतलब है कि एक दिन पहले उंन्होंने बालकृष्ण से बातचीत होने और उनके किसी गोपनीय मिशन पर लगे होने की बात कही थी। इस बाबत जब दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी.के. गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बालकृष्ण को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में नहीं लिया है।


दिखाई बाबा के समर्थकों की गिरफ्तारी


नई दिल्ली [जागरण संवाददाता। बाबा रामदेव के सत्याग्रह को कुचलने के लिए बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करने वाली दिल्ली पुलिस की एक और असलियत सामने आई है। पुलिस ने रामलीला मैदान से शनिवार रात बाबा के दस समर्थकों को हिरासत में लिया था, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं दिखाई गई थी। सोमवार को पुलिस ने सभी को गुपचुप तरीके से अदालत में पेश कर दिया।

घटना के बाद से ही बाबा रामदेव के समर्थकों के गायब होने की बात कही जा रही थी। उधर, पुलिस अधिकारी गिरफ्तारी से साफ इनकार कर रहे थे, लेकिन सोमवार को पुलिस ने बाबा के दस समर्थकों को तीस हजारी कोर्ट में पेश किया। सभी पर दंगा भड़काने, सरकारी कर्मचारियों से मारपीट व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस द्वारा गिरफ्तार लोगों में रवि नौटियाल, रोने ओनाम [असम], अजीरथ [राजस्थान], राम नरेश [मध्य प्रदेश], सुरेंद्र, सर्वजीत, प्रेम, योगेंद्र, हरिओम [हरियाणा] व अमन [दिल्ली] शामिल हैं।

पुलिस की पिटाई से घायल हुए लोगों को बाबा रामदेव के समर्थक हरिद्वार लेकर चले गए हैं। कोमा की हालत में राजबाला नामक महिला अभी जीबी पंत अस्पताल के आइसीयू में भर्ती है। रामलीला मैदान में छूट गया सामान भी लोगों को नहीं मिल रहा है। सामान पाने के लिए लोग भटक रहे हैं। पांच लोगों ने कमला मार्केट थाने में सामान नहीं मिलने की शिकायत की है।
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कालाधन वापस लाने के लिए आइटी को मिले 30 लाख पत्र
Jun 07, 08:07 am
बताएं

नई दिल्ली। बाबा रामदेव के आंदोलन से जारी हंगामे के बीच आयकर विभाग में पत्रों की बाढ़ आ गई है। अब तीस लाख से अधिक हस्ताक्षर युक्त पत्र मिल चुके हैं। इन पत्रों में देश के बाहर छुपाकर रखे गए कालाधन को वापस लाने की मांग की गई है। आयकर विभाग इन पत्रों की उपयोगिता की जांच करने में लगा है।

बाबा रामदेव द्वारा पहले भेजे गए इन पत्रों के बड़े-बडे़ पैकेट अब राजस्व सचिव के कार्यालय से आयकर विभाग की खुफिया इकाई को भेजे गए हैं। हालांकि विभाग को या केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के नार्थ ब्लॉक कार्यालय को ऐसे पत्रों का मिलना अब भी बंद नहीं हुआ है।

आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन पत्रों का कोई उपयोग नहीं है क्योंकि इनमें कार्रवाई करने के लायक कोई सूचना नहीं है। कुछ पत्रों में काले धन के मुद्दे पर बाबा रामदेव के आंदोलन को लेकर को लेकर उनका आभार जताया गया है। अधिकांश पत्रों पर भेजने वाले का नाम और पता दर्ज है। जबकि कुछ में कुछ लोगों ने अकूत संपत्ति कहां से अर्जित की इसकी जानकारी होने का दावा किया गया है। अधिकारी ने बताया कि जिन पत्रों के आधार पर कार्रवाई की जा सकती है उनकी सूचनाओं पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
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बाबा के समर्थन में आठ को कार्य बहिष्कार करेंगे वकील
Jun 06, 11:53 pm


नई दिल्ली। दिल्ली की विभिन्न निचली अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों ने समाज में भ्रष्टाचार तथा रामलीला मैदान से हटाने के लिए बाबा रामदेव के खिलाफ पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई के खिलाफ आठ जून को कार्य बहिष्कार करने का सोमवार को निर्णय लिया।

दिल्ली के बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति के प्रवक्ता राजीव खोसला ने कहा कि बार महसूस करते हैं कि सरकार की ऐसी बर्बर कार्रवाई दुनिया के किसी भी लोकतात्रिक देश में सुनने को नहीं मिली। ऐसा जान पड़ता है कि पुलिस सभ्य समाज और अपराधियों के बीच अंतर भूल गई थी।

पटियाला हाऊस कोर्ट, तीस हजारी कोर्ट, द्वारका कोर्ट तथा रोहिणी कोर्ट के बार एसोसिएशनों ने आठ मई को कार्य बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।

दिल्ली बार एसोसिएशन के महासचिव संजीव नास्सियर ने कहा कि बल प्रयोग से शातिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को हटाना बिल्कुल गलत है।

Monday, June 6, 2011

विदेशी मीडिया में भी छा गए बाबा रामदेव.....हम सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हैं: बाबा रामदेव.. प्रधानमंत्री ने नहीं निभाया राष्ट्र धर्म: बाबा रामदेव..





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विदेशी मीडिया में भी छा गए बाबा रामदेव

नई दिल्ली, सोमवार, 6 जून 2011( 15:07 IST )

भ्रष्टाचार और विदेशों में जमा भारतीयों के काले धन के खिलाफ अपने आंदोलन और उससे जुड़ी घटनाओं से देश के अखबारों की सुखिर्यों में छाए बाबा रामदेव को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी जगह मिल रही है। विदेशों के कई अखबारों ने बाबा के आंदोलन और उस पर हुई पुलिस कार्रवाई के सामाचारों को प्रमुखता दी है।

कई अखबारों ने इस कार्रवाई पर तीखी कलम चलाई है।

ऑस्ट्रेलिया के अखबार ‘द एज’ लिखता है, ‘बाबा रामदेव और उनके हजारों अनुयायियों के सामूहिक अनशन को कुचलने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। पुलिस का दावा है कि बाबा के पास सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध की अनुमति नहीं थी।

अखबार ने लिखा कि बाबा के आंदोलन को हिंसक तौर पर खत्म कर दिया गया, लेकिन ऐसा लगता है कि उससे पहले ‘करिश्माई गुरु’ भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए सरकार से समझौता करने में सफल हुए थे। इस खबर के मुताबिक रामदेव ने काले धन के मुद्दे और भ्रष्टाचार के घोटालों के आरोपों से घिरी सरकार के खिलाफ जो आंदोलन शुरू किया, उसमें 40,000 से भी ज्यादा लोग उनका साथ दे रहे थे।

रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस की कार्रवाई ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे बाबा रामदेव के हजारों अनुयायियों को वहां से हटा दिया, पर इस पूरी कार्रवाई पर सिसकते हुए, लेकिन विद्रोही से दिख रहे बाबा रामदेव ने प्रतिबद्धता जताई कि वह इससे विचलित नहीं होंगे। उन्होंने एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन को बवाल में बदलने के लिए सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया।

अखबार ने लिखा है कि रामदेव ने इस कार्रवाई के कुछ घंटों बाद ही टीवी पर कहा कि सरकार मुझे मारना चाहती है। मेरी भूख हड़ताल खत्म नहीं हुई है। यह जारी रहेगी। मेरा आंदोलन जारी रहेगा। अमेरिकी अखबार ‘बोस्टन ग्लोब’ ने भी बाबा रामदेव के अनशन के खिलाफ हुई पुलिस कार्रवाई को जगह दी है।

अखबार लिखता है कि भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने हजारों अनुयायियों के साथ प्रदर्शन कर रहे एक योग गुरु ने कहा है कि राजधानी से निकाले जाने के बाद भी वह अपने प्रदेश में अपना अनशन जारी रखेंगे।

इस खबर के मुताबिक बाबा रामदेव और उनके हजारों समर्थकों ने शनिवार को राजधानी में अनशन शुरू किया था। पुलिस का कहना है कि लगभग 5,000 लोगों के शामिल होने के लिए अनुमति प्राप्त समारोह में 40,000 से ज्यादा लोगों के आने के कारण पुलिस को बल प्रयोग के लिए बाध्य होना पड़ा।

अखबार में कहा गया है कि रामदेव ने इस अभियान को ‘लोकतंत्र पर धब्बा और खुद को मारने की साजिश’ बताया है। उन्होंने आगे भी अपना अनशन जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है। (भाषा)


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हम सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देते हैं: बाबा रामदेव
प्रधानमंत्री ने नहीं निभाया राष्ट्र धर्म: बाबा रामदेव


हरिद्वार, सोमवार, 6 जून 2011( 12:46 IST )
बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान पर हुई पुलिस कार्रवाई पर स्वत: संज्ञान लेकर केंद्र को नोटिस जारी करने के लिए आज उच्चतम न्यायालय के प्रति आभार जताते हुए कहा कि वह दिल्ली में अपने अनशन स्थल पर हुई पुलिस की बर्बरता के खिलाफ मानवाधिकार और महिला आयोग में भी शिकायत करेंगे।

रामदेव ने यहां स्थित अपने पतंजलि योगपीठ परिसर में आज सुबह से ‘सत्याग्रह’ दोबारा शुरू करने के बाद संवाददाताओं से कहा कि रामलीला मैदान पर मेरे और मेरे समर्थकों पर हुई कार्रवाई पर उच्चतम न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र, दिल्ली प्रशासन और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया है। हम न्यायालय और प्रधान न्यायाधीश के शुक्रगुजार हैं।

उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान पर पुलिस ने महिलाओं और बच्चों पर बर्बर कार्रवाई की। इसे देखते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग को भी स्वत: संज्ञान लेना चाहिए। हम इन दोनों आयोगों में भी शिकायत करेंगे।

योग गुरु ने कहा कि ‘उच्चतम न्यायालय के स्वत: संज्ञान लेने की घटना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस समय देश में निराशा और अविश्वास का माहौल है। ऐसे में लोकतंत्र की स्थिरता के लिए जनता का न्याय व्यवस्था में विश्वास बने रहना जरूरी है।

न्यायालय ने रामदेव और उनके समर्थकों को रामलीला मैदान से जबर्दस्ती बाहर कर देने की कार्रवाई पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्रीय गृह सचिव, दिल्ली के मुख्य सचिव और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

न्यायालय ने सवाल किया है कि ऐसी क्या परिस्थितियां थीं कि लोगों को आधी रात को बल प्रयोग कर हटाना पड़ा। (भाषा)

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दिग्विजय पर देशद्रोह का मामला दर्ज होगा!


मुजफ्फरपुर, सोमवार, 6 जून 2011( 15:55 IST )
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की एक निचली अदालत ने योग गुरु बाबा रामदेव को ठग कहने पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने के लिए सोमवार को एक परिवाद पत्र को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।

अधिवक्ता सुधीर ओझा के परिवाद पत्र को यहां के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) आरसी मालवीय ने सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया। ओझा ने कांग्रेस महासचिव के खिलाफ भादंवि की धारा 154 ए, 153 और 504 के तहत मामला दर्ज करने का आग्रह किया है।

सीजेएम के समक्ष दायर इस परिवाद में सभी धाराएं राजद्रोह, दंगा भड़काने की नीयत से उत्तेजक बयान देने और शांति भंग करने से संबंधित हैं। मालवीय ने इस संबंध में एक गवाह आदित्य कुमार का बयान दर्ज किया। अगली सुनवाई 16 जून को होगी।

ओझा ने अपने परिवाद पत्र में कहा कि सिंह के बयान से योग गुरु के अनुयायियों की भावना को ठेस पहुंची है और इसका उद्देश्य दंगा भड़काकर शांति में खलल डालना था इसलिए सिंह के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए। (भाषा)

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बाबा पर कसता सरकारी शिकंजा

सोमवार, 6 जून 2011( 11:40 IST )

बाबा रामदेव और केंद्र सरकार की लड़ाई अब नए मोड़ ले रही है। रात में ताकत के बल पर बाबा व उनके हजारों समर्थकों को रामलीला मैदान से बाहर कर देने के बाद सरकार ने रामदेव पर सीबीआई और आयकर विभाग के जरिए वार करने की तैयारी कर ली है। दोनों एजेंसियों को सरकार ने बाबा की सारी संपत्ति और ट्रस्टों की जांच के लिए फ्री हेंड देने का मन बना लिया है। सरकार की नजर बाबा और उनके सहयोगी से जुडी उन सभी 200 कंपनियों के कार्य और आमदनी पर हैं।

इसमें खासतौर पर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, दिव्‍य फार्मेसी योग, आरोगय हर्ब्‍स, झारखंड मेगा फूड पार्क, दिव्‍य पैकमैफ, वैदिक अष्‍टभजन ब्रॉडकास्टिंग, डायनामिक बिल्‍डकॉम, पतंजलि बायो रिसर्च इंस्‍टीट्यूट आदि शामिल हैं।

अरबों के कारोबार वाली इन कंपनियों की कमाई को जांच के घेरे में लेकर बाबा और उनके सहयोगियों पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है। गौरतलब है कि बाबा के करीबी सहयोगी आचार्य बालकृष्‍ण 34 कंपनियों के निदेशक हैं। इसके साथ उनके एक और करीबी सहयोगी मुक्‍तानंद 11 कंपनियों के निदेशक हैं। पतंजलि ट्रस्ट को में आयकर भी छूट मिल रही है। इनकम टैक्‍स विभाग और प्रवर्तन निदेशालय अब इस बात की छानबीन करेगा कि कहीं नियमों की अनदेखी तो नहीं हुई है। साथ ही, यह भी जांच होगी कि रामदेव से जुड़ी कंपनियां प्रॉडक्‍ट तैयार करने में हर नियम का पालन कर रही हैं या नहीं। (एजेंसी)



हरिद्वार, रविवार, 5 जून 2011( 23:28 IST )
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राजधानी रामलीला मैदान में संप्रग सरकार की पुलिस कार्रवाई से आहत योग गुरु बाबा रामदेव ने हरिद्वार के अपने पतंजलि योगपीठ में सोमवार से अपना अनशन जारी रखने एलान किया और कहा कि उन्हें अपने इस इरादे से कोई नहीं हटा सकता है।

बाबा रामदेव ने रविवार को कहा कि दिल्ली के लोग क्रूर हो गए हैं और मुझे वहां अनशन की अनुमति नहीं दे रहे हैं। इसलिए मेरा अनशन कल से यहां योगपीठ के यज्ञशाला में होगा। बाबा ने कहा कि हमें अपने इरादे से कोई नहीं हटा सकता है। पूरा देश सरकार की कार्रवाई का जवाब देगा और जो काम पिछले 20 साल में नहीं हुआ था वह अब अगले दो साल में होगा।

अपने प्रमुख सहयोगी आचार्य बालकृष्ण पर लगे रहे आरोपों पर रामदेव ने कहा कि कुछ लोग सुनी सुनाई बातों के आधार पर किसी व्यक्ति के चरित्र पर अंगुली उठाते हैं, जिसको मैं अनुचित मानता हूं।

रामदेव ने दावा किया कि आचार्य बालकृष्ण जो भी कर रहे हैं वह व्यक्तिगत नहीं है और वह सब ट्रस्ट का हिस्सा है। जो काम ट्रस्ट के जरिए नहीं किया जा सकता है, उसके लिए कंपनियों को बनाया गया है। उनके हरेक काम में 100 प्रतिशत की पारदर्शिता बरती जा रही है, जिसकी दुनिया के किसी भी एजेंसी से जांच कराई जा सकती है।

उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा समर्थन नहीं दिए जाने के सवाल पर बाबा रामदेव ने कहा कि मायावतीजी ने सारे देश के सामने इस कार्रवाई की आलोचना की है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विकास की बजाय बाबा के विनाश के लिए काम कर रही है। बाबा रामदेव ने एक बार फिर दोहराया कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के साथ वे कभी नहीं बैठेंगे। (भाषा)

पतंजलि योगपीठ में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव.....







पतंजलि योगपीठ में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव
Jun 06, 08:31 am


हरिद्वार। नई दिल्ली से जबरन रूखसत किए गए बाबा रामदेव ने यहा अपने आश्रम में अपना अनशन फिर से शुरू कर दिया है और उनका कहना है कि जब तक भ्रष्टाचार खत्म करने और काले धन को वापस लाने की उनकी माग केंद्र सरकार नहीं मान लेती, तब तक उनका 'सत्याग्रह' जारी रहेगा।

पतंजलि योगपीठ सूत्रों ने आज यहा बताया कि बाबा रामदेव अपने समर्थकों और अनुयायियों के साथ कल देर रात योगपीठ की यज्ञशाला में सत्याग्रह पर बैठे।

योग गुरु बाबा रामदेव प्रकरण ने रविवार को कई करवटें बदलीं। बाबा को दिल्ली से विशेष विमान के जरिए देहरादून ले जाकर छोड़ा जाना। वहां से हरिद्वार कूच। हरिद्वार से नोएडा के लिए रवानगी और उत्तार प्रदेश की सीमा में प्रवेश पर पाबंदी। मुजफ्फरनगर के पुरकाजी से वापसी। अंतत: बाबा रामदेव रात नौ बजे हरिद्वार स्थित अपने पतंजलि योगपीठ में ही अनशन पर बैठ गए। पुलिस कार्रवाई के विरोध में योग पीठ ट्रस्ट ने सोमवार शाम तक काला दिवस मनाने का एलान किया है।

तो कांग्रेस-सोनिया जिम्मेदार

बाबा रामदेव सुबह करीब सवा ग्यारह बजे पतंजलि योगपीठ पहुंचे। बदहवासी जैसे हालात के बीच आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बाबा रामदेव ने सीधे सोनिया गांधी को अपने निशाने पर लिया। आरोप लगाया कि रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाने वाली सोनिया को भारत और भारतीयों से प्यार नहीं है। बाबा ने कहा कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है, अगर उन्हें कुछ होता है तो सोनिया गांधी और कांग्रेस इसके लिए सीधे जिम्मेदार होंगी। आरोप लगाया कि सोनिया के इशारे पर उनके एनकाउंटर की साजिश रची गई थी।

लोकतंत्र की हत्या

बाबा ने कहा कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि सरकार इस तरह अत्याचार पर उतर सकती है। रात को पुलिस ने जिस तरह एक लाख निहत्थे लोगों पर हमला किया उसकी याद कर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। रामदेव ने कहा कि रामलीला मैदान पर लोकतंत्र की हत्या की गई। इससे आपातकाल की याद ताजा हो गई। अगर वह समर्थकों को नहीं रोकते तो जलियांवाला बाग कांड केंद्र सरकार दोहरा देती।


जबरन लिखवाया पत्र


केंद्र सरकार को दिए पत्र पर सफाई देते हुए बाबा ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण पर दबाव डालकर जबरन यह पत्र लिखवाया गया। अगर बालकृष्ण यह पत्र नहीं देते, तो सरकार तीन जून को ही महिलाओं और बच्चों पर बर्बरतापूर्वक कार्रवाई कर देती। बाबा रामदेव ने दोहराया कि कालेधन, भ्रष्टाचार व लोकपाल पर केंद्र सरकार गंभीर नहीं है। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल से बाबा खासे नाराज हैं। उन्हें कुटिल व्यक्ति करार देते हुए बाबा ने कहा कि वह किसी से डरते नहीं है। मारीशस के रास्ते देश में लगे 50 लाख करोड़ रुपए भी कांग्रेस व उससे जुड़े दलों के लोगों के हैं। यही वजह है कि सरकार ने उनके शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने की कोशिश की।


बैरंग लौटना पड़ा


करीब पौने सात घंटे की गहमागमी के बाद योग गुरु शाम छह बजे फिर से दिल्ली की तरफ निकल पड़े। तब बताया गया कि अब वह दिल्ली के आसपास के शहर से अपना आंदोलन चलाएंगे। बाबा हरिद्वार से निकल तो गए, पर उनके मंसूबों पर उत्तार प्रदेश सरकार ने पानी फेर दिया। उत्तार प्रदेश सीमा पर पुरकाजी के पास मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने उनके काफिले को रोक दिया। लिहाजा बाबा को वापस लौटना पड़ा।


अब तो हरिद्वार से ही आंदोलन


वापसी में वह कुछ देर के लिए मंगलौर के निकट भवानी शंकर आश्रम में रुके और फिर हरिद्वार के लिए चले। रात नौ बजकर पांच मिनट पर पतंजलि योग पीठ पहुंच कर उन्होंने वहीं अनशन शुरू कर दिया। देर रात अनशन स्थल पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए बाबा ने अपनी योजना पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उनका नोएडा से आंदोलन चलाने का इरादा था, लेकिन उन्हें मुजफ्फरनगर प्रशासन ने जाने से रोक दिया। इसके चलते फिलहाल हरिद्वार से ही आंदोलन चलाने का निर्णय किया गया है। क्रमबद्ध ढंग से योगपीठ की यज्ञशाला में अनशन किया जाएगा। बाबा ने कहा कि इस मुद्दे पर वह मायावती से भी बात करेंगे। कांग्रेस सरकार की दमनात्मक कार्रवाई के खिलाफ जनजागरण अभियान चलाया जाएगा। प्रधानमंत्री का नाम लिए बगैर बाबा ने आरोप लगाया कि सत्ता में शीर्ष पर बैठे लोग अपने दायित्वों का ठीक से निर्वहन नहीं कर रहे हैं।

रामदेव से मिलने पहुंचे एनडी तिवारी

-वरिष्ठ कांग्रेसी नेता नारायण दत्ता तिवारी पार्टी लाइन से इतर रविवार को बाबा रामदेव के साथ खड़े नजर आए। वह बाबा से मिलने देर शाम पतंजलि योगपीठ पहुंचे। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खात्मे और कालेधन की वापसी की बाबा की मांग ठीक है और वह उनके साथ हैं।

रविवार को एनडी तिवारी के बाबा रामदेव से मिलने पतंजलि योगपीठ आने की चर्चा जोरों पर रही, लेकिन दोपहर तक वह नहीं आए। शाम को जब बाबा पतंजलि से दिल्ली के रास्ते पर चले और मीडिया वहां से हट गया तो तिवारी पतंजलि योगपीठ पहुंच गए और बाबा के सहयोगियों से मुलाकात की। इस बीच बाबा रामदेव के उत्तार प्रदेश सीमा पर रोके जाने के बाद वापस पतंजलि आने की खबर आई। मीडिया के लोग फिर पतंजलि योगपीठ पहुंचे। बाबा तब तक नहीं पहुंचे थे, लेकिन वहां से निकलते हुए एनडी तिवारी उन्हें मिल गए। उनसे जब वहां आने का प्रायोजन पूछा गया तो उन्होंने बाबा रामदेव से मिलने आने की बात कही। उनसे जब यह सवाल किया गया कि वह पार्टी लाइन से इतर बाबा के साथ हैं, तो उनका जवाब था कि कांग्रेस बाबा का विरोध नहीं कर रही है। वह कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ बाबा रामदेव के आंदोलन को ठीक मानते हैं और इस मुद्दे पर उनके साथ हैं।

भगदड़ में जा सकती थी सैकड़ों की जान

-रामलीला मैदान में पुलिस शनिवार की आधी रात के बाद उस समय पंडाल में पहुंची जब बाबा समेत उनके सभी समर्थक व मीडियाकर्मी गहरी नींद में सो रहे थे। अचानक हजारों पुलिसकर्मियों की एक साथ कार्रवाई से पंडाल में अफरा-तफरी मच गई। महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सभी इधर-उधर भागने लगे। शुक्र है कि किसी की जान नहीं गई, नहीं तो जिस तरह कार्रवाई की गई, उससे भगदड़ में सैकड़ों लोगों की जान जा सकती थी।

पुलिस से सबसे बड़ी चूक यह हुई कि उसने पंडाल में बने तीन आपातकालीन गेट नहीं खोले। हमदर्द चौराहे की तरफ वाले केवल एक गेट को ही खुला रहने दिया गया। पुलिस कार्रवाई के समय पंडाल में 60 हजार लोग थे। भगदड़ मची तो सभी एक-दूसरे को धक्का देते, गिरते-पड़ते भागने लगे। जो गिर गया, कुचला गया। पुलिस के डंडे व कुचले जाने से सैकड़ों लोग बेहोश हो गए। जब भीड़ कम हुई तब पुलिस ने कुछ लोगों को वहां से उठाकर पास के अस्पताल में पहुंचाया और कुछ को वहीं छोड़ दिया। पंडाल में हर तरफ चप्पल, जूते व सामान बिखरे पड़े थे। नजारा साफ बयां कर रहा था कि कानून के रखवालों ने ही कानून की किस कदर धज्जियां उड़ाई हैं। कानून के जानकारों का कहना है कि आसू गैस के गोले खाली मैदान व सड़कों पर छोड़े जाते हैं, चहारदीवारी के बीच बंद पंडाल में इस तरह की कार्रवाई गलत है।


भड़क सकती थी आंसू गैस के गोले से लगी आग


-रामलीला मैदान के बंद पंडाल में शनिवार रात आंसू गैस के गोले छोड़ने से पंडाल में आग लग गई थी। यह आग भड़क भी सकती थी। आसू गैस व खुद को हजारों पुलिसकर्मियों से घिरा देख लोग डर गए। लोगों को डर था कि पुलिस उन पर गोली न चला दे। पंडाल में डर व दम घुटने के कारण सैकड़ों लोग बेहोश हो गए। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का भी यही मानना है। सवाल यह है कि आग अगर पूरे पंडाल में फैल जाती तब क्या होता। तब इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार होता? इन सवालों पर कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

क्यों छिड़ी रामलीला मैदान पर 'महाभारत.......रामदेव के खिलाफ कार्रवाई पर अमेरिकी भारतीय छात्र भड़के...










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क्यों छिड़ी रामलीला मैदान पर 'महाभारत'....

सोमवार, 6 जून 2011( 13:49 IST )

जब बाबा रामदेव द्वारा भष्टाचार के विरोध व कालेधन को भारत लाने का आंदोलन थोड़ा शांत होने लगा था तब एकाएक दिल्ली पुलिस ने गृह मंत्रालय के आदेश पर अमल करते हुए रात 1.15 मिनट पर रामलीला मैदान में 'महाभारत' छेड़ दी। दिनभर की जद्दोजहद के बाद गहरी नींद में सोए हजारों लोगों को संभलने का मौका दिए बिना पुलिस ने उन्हें रामलीला मैदान खाली करने का आदेश दे दिया। इसके बाद कई घंटो तक मची अफरा-तफरी में पथराव, लाठियां और आंसूगैस के गोले तक चले और कई लोग घायल हुए।

आखिर क्यों हुअ एक्शन : पर इस पूरे घटनाक्रम से जो बातें बाहर आई है उनके मुताबिक बाबा के खिलाफ हुआ यह एक्शन एकाएक नहीं था बल्कि इसकी पूरी तैयारी पहले से ही कर ली गई थी। अगर नहीं तो पुलिस और रेपिड एक्शन फोर्स के 5000 जवान इतने शॉर्ट नोटिस पर इतने बड़े एक्शन के लिए आखिर कैसे तैयार थे।

दरअसल खुफिया एजेंसियों ने सरकार को पहले ही चेता दिया था कि जिस रामलीला ग्राउंड में 5000 लोगों के लिए योग शिविर आयोजित करने की इजाजत है वहां 30-50 हजार लोग जुटने वाले हैं।

बाबा की जान को खतरा : इतनी भीड़ को संभालने के लिए रामलीला मैदान व आस-पास के इलाके में इंतजाम करना बेहद मुश्किल होगा। इसके बाद खुफिया एजेंसियों ने बाबा रामदेव को जान का खतरा होने की रिपोर्ट देते हुए सरकार को अलर्ट किया कि अप्रिय स्थिति में इतनी भीड़ को संभालना मुश्किल होगा और इससे पूरी दिल्ली पर असर पड़ सकता है।

हर दिन हजारों लोगों की आमद होते देख पुलिस-प्रशासन ने रामलीला मैदान पर इस आंदोलन की इजाजत रद्द करने और बात न मानने की स्थिति में पुलिस कार्रवाई की तैयारी कर ली थी।


मनाने की कवायद :
इस बीच केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों ने बाबा और उनके सहयोगियों से बातचीत कर मामला सुलझाने की कोशिश करना जारी रखी। कई मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक रामदेव और सरकार के बीच कुछ मामलों पर सहमति भी बन गई थी जिसका खुलासा रामदेव ने प्रेस कांफ्रेंस में भी किया था। लुछ सूत्रों के मुताबिक रामदेव के सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने एक समझौता पत्र भी कपिल सिब्ब्ल को सौंपा था। जिसमें आंदोलन को एक-दो दिन में खत्म करने की बात कही गई थी।


हाई टेंशन ड्रामा :
पर स्थिति में नाटकीय बदलाव तब आया जब 4 जून की रात लगभग 11.15 बजे रामलीला मैदान में मौजूद केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों कपिल सिब्‍बल और सुबोध कांत सहाय को फोन पर सूचना मिली कि बाबा रामदेव व उनके सहयोगी तय समझौते को न मानते हुए अनशन को जारी रखेंगे। रामदेव और उनके सहयोगियों की इस वादाखिलाफी की सूचना की पुष्टि होते ही सिब्बल और सहाय ने गृह मंत्रालय से बातचीत की जिसके बाद दिल्‍ली पुलिस को रामलीला मैदान में 'एक्शन' के लिए हरी झंडी मिल गई।

क्या बाबा ने दिया धोखा! आचार्य बालकृष्ण के इस पत्र के बारे में बाबा के एक निकट सहयोगी ने कहा कि समझौता पत्र सोची-समझी एक सोची समझी रणनीति का हिस्‍सा था, क्योंकि यदि ऐसा नहीं किया जाता तो सरकार अनशन शुरु ही नहीं होने देती। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस पत्र का मतलब यह नहीं था कि रामदेव सरकार के आगे झुक गए हैं।


पर गलती किसी भी रही हो
, अब सरकार पर इस कार्यवाई का दांव उलटा पड़ता दिख रहा है। सुप्त पड़े राजनीतिक दल तो इस मौके को भुनाने में लगे ही हैं, सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र से इस मामले पर जवाब तलब कर लिया है।

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रामदेव के खिलाफ कार्रवाई पर अमेरिकी भारतीय छात्र भड़के

वॉशिंगटन, सोमवार, 6 जून 2011( 12:25 IST )
अमेरिका में अध्ययन कर रहे भारतीय छात्रों ने योग गुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के खिलाफ नई दिल्ली में की गई पुलिस कार्रवाई की निंदा की है और कहा है कि ऐसा करके सरकार ने सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार और जनता का विश्वास खो दिया है।

छात्रों ने इस बाबत भारत के राष्ट्रपति को लिखा एक ज्ञापन भारतीय दूतावास को सौंपा जिसमें कहा गया है कि छात्र और भारत के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम भारत सरकार की ओर से की गई इस कार्रवाई की स्पष्ट तौर से निंदा करते हैं।

ज्ञापन पर मेरीलैंड विश्वविद्यालय (यूएमडी) में अध्ययनरत भारतीय छात्रों ने हस्ताक्षर किए। तीन संगठनों इंडियन स्टूडेंट ग्रुप (यूएमडी), कॉलेज पार्क डीईएसआई और स्टूडेंट काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी छात्रों का प्रतिनिधित्व किया।

ज्ञापन में कहा गया है कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में नाकाम रहने और अपने नागरिकों को संवैधानिक अधिकार से वंचित करने के चलते, हमारा मानना है कि सरकार सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार और जनता का विश्वास खो चुकी है। ऐसे में इस सरकार को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर देना चाहिए।

अमेरिका में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की ओर से भारतीय दूतावास को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि आधी रात के बाद पुलिस की 70 हजार से अधिक निर्दोष लोगों को खदेड़ने की कार्रवाई आपातकाल के उस काले अध्याय की याद दिलाती है जो हमने अब तक किताबों में ही पढ़ा है।

छात्रों ने कहा कि चारों ओर से घिरे हुए परिसर में पुलिस की कार्रवाई से भगदड़ मच सकती थी और कई निर्दोष लोगों की जान भी जा सकती थी।

ज्ञापन में कहा गया है ‘निहत्थे लोगों में महिलाएं, बच्चे, बुजुर्गों सहित सभी आयु वर्ग के लोग थे जिन पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए और लाठीचार्ज किया गया। शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर सरकार की ओर से किया गया बल प्रयोग कुछ लोगों द्वारा अपना पक्ष रखने के लिए हिंसा के प्रयोग को जायज ठहराने जैसा प्रतीत होता है।

मेरीलैंड विश्वविद्यालय के शोध छात्र आशुतोष गुप्ता ने प्रश्न किया कि अगर जनता शांतिपूर्ण प्रदर्शन नहीं कर सकती तो लोकतंत्र में जनता और क्या कर सकती है? जिस तरीके से, सरकार ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर कार्रवाई की है वह स्वीकार्य नहीं है। (भाषा)

गांधी जी होते तो ऐसा अत्याचार देख रो पड़ते,.............पूरा करना है बापू का सपना




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गांधी जी होते तो ऐसा अत्याचार देख रो पड़ते
Jun 06, 12:59 pm

हरिद्वार। भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे को लेकर हरिद्वार के पतंजलि योग पीठ में अनशन पर बैठे बाबा रामदेव ने सोमवार को एक बार फिर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। पुलिस की बर्बरतापूर्ण कार्रवाई से आहत बाबा रामदेव ने कहा कि अगर गांधी जी आज जिंदा होते तो वह भी इस तरह का अमानवीय अत्याचार देखकर रो पड़ते।

हरिद्वार में बाबा रामदेव ने कहा, 'रामलीला मैदान में पुलिस कार्रवाई के दौरान घायल हुए लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन अब वहां से भी लोगों को जबरन निकाला जा रहा है ताकि मुकदमा दर्ज न हो सके। गम्भीर रूप से घायल लोग अभी अस्पतालों में मौजूद है।'

रामदेव ने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर मेरा समर्थन करने वाले सभी राजनीतिक, अध्यात्मिक और समाजसेवी संगठनों का मैं आभार व्यक्त करता हूं। पूरे देश में करोड़ों लोग इस घटना से इस कदर आहत है कि उन्होंने अपना शोक प्रकट करने के लिए व्यावसायिक प्रतिष्ठान और बाजार स्वयं ही बंद कर दिए है। देशभर में लोग विभिन्न तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रहे है।

एक अंग्रेजी समाचार पत्र में छपी खबर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इस घटना के बाद भी काफी निराशाजनक बयान दे रही है। खबर का हवाला देते हुए रामदेव ने कहा कि सरकार कह रही है कि जैसा रामदेव के साथ किया गया वैसा ही अन्य लोगों के साथ भी किया जाएगा।
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पूरा करना है बापू का सपना
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नई दिल्ली, शनिवार, 4 जून 2011( 18:01 IST )
बाबा रामदेव ने कहा कि वह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और शहीद भगतसिंह के उन सपनों को पूरा करना चाहते हैं जो उन्होंने भारत के लिए देखा था।

आज से शुरू हुए अपने अनशन के दौरान रामदेव ने भारी तादाद में मौजूद अपने समर्थकों से कहा कि हमें राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और शहीद-ए-आजम भगतसिंह के उन सपनों को पूरा करना है, जो उन्होंने भारत के लिए देखा था।

अनशन स्थल के मंच पर मौजूद कुछ लोगों द्वारा उन्हें ‘महापुरुष’ बताए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए रामदेव ने कहा कि मैं महापुरुष नहीं हूं और न ही ऐसा बनने की कोशिश कर रहा हूं।

इस देश के महापुरुष महात्मा गांधी, भगत सिंह और स्वामी विवेकानंद जैसे लोग हैं। मैं महापुरुषों के आगे नहीं, बल्कि उनके पीछे उनके बताए रास्तों पर चलना चाहता हूं।

मंच पर मौजूद दो कवियों ने जब अपनी कविताओं के जरिए कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह पर निशाना साधना चाहा तो रामदेव ने उन्हें रोक दिया। उन्होंने दोहराया कि वह किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं हैं।

गलत किया मगर आदेश मानना मजबूरी..............




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गलत किया मगर आदेश मानना मजबूरी
Jun 06, 01:19 am

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। शनिवार की रात रामलीला मैदान में जिन लोगों ने दिल्ली पुलिस का चेहरा देखा, उनके रोंगटे खड़े हो गए। चारों ओर पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की जा रही है। लोगों का कहना है कि आजादी के बाद देश की राजधानी में जलियावाला बाग कांड जैसी घटना को दोबारा देखा गया। हालांकि इस कांड पर दिल्ली पुलिस के कई डीसीपी व एसीपी समेत अन्य आला अधिकारियों का इस घटना पर कहना था कि वे तो सिर्फ सरकार के आदेश का पालन कर रहे हैं।

दबी जुबान में पुलिस अफसरों ने कहा कि वे अच्छी तरह समझ रहे हैं कि उनसे गलत कराया जा रहा है, लेकिन मजबूरी में उन्हें कार्रवाई करनी पड़ रही है।

पुलिस की दलीलों से साफ पता चल रहा था कि पूर्ण नियोजित व राजनीतिक दबाव में बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की गई। किंतु इस मसले पर पुलिस मुख्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान स्पेशल सीपी लॉ एंड ऑर्डर धर्मेद्र कुमार से जब राजनीतिक दबाव की बात पूछी गई तो उन्होंने ऐसा कुछ होने से इंकार कर दिया।

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रामदेव मामले पर संतों ने केंद्र को कोसा
Jun 05, 08:55 pm
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हरिद्वार [जासं]। दिल्ली में बाबा रामदेव को अनशन से जबरन उठाने और पुलिस के तौर-तरीके को लेकर संत समाज की भृकुटि तनी हुई है। संत समाज ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताते हुए केंद्र सरकार को जमकर कोसा। संतों ने एक स्वर में इसे तानाशाही करार दिया।

उनका कहना है कि यह कार्रवाई न तो भारतीय संस्कृति की परंपरा रही है और न ही संविधान की मर्यादा। संतों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई करके केंद्र सरकार ने अपना जन विरोधी चेहरा पेश किया है।

केंद्र को जवाब देना होगा:-

स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज, शंकराचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार किस हद तक लोकतंत्र की मर्यादाओं को ताक पर रख सकती है। यह बात साबित हो गई है। षडयंत्र रचकर कार्रवाई को अंजाम दिया गया। केंद्र को जवाब देना होगा कि क्या यही लोकतंत्र की परिभाषा है। देश के विकास की बागडोर संभालने वाले ही जब इस हद तक गिर जाएंगे, तो फिर क्या हक रह जाता है इन्हें सत्ता पर आसीन होने का।

अशोभनीय, दुर्भाग्यपूर्ण:-

स्वामी शिवानंद सरस्वती, परमाध्यक्ष, मातृसदन, हरिद्वार ने कहा कि लोकतंत्र में यह कार्रवाई अशोभनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। लोकतांत्रिक देश में आमजन को अपनी बात रखने का अधिकार है। स्वामी रामदेव तो भ्रष्टाचार और कालेधन की वापसी जैसे मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार की इस कार्रवाई से समाज में अच्छा संदेश नहीं पहुंचा है। मातृसदन इसकी घोर निंदा करता है।

अलोकतंत्र राज:-

श्री महंत हरिगिरि, मंत्री, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा ने बताया कि इस कार्रवाई से लोकतांत्रिक व्यवस्था में अलोकतंत्र राज प्रस्तुत किया गया है। तानाशाह बनकर सत्ता का दुरुपयोग हुआ है। केंद्र सरकार ने षडयंत्र रचकर इस घटना को अंजाम दिया है।

गोलीतंत्र का राज:-

स्वामी सत्यमित्रानंद, संस्थापक, भारत माता मंदिर, हरिद्वार ने कहा कि संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है। ऐसा तो अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुआ है। इस कार्रवाई से लगता है कि देश में लोकतंत्र नहीं, बल्कि गोलीतंत्र का राज चल रहा है। केंद्र सरकार ने संविधान की मर्यादा को तोड़ा है। पूरा देश इसकी निंदा कर रहा है

बाबा को नोएडा में अनशन की इजाजत नहीं, पुलिस कार्रवाई से यूपी में भड़के रामदेव समर्थक, हरिद्वार में अनशन करेंगे बाबा रामदेव



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बाबा को नोएडा में अनशन की इजाजत नहीं
Jun 05, 09:09 pm


लखनऊ [जाब्यू]। मायावती सरकार ने बाबा रामदेव को उत्तर प्रदेश की सीमा में अनशन करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। बाबा रामदेव ने राज्य सरकार से नोएडा के सेक्टर 39 में अनशन करने की अनुमति चाही थी। उप्र सरकार ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के नजरिये से नोएडा या राज्य के किसी भी जिले में अनशन शुरू करने की अनुमति नहीं दी सकती है। सरकार के 'ना' करते ही रविवार की रात बाबा रामदेव ने जैसे ही उत्तराखण्ड राज्य से उप्र की सीमा में मुजफ्फर नगर जिले में प्रवेश किया, उन्हें रोक लिया गया और तुरंत वापस कर दिया गया। बाबा रामदेव ने घोषणा की है, अब वह उत्तराखण्ड राज्य के हरिद्वार में अनशन पर बैठेंगे।

उत्तर प्रदेश सरकार को दिन में जैसे ही इस बात के संकेत मिलना शुरू हुए कि बाबा रामदेव केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली से सटी उप्र की सीमा में अनशन करना चाहते हैं, बसपा में शीर्ष स्तर पर बाबा को अनुमति देने या ना देने में राजनीतिक नफा-नुकसान का आंकलन शुरू हो गया था। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने कहा भी था कि बाबा की तरफ से अभी कोई लिखित अनुरोध पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। अनुरोध पत्र मिलने पर कोई निर्णय किया जाएगा। देर शाम गौतमबुद्ध नगर के डीएम ने उप्र सरकार को सूचित किया कि बाबा रामदेव नोएडा के सेक्टर 39 में अनशन शुरू करना चाहते हैं, इसके तुरंत बाद गृह विभाग ने बैठक बुलाई, जिसमें अपर कैबिनेट सचिव रवींद्र सिंह ने हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री से विचार-विमर्श किया गया। यही कोई आधे घंटे चली बैठक के बाद सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि बाबा रामदेव के अनुरोध को खारिज कर दिया गया है।

बताया जाता है कि उत्तर प्रदेश के नोएडा में अनशन शुरू करने से पहले बाबा रामदेव ने हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में अनशन शुरू करने का प्लान तैयार किया था। बाबा रामदेव इसी जिले के रहने वाले हैं। चूंकि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार है, इस वजह से वहां भी बाबा राम देव की बात नहीं बन सकी।

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पुलिस कार्रवाई से यूपी में भड़के रामदेव समर्थक
Jun 06, 01:16 am
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विडियो: बाबा रामदेव की गिरफ्तारी के खिलाफ सूबे में उबाल

लखनऊ। योग गुरु बाबा रामदेव की गिरफ्तारी व समर्थकों पर लाठीचार्ज के खिलाफ सूबे में उबाल है। जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए। सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए यज्ञ और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह , पीएम मनमोहन सिंह के पुतले फूंके गये। भाजपा और उसके अनुषंगिक संगठनों के अलावा समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की।

लखनऊ में जहां सामाजिक कार्यकर्ताओं में भी आक्रोश दिखा वहीं केंद्र सरकार को सद् बुद्धि देने के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ भी किया गया। कार्यकर्ताओं ने सत्याग्रह के समर्थन में अनशन शुरू किया।

भाजपा ने भी बाबा के समर्थन में धरना शुरू कर दिया है। चारबाग स्थित दीनदयाल स्मृतिका पर धरने पर बैठने वालों में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सूर्यप्रताप शाही, राज्यसभा सदस्य कलराज मिश्र, कुसुम राय, टीवी कलाकार स्मृति इरानी समेत अन्य शामिल थे। गोंडा, बहराइच, लखीमपुर, सुल्तानपुर, सीतापुर और श्रावस्ती में भी भाजपा और अन्य हिन्दू संगठनों ने धरना-प्रदर्शन व केंद्र सरकार का पुतला फूंक कर गुस्सा जताया।

मेरठ में सुबह से ही सड़क पर उतरकर लोगों ने रोष जाहिर किया। कलक्ट्रेट पर धरना दिया गया। छात्रों ने जुलूस निकालकर केंद्र सरकार का पुतला फूंका।

मुजफ्फर नगर और बुलंदशहर में भी समर्थकों ने केंद्र सरकार का पुतला फूंका। सहारनपुर में बाबा रामदेव के समर्थकों के साथ व्यापारी संगठन और गैर कांग्रेसी पार्टियों के कार्यकर्ता भी सड़क पर उतर आए। बागपत में जगह-जगह केंद्र सरकार के खिलाफ जुलूस निकाला गया। बिजनौर में पालिका चौक पर जुटे कई संगठनों के सैकड़ों लोगों ने रविवार और सोमवार को काला दिवस के रूप में मनाने का एलान किया।

कानपुर में लोगों ने जगह-जगह धरना देकर पुलिस के इस कदम की निंदा की। भाजपा कार्यकर्ताओं ने पीरोड में केंद्र सरकार का पुतला फूंका और प्रधानमंत्री के विरुद्ध नारेबाजी की।

पतंजलि योग समिति ने शिक्षक पार्क नवीन मार्केट में अनशन कर बाबा के समर्थन में हुंकार भरी। धर्म संघ से जुड़े लोगों और रोडवेज कर्मचारियों ने फूलबाग स्थित गांधी प्रतिमा पर धरना दिया।

चित्रकूट में मंदाकिनी तट पर जुटे साधु-संतों ने बाबा का समर्थन करते हुए कहा कि आधी रात के बाद कार्रवाई कर केंद्र सरकार ने कायरता का परिचय दिया है।

जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि पूरा देश बाबा रामदेव के साथ खड़ा है। बांदा में आहुति देकर ईश्वर से नेताओं को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना की।

उरई में दर्जनों लोगों ने सीओ दफ्तर के बगल में काली पट्टी बांधकर धरना दिया। फर्रुखाबाद में भारत स्वाभिमान व पतंजलि योग समिति सोमवार को कलक्ट्रेट में काला दिवस मनायेगी। कन्नौज, रायबरेली में भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद, अधिवक्ताओं के साथ अन्य लोग भी सड़कों पर उतर आये। इटावा में बाबा समर्थकों ने काला दिवस मनाया। उन्नाव में पतंजलि योग समिति के सत्याग्रह स्थल पर पुलिस के कड़े पहरे के बीच कार्यकर्ताओं ने हवन कर केंद्र सरकार को सद्बुद्धि देने की कामना की।

बरेली में कलक्ट्रेट गेट पर भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का अनशन जारी रहा। पीलीभीत में भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए यज्ञ किया। आगरा में शनिवार को शहीद स्मारक पर शुरू हुआ भ्रष्टाचार मिटाओ सत्याग्रह आंदोलन दूसरे दिन भी जारी रहा। अलीगढ़ में भारत स्वाभिमान ट्रस्ट एवं पतंजलि योग समिति ने विरोध में रैली निकाली तो भाजपा और संस्कार भारती ब्रज प्रांत की ओर से केंद्र सरकार के पुतले फूंके गए।

आजमगढ़ में रिक्शा स्टैंड पर लोगों ने उपवास रखकर धरना दिया और बाबा के साथ हुई कार्रवाई को सरकार की बर्बरता करार दिया। सरकार की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ किया गया। बलिया, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर में धरना देकर इस कार्रवाई की निन्दा की गयी वहीं विद्यार्थी परिषद, भाजपा सहित अन्य संगठनों ने पुतला फूंक कर विरोध जताया। मऊ में भी लोगों में तीखा आक्रोश रहा। यहां पुतला फूंककर विरोध प्रकट किया। मीरजापुर व सोनभद्र में भी प्रधानमंत्री का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया गया।

गोरखपुर में पंतजलि योग समिति एवं भारत स्वाभिमान मंच के कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। भाजपा ने काली पट्टी बांधकर विरोध मार्च निकाला। भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने केन्द्र सरकार का पुतला फूंका। महराजगंज में प्रदर्शन कर काग्रेस विरोधी नारे लगाए गए। भाजपा कार्यकर्ताओं ने बांह में काली पट्टी बांध प्रमुख मार्गों पर प्रदर्शन किया।

कुशीनगर, देवरिया, बस्ती में बाबा की गिरफ्तारी और अनशन पर लाठीचार्ज के विरोध में धरना दिया गया। बाबा रामदेव व समर्थकों पर दमन के खिलाफ जनाक्रोश इलाहाबाद, कौशाम्बी और प्रतापगढ़ में फूट पड़ा। इलाहाबाद में सुबह दस बजे तक कचहरी पर सैकड़ों लोग जमा हो गए। चिलचिलाती धूप में समर्थक बाबा रामदेव के समर्थन में नारेबाजी करते हुए घंटों धरने पर बैठे रहे। भाजपा युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं ने जंक्शन पर पवन एक्सप्रेस रोककर बाबा पर हुए हमले पर विरोध प्रकट किया। इसके बाद ऐतिहासिक सुभाष चौराहा पर कांग्रेस पार्टी का पुतला फूंका।

कौशाम्बी में भाजपाइयों ने ककोढ़ा व भरवारी कस्बे में सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह व कपिल सिब्बल का पुतला दहन कर अपना आक्रोश जताया। प्रतापगढ़ में चाय-पान की दुकानों से लेकर जहां भी लोग इकट्ठा हुए, यही चर्चा होती रही।

गाजियाबाद में बाबा रामदेव को जबरन उठाने और हरिद्वार भेजने के विरोध में भाजपा कार्यकर्ता रविवार को सड़कों पर उतर आए। उन्होंने पहले केंद्र सरकार का पुतला फूंका फिर गांधी पार्क में धरना दिया। हिंदू मुस्लिम राष्ट्रीय एकता पार्टी ने इस हंगामे को लेकर प्रधानमंत्री से इस्तीफा व पुलिस कमिश्नर को निलंबित करने की मांग की है।

आक्रोश से तमतमाई रामनगरी

अयोध्या। योगगुरु बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के साथ हुए पुलिसिया दु‌र्व्यवहार से रामनगरी आक्रोश से भर उठी है। रामनगरी के प्रमुख मंदिरों व अखाड़ों के संतों ने एक स्वर से केंद्र सरकार की निंदा करते हुए कहा कि संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए। विश्व हिंदू परिषद ने इस मामले को लेकर 6 से 8 जून तक पूरे प्रदेश में व्यापक आंदोलन करने की घोषणा की है।

अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत ज्ञानदास ने कहा कि योगगुरु रामदेव का अपमान पूरे देश के संत समाज का अपमान है। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो इस कार्यवाही के विरोध में वह राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव के वस्त्रों को पुलिस द्वारा उतारा जाना संत वेश व संत परंपरा का उल्लंघन है। इसे पूरे देश के संतों में आक्रोश है। राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने कहा कि योगगुरु व उनके समर्थकों के साथ हुई बदसलूकी केंद्र सरकार की लोकतंत्र विरोधी नीतियों को उजागर करने वाली है।

दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेश दास ने इसे केंद्र सरकार की तानाशाही की पराकाष्ठा बताया। राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य व पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती ने कहा कि कांग्रेस भ्रष्टाचार की जननी है, जिसने अपने लोगों को बचाने के लिए यह कार्रवाई की।

अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास ने कहा कि रामदेव का अपमान संत समाज भूल नहीं सकेगा। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सांसद विनय कटियार ने कहा कि यह शर्मनाक कार्रवाई कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के इशारे पर की गई है। कांग्रेस के कई बड़े नेताओं का धन विदेशी बैंकों में जमा है। उनके नाम उजागर होने से डर से केंद्र घबरा गई है। बलरामपुर में पत्रकारों से बात करते हुए विधायक व देवीपाटन शक्तिपीठ के महंत कौशलेन्द्र नाथ ने रामदेव के साथ हुई अभद्रता को लोकतंत्र का अपहरण बताया।




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गांधीवादी कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने एक बार फिर तेवर कड़े,बाबा रामदेव पर हुई कार्रवाई के विरोध में हजारे



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बीते अप्रैल में अनशन कर अपनी मांगें मनवा चुके गांधीवादी कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने एक बार फिर तेवर कड़े कर लिए हैं। बाबा रामदेव पर हुई कार्रवाई के विरोध में हजारे और उनके साथी सोमवार को होने वाली लोकपाल विधेयक मसौदा समिति की बैठक में शामिल नहीं होंगे और हजारे आठ जून को दिल्ली में एक दिन का अनशन भी करेंगे।

लोकपाल विधेयक मसौदा समिति में शामिल हजारे पक्ष ने अब यह भी शर्त रखी है कि वे तभी अगली बैठकों में शिरकत करेंगे, जब उसका सीधा वीडियो प्रसारण किया जाएगा।

हजारे ने कहा कि रामलीला मैदान में मध्यरात्रि को रामदेव और उनके समर्थकों के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ, उसकी हम निंदा करते हैं। कल की घटना लोकशाही और मानवता पर कलंक है। सरकार ने लोकशाही का गला घोंटने का काम किया है। कल रात रामलीला मैदान पर सोते हुए बच्चों और महिलाओं पर लाठीचार्ज करना कोई मानवीय कृत्य नहीं था।

उन्होंने कहा कि लोकपाल मसौदा समिति की बैठकों में भी सरकार बार-बार अपना रुख बदल रही है। वह पहले प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में शामिल करने पर मान गई थी, लेकिन बाद में वह इससे मुकर गई। हजारे ने कहा कि रामदेव पर कार्रवाई और लोकपाल मसौदा समिति की अब तक की बैठकों में दिखे सरकार के रुख के विरोध में हमने कल समिति की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया है।

हजारे ने कहा कि हम इस बर्बरता के खिलाफ आठ जून को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक दिन का अनशन करेंगे। हम सभी देशवासियों से इस अनशन में शामिल होने की अपील करते हैं। रामदेव के साथ हुई घटना के बाद क्या उन्हें जंतर-मंतर पर अनशन कर पाने का भरोसा है, इस पर गांधीवादी नेता ने कहा कि क्या दिल्ली किसी की जागीर है? जब जान हथेली पर रखकर आंदोलन करो तो डर नहीं लगता।

बहरहाल, हजारे ने कहा कि अगर रामदेव भविष्य में किसी आंदोलन में उनके साथ जुड़ना चाहते हैं तो इससे पहले वह कुछ मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट करना चाहेंगे। हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटने के प्रति सरकार उदासीन है। हम लोकपाल समिति की अब तक की बैठकों में केंद्र के रुख और कल की घटना को सरकार की इसी उदासीनता से जोड़कर देखते हैं। मुझे लगता है कि देश में बीते अप्रैल की तरह एक बार फिर आंदोलन खड़ा करने की जरूरत है।

उधर, लोकपाल मसौदा समिति के सह-अध्यक्ष शांति भूषण ने कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री राष्ट्र के समक्ष यह स्पष्ट करें कि ऐसे क्या कारण थे कि उनकी सरकार ने कल रात रामदेव पर इस तरह की पुलिस कार्रवाई के आदेश दिए। कल रात की बर्बर घटना वर्ष 1975 के आपातकाल की याद दिलाती है।

उन्होंने कहा कि हम लोकपाल समिति की अगली बैठकों में तभी शिरकत करेंगे, जब उसका सीधा वीडियो प्रसारण किया जाएगा। अगर सरकार एक मजबूत लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने में हिचकेगी तो हमारे पास फिर जंतर-मंतर जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं रह जाएगा।

भूषण ने कहा कि हम विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की बाबा रामदेव की मांग का समर्थन करते हैं। लोकपाल मसौदा समिति में शामिल सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि समिति की बैठकों में सरकार के अब तक के रुख और कल रामदेव के साथ हुई घटना के विरोध में हम कल की बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं। हम सरकार को कल एक पत्र लिखेंगे। उस पत्र पर सरकार के जवाब के आधार पर हम अगली बैठकों में शामिल होने के बारे में फैसला करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि रामदेव से उनके पक्ष के कोई मतभेद नहीं हैं।

गौरतलब है कि लोकपाल मसौदा समिति की 30 मई को हुई बैठक में सरकार और हजारे पक्ष के बीच प्रधानमंत्री और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने को लेकर गंभीर मतभेद उत्पन्न हो गए थे। इसके बाद हजारे पक्ष की ओर से समिति से अलग होने की चेतावनी दी गई थी, जबकि सरकार ने राज्यों और राजनीतिक दलों को लोकपाल से जुड़े छह मुद्दों पर पत्र लिखकर उनकी राय मांगी थी। (भाषा)
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रामदेव पर कार्रवाई से रविशंकर निराश
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बेंगलुरु, रविवार, 5 जून 2011( 20:35 IST )
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आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव पर कार्रवाई को लेकर रविवार को निराशा जताई और कहा कि वे मध्य रात्रि को ही विदेशी दौरे से स्वदेश वापस लौट रहे हैं।

एक बयान में उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने और भ्रष्टाचार एवं काला धन से लड़ने में और कृतसंकल्प रहने को कहा। बयान में कहा गया है कि रविशंकर बीच में ही विदेश का दौरा छोड़ रहे हैं और भारत लौट रहे हैं। (भाषा)

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दोहराया गया 1975 का इतिहास


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दोहराया गया 1975 का इतिहास
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नई दिल्ली, रविवार, 5 जून 2011( 10:18 IST )
प्रभावी लोकपाल विधेयक का प्रारूप तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति के सह अध्यक्ष शांतिभूषण ने कहा है कि रामलीला मैदान पर शनिवार रात वैसा ही हुआ है जैसा सन 1975 में 25 और 26 जून की रात हुआ था जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर इमरजेंसी थोपी थी।

शांतिभूषण ने घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत एक संवैधानिक लोकतंत्र है तथा शांतिपूर्ण विरोध करना नागरिकों का मौलिक अधिकार है।

उन्होंने कहा कि वह बाबा रामदेव के समर्थक नहीं हैं लेकिन रामलीला मैदान पर जैसी बर्बरतापूर्ण कार्रवाई हुई उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह और सरकार के मंत्री आज कठघरे में खड़े हैं।

उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान पर पुलिस कार्रवाई से लोगों की आंखें खुल जानी चाहिए कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई कितनी जोखिम भरी है उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार में डूबी सरकार भ्रष्ट लोगों को बचाने के लिए किसी भी सीमा तक गिर सकती है।

पुलिस कार्रवाई की तीखी निन्दा करने के बावजूद शांतिभूषण ने कहा कि प्रभावी लोकपाल विधेयक तैयार करने के लिए वह और उनके सहयोगी सरकार के साथ सहयोग करते रहेंगे। (भाषा)
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गलत किया मगर आदेश मानना मजबूरी
Jun 06, 01:19 am
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नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। शनिवार की रात रामलीला मैदान में जिन लोगों ने दिल्ली पुलिस का चेहरा देखा, उनके रोंगटे खड़े हो गए। चारों ओर पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की जा रही है। लोगों का कहना है कि आजादी के बाद देश की राजधानी में जलियावाला बाग कांड जैसी घटना को दोबारा देखा गया। हालांकि इस कांड पर दिल्ली पुलिस के कई डीसीपी व एसीपी समेत अन्य आला अधिकारियों का इस घटना पर कहना था कि वे तो सिर्फ सरकार के आदेश का पालन कर रहे हैं।

दबी जुबान में पुलिस अफसरों ने कहा कि वे अच्छी तरह समझ रहे हैं कि उनसे गलत कराया जा रहा है, लेकिन मजबूरी में उन्हें कार्रवाई करनी पड़ रही है।

पुलिस की दलीलों से साफ पता चल रहा था कि पूर्ण नियोजित व राजनीतिक दबाव में बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की गई। किंतु इस मसले पर पुलिस मुख्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान स्पेशल सीपी लॉ एंड ऑर्डर धर्मेद्र कुमार से जब राजनीतिक दबाव की बात पूछी गई तो उन्होंने ऐसा कुछ होने से इंकार कर दिया।
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मेरी हत्या की साजिश रची गई थी: रामदेव
Jun 05, 02:05 pm
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हरिद्वार। बीती मध्यरात्रि से जारी नाटकीय घटनाक्रमों के बाद बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार और कालाधन के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रखने का ऐलान करते हुए रविवार को यहां सनसनीखेज दावा किया कि रामलीला मैदान पर उनकी हत्या करने की साजिश रची गई थी।

दिल्ली से हिरासत में लिए जाने के बाद रामदेव को चार्टर्ड प्लेन के जरिए देहरादून भेज दिया गया, जहां से वह हरिद्वार पहुंचे। यहां पहुंचने के कुछ ही देर बाद बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में रामदेव ने कल मध्यरात्रि के बाद हुए घटनाक्रमों का सिलसिलेवार ब्यौरा बताया और सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए।

रामदेव ने दावा किया कि सरकार की रामलीला मैदान पर लाशें बिछा देने की तैयारी थी और यदि हमारे कार्यकर्ता धैर्य से काम नहीं लेते तो वहां हजारों लोग मारे जाते।

उन्होंने कल की घटना की तुलना जलियांवाला बाग की घटना से करते हुए दावा किया, 'रामलीला मैदान पर मुझे गिरफ्तार करने के बाद मेरा एनकाउंटर करने या मुझे गायब कर देने की तैयारी थी। वहां मेरी हत्या करने की साजिश थी। जब तीन जून को दिल्ली के एक होटल में भी हमारी सरकार से बातचीत चल रही थी, तब भी रामलीला मैदान पर बड़ी तादाद में पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए थे।'

रामदेव ने कहा, 'यदि मेरे जीवन के समक्ष कोई खतरा उत्पन्न होता है तो इसकी जिम्मेदारी सोनिया गांधी और कांग्रेस की होगी।' उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और कालाधन के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। लेकिन आगे क्या रणनीति अपनाई जाएगी, इस पर उन्होंने कहा कि वह शाम तक खुलासा करेंगे। उन्होंने कहा कि आज शाम और कल देश भर में उनके समर्थक शांतिपूर्ण तरीके से 'काला दिवस' मनाएंगे।

योगगुरु ने कहा कि सरकार कालाधन पर अध्यादेश तो नहीं लाई, लेकिन उसने आपातकाल जैसा अत्याचार किया। योगगुरु के चेहरे पर परेशानी और चिंता साफ देखी जा सकती थी। वह महिलाओं की उसी पोशाक में मीडिया से मुखातिब हुए, जिसे पहनकर वह कल मध्यरात्रि के बाद रामलीला मैदान से बाहर निकले थे।

रामदेव ने कहा कि सरकार के साथ बातचीत होने के बाद हमें यह धमकी दी गई थी कि या तो हम बात मान लें या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। इसलिए आचार्य बालकृष्ण से यह झूठ बोलकर दबाव में एक खत पर दस्तखत कराए गए कि चिट्ठी दिखाकर प्रधानमंत्री को विश्वास में लेना है।

उन्होंने कहा कि कल देर रात भी सरकार की ओर से जो चिट्ठी हमारे पास पहुंची, उसमें कालाधन के मुद्दे का कोई जिक्र नहीं था। उन्हाेंने कहा, 'कालीरात को जब मैं याद करता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं और मेरी आत्मा कांप उठती है। रामलीला मैदान पर कल मध्यरात्रि को जो हुआ वह बबर्रता की सारी हदें पार गया। मैंने वहां कार्रवाई करने आए पुलिसकर्मियों से निर्दोष महिलाओं और बच्चों पर लाठियां नहीं बरसाने का बार-बार अनुरोध किया, लेकिन रामलीला मैदान पर पुलिस का दमन चक्र चलता रहा।

रामदेव ने सीधे मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा, ''सिब्बल कुटिल और शातिर दिमाग के व्यक्ति हैं। उन्होंने हमारे साथ कुटिलता से चालें चलीं।' उन्होंने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बारे में भी कहा, 'जो लोग गैर-जिम्मेदार हैं और बेबुनियाद आरोप लगाते हैं, उनके बारे में मैं टिप्पणी करना उचित नहीं समझता।'

आंदोलन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा द्वारा प्रायोजित करने के आरोपों पर योगगुरु ने कहा कि उन्हें अन्य संगठनों और मुस्लिम समाज के लोगों का भी समर्थन था। तीन जून को तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने भी उनसे फोन पर बात कर समर्थन जताया था। अपने सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के बारे में उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में हैं और सुरक्षित हैं।

रामलीला मैदान पर सिर्फ योग शिविर करने की ही अनुमति होने से जुड़े सवाल पर रामदेव ने कहा कि योग के लिए हमने अनुमति ली थी और हजारों लोगों ने वहां योग किया भी। लेकिन योगासनों के बाद भ्रष्टाचार और कालाधन के मुद्दे पर जो उपवास किया गया, वह भी योग की मर्यादा और सीमा में आता है।

रामदेव ने कहा कि सरकार विदेशों में जमा कालाधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने, पेशेवर पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाएं भारतीय भाषाओं में कराने, भ्रष्टाचार के मुकदमों के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन करने और लोक सेवा वितरण अधिनियम बनाने के लिए विधेयक पेश करने पर सहमत हो चुकी थी, लेकिन इस संबंध में वह लिखित आश्वासन नहीं दे रही थी।

उन्होंने कहा कि कालाधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के बारे में अध्यादेश जारी करने को लेकर लिखित में आश्वासन नहीं देने के पीछे सरकार की यह दलील थी कि हम पहले अनशन खत्म कर दें।

रामदेव ने कहा कि सरकार के रुख से यह साफ होता है कि न न तो वह लोकपाल का गठन करना चाहती है और न न ही विदेशों में जमा कालाधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना चाहती है। इसके पीछे कारण यह है कि कालाधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने से सरकार के मंत्रियों और कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के कई नेता बेनकाब हो जाएंगे।

उन्होंने कहा, 'यह भी कहा जा रहा है कि मेरा अनशन प्रायोजित था। अगर प्रायोजित था तो फिर वहां मेरे समर्थकों पर लाठियां और आंसू गैस के गोले क्यों चलाए गए।'

सत्याग्रह पर सितम, इतिहास की सबसे काली रात


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सत्याग्रह पर सितम, इतिहास की सबसे काली रात

हरिद्वार, रविवार, 5 जून 2011( 15:38 IST )

दिल्ली के रामलीला मैदान से महिलाओं की वेशभूषा में बच निकलने का प्रयास करने वाले बाबा रामदेव ने चार जून की रात को इतिहास की काली रात बताते हुए कहा कि मुझे मारने की साजिश थी और रामलीला मैदान में मरना कोई बहादुरी का काम नहीं था इसलिए वहां से निकले।

सलवार कमीज पहने रामदेव ने कहा कि मैंने शौक के लिए यह कपड़े नहीं पहने हैं और मैं भेष बदलकर नहीं भागा लेकिन रामलीला मैदान में मारा जाना कोई बहादुरी नहीं थी।

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने मुझे मरवाने की योजना बना रखी थी और मैं रात को कार्रवाई के दौरान मंच से कूदकर एक दीवार के पास दो घंटे तक बैठा रहा।

दिल्ली से आज सुबह हरिद्वार पहुंचे योगगुरु ने कहा कि मरने से डरता तो यह काम नहीं करता लेकिन रामलीला मैदान में मरना कोई बहादुरी नहीं थी।

रामदेव ने कहा कि वहां महिलाओं का एक झुंड था वह उनके साथ शामिल होकर रामलीला मैदान से बाहर निकलने में सफल रहे और झुंड में ही पैदल चलने लगे, लेकिन कुछ कार्यकर्ताओं के मुंह से गलती से यह आवाज निकल गई कि ‘कोई पुलिस वाला नहीं आएगा’। इसके बाद पुलिस वाले सतर्क हो गए और उन्होंने मुझे पकड़ लिया।

बाबा ने कहा कि उनके गले में पड़े कपड़े को पुलिसकर्मियों ने फंदे की तरह पकड़ा, जिससे उनके गले में सूजन भी आ गए है। रामदेव के अनुसार कि मैंने पुलिस वालों से पूछा कि मैंने कालाधन, भ्रष्टाचार की बात करके कोई गुनाह नहीं किया है तो मेरे साथ अपराधी जैसा व्यवहार क्यों।

योगगुरु के चेहरे पर परेशानी और चिंता साफ देखी जा सकती थी। वह महिलाओं की उसी पोशाक में मीडिया से मुखातिब हुए, जिसे पहनकर वह कल मध्यरात्रि के बाद रामलीला मैदान से बाहर निकले थे।

रामदेव ने कहा कि सरकार के साथ बातचीत होने के बाद हमें यह धमकी दी गई थी कि या तो हम बात मान लें या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। इसलिये आचार्य बालकृष्ण से यह झूठ बोलकर दबाव में एक खत पर दस्तखत कराए गए कि चिट्ठी दिखाकर प्रधानमंत्री को विश्वास में लेना है।

उन्होंने कहा कि कल देर रात भी सरकार की ओर से जो चिट्ठी हमारे पास पहुंची, उसमें कालेधन के मुद्दे का कोई जिक्र नहीं था।

उन्होंने कहा कि कालीरात को जब मैं याद करता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं और मेरी आत्मा कांप उठती है। रामलीला मैदान पर कल मध्यरात्रि को जो हुआ वह बबर्रता की सारी हदें पार गया। मैंने वहां कार्रवाई करने आए पुलिसकर्मियों से निर्दोष महिलाओं और बच्चों पर लाठियां नहीं बरसाने का बार-बार अनुरोध किया, लेकिन रामलीला मैदान पर पुलिस का दमन चक्र चलता रहा।

रामदेव ने सीधे मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘सिब्बल कुटिल और शातिर दिमाग के व्यक्ति हैं। उन्होंने हमारे साथ कुटिलता से चालें चलीं। उन्होंने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बारे में भी कहा कि जो लोग गैर-जिम्मेदार हैं और बेबुनियाद आरोप लगाते हैं, उनके बारे में मैं टिप्पणी करना उचित नहीं समझता।

आंदोलन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा द्वारा प्रायोजित करने के आरोपों पर योगगुरु ने कहा कि उन्हें अन्य संगठनों और मुस्लिम समाज के लोगों का भी समर्थन था। तीन जून को तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने भी उनसे फोन पर बात कर समर्थन जताया था। अपने सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के बारे में उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में हैं और सुरक्षित हैं।

रामलीला मैदान पर सिर्फ योग शिविर करने की ही अनुमति होने से जुड़े सवाल पर रामदेव ने कहा कि योग के लिए हमने अनुमति ली थी और हजारों लोगों ने वहां योग किया भी। लेकिन योगासनों के बाद भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर जो उपवास किया गया, वह भी योग की मर्यादा और सीमा में आता है।

रामदेव ने कहा कि सरकार विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने, पेशेवर पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाएं भारतीय भाषाओं में कराने, भ्रष्टाचार के मुकदमों के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन करने और लोक सेवा वितरण अधिनियम बनाने के लिए विधेयक पेश करने पर सहमत हो चुकी थी, लेकिन इस संबंध में वह लिखित आश्वासन नहीं दे रही थी।

उन्होंने कहा कि कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के बारे में अध्यादेश जारी करने को लेकर लिखित में आश्वासन नहीं देने के पीछे सरकार की यह दलील थी कि हम पहले अनशन खत्म कर दें।

रामदेव ने कहा कि सरकार के रुख से यह साफ होता है कि न तो वह लोकपाल का गठन करना चाहती है और न न ही विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना चाहती है। इसके पीछे कारण यह है कि कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने से सरकार के मंत्रियों और कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के कई नेता बेनकाब हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि यह भी कहा जा रहा है कि मेरा अनशन प्रायोजित था। अगर प्रायोजित था तो फिर वहां मेरे समर्थकों पर लाठियां और आंसू गैस के गोले क्यों चलाए गए। (भाषा)

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पतंजलि आश्रम पहुंचे बाबा रामदेव

नई दिल्ली, रविवार, 5 जून 2011( 12:17 IST )
बाबा रामदेव आज दिल्ली से विशेष विमान से देहरादून पहुंचे और वहां से उन्हें हरिद्वार स्थित पतंजलि आश्रम लाया गया। वे पूरी तरह सफेद कपड़ों में हैं। उन्होंने देहरादून एयरपोर्ट पर किसी से भी बातचीत नहीं की है।

योगगुरु बाबा रामदेव ने ओम् और गायत्री मंत्र का जाप करते हुए अपनी गिरफ्तारी दी थी। ऐतिहासिक रामलीला मैदान पर मध्यरात्रि के बाद करीब एक बजे जब पुलिस का दल बल पहुंचा तो बाबा ने पुलिस और अपने समर्थकों के बीच संभावित संघर्ष को टालने की भरपूर कोशिश की।

पुलिस बल के घेरे में रहते हुए भी बाबा ने अपने समर्थकों से कहा कि वे उत्तेजित नहीं हों। उन्होंने लोगों से ओम् और गायत्री मंत्र का उच्चारण भी कराया।

गिरफ्तारी के नाटकीय घटनाक्रम में लाठीचार्ज, पथराव और आंसूगैस के गोले छोड़े गए तथा मैदान पर अफरातफरी मच गई। इसी बीच पुलिस बाबा को मंच से हटाकर एक ओर ले गई।

चंडीगढ़ से आई एक बुजुर्ग महिला ने पुलिस कार्रवाई का आंखों देखा हाल बताते हुए कहा कि महिलाएं और बच्चे पुलिस ज्यादती का शिकार हुए। पुलिस ने बुजुर्ग महिला को भी मैदान से चले जाने को कहा।

महिला ने जब यह कहा कि वह चंडीगढ़ से आई है और कहां जाये तो पुलिसकर्मी ने बदतमीजी से कहा कि सड़क पर जाओ।

बाबा के एक निकट सहयोगी सम्पूर्णानंद के अनुसार पुलिस बल में एक भी महिला पुलिसकर्मी नहीं थी। मध्यरात्रि के बाद सारे नियम कायदों को ताक पर रख कर पुलिस कार्रवाई की गई।

बाबा के संगठन भारत स्वाभिमान आंदोलन के एक पदाधिकारी के अनुसार वह भारत के मुख्य न्यायाधीश एचएस कपाड़िया से पूरे मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह करेंगे। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय को पुलिस कार्रवाई का संज्ञान लेना चाहिए। (एजेंसी)


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मेरी हत्या की साजिश-रामदेव
कहा- ...तो सोनिया और कांग्रेस जिम्मेदार

हरिद्वार, रविवार, 5 जून 2011( 22:33 IST )

बीती मध्यरात्रि से जारी नाटकीय घटनाक्रमों के बाद बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रखने की घोषणा करते हुए रविवार को यहां सनसनीखेज दावा किया कि रामलीला मैदान पर उनकी हत्या करने की साजिश रची गई थी।

दिल्ली से हिरासत में लिए जाने के बाद रामदेव को हेलिकॉप्टर के जरिए देहरादून भेज दिया गया, जहां से वे हरिद्वार पहुंचे। यहां पहुंचने के कुछ ही देर बाद बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में रामदेव ने कल मध्यरात्रि के बाद हुए घटनाक्रमों का सिलसिलेवार ब्योरा बताया और सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए।

लाशें बिछा देने की तैयारी थी : रामदेव ने दावा किया कि सरकार की रामलीला मैदान पर लाशें बिछा देने की तैयारी थी और यदि हमारे कार्यकर्ता धैर्य से काम नहीं लेते तो वहां हजारों लोग मारे जाते।

याद आया जलियांवाला : उन्होंने कल की घटना की तुलना जलियांवाला बाग की घटना से करते हुए दावा किया कि रामलीला मैदान पर मुझे गिरफ्तार करने के बाद मेरा एनकाउंटर करने या मुझे गायब कर देने की तैयारी थी। वहां मेरी हत्या करने की साजिश थी। जब तीन जून को दिल्ली के एक होटल में भी हमारी सरकार से बातचीत चल रही थी, तब भी रामलीला मैदान पर बड़ी तादाद में पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए थे।

...तो सोनिया जिम्मेदार : रामदेव ने कहा कि यदि मेरे जीवन के समक्ष कोई खतरा उत्पन्न होता है तो इसकी जिम्मेदारी सोनिया गांधी और कांग्रेस की होगी। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी, लेकिन आगे क्या रणनीति अपनायी जाएगी, इसका जल्द ही खुलासा करेंगे।

आपातकाल जैसा अत्याचार : योगगुरु ने कहा कि सरकार कालेधन पर अध्यादेश तो नहीं लाई, लेकिन उसने आपातकाल जैसा अत्याचार किया। योगगुरु के चेहरे पर परेशानी और चिंता साफ देखी जा सकती थी। वे महिलाओं की उसी पोशाक में मीडिया से मुखातिब हुए, जिसे पहनकर कल मध्यरात्रि के बाद रामलीला मैदान से बाहर निकले थे।

हमें धमकी दी गई थी : रामदेव ने कहा कि सरकार के साथ बातचीत होने के बाद हमें यह धमकी दी गई थी कि या तो हम बात मान लें या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। इसलिए आचार्य बालकृष्ण से यह झूठ बोलकर दबाव में एक खत पर दस्तखत कराए गए कि चिट्ठी दिखाकर प्रधानमंत्री को विश्वास में लेना है। उन्होंने कहा कि कल देर रात भी सरकार की ओर से जो चिट्ठी हमारे पास पहुंची, उसमें कालेधन के मुद्दे का कोई जिक्र नहीं था।

कांप जाती है आत्मा : उन्होंने कहा कि कालीरात को जब मैं याद करता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं और मेरी आत्मा कांप उठती है। रामलीला मैदान पर कल मध्यरात्रि को जो हुआ वह बर्बरता की सारी हदें पार गया। मैंने वहां कार्रवाई करने आए पुलिसकर्मियों से निर्दोष महिलाओं और बच्चों पर लाठियां नहीं बरसाने का बार-बार अनुरोध किया, लेकिन रामलीला मैदान पर पुलिस का दमन चक्र चलता रहा।

कुटिल हैं कपिल सिब्बल : रामदेव ने सीधे मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा कि सिब्बल कुटिल और शातिर दिमाग के व्यक्ति हैं। उन्होंने हमारे साथ कुटिलता से चालें चलीं। उन्होंने कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह के बारे में भी कहा कि जो लोग गैर-जिम्मेदार हैं और बेबुनियाद आरोप लगाते हैं, उनके बारे में मैं टिप्पणी करना उचित नहीं समझता।

आंदोलन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा द्वारा प्रायोजित करने के आरोपों पर योगगुरु ने कहा कि उन्हें अन्य संगठनों और मुस्लिम समाज के लोगों का भी समर्थन था। तीन जून को तेलुगू देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने भी उनसे फोन पर बात कर समर्थन जताया था। अपने सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के बारे में उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में हैं और सुरक्षित हैं।

हमने नहीं लांघी मर्यादा : रामलीला मैदान पर सिर्फ योग शिविर करने की ही अनुमति होने से जुड़े सवाल पर रामदेव ने कहा कि योग के लिए हमने अनुमति ली थी और हजारों लोगों ने वहां योग किया भी, लेकिन योगासनों के बाद भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर जो उपवास किया गया, वह भी योग की मर्यादा और सीमा में आता है।

रामदेव ने कहा कि सरकार विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने, पेशेवर पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाएं भारतीय भाषाओं में कराने, भ्रष्टाचार के मुकदमों के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन करने और लोकसेवा वितरण अधिनियम बनाने के लिए विधेयक पेश करने पर सहमत हो चुकी थी, लेकिन इस संबंध में वह लिखित आश्वासन नहीं दे रही थी।

उन्होंने कहा कि कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के बारे में अध्यादेश जारी करने को लेकर लिखित में आश्वासन नहीं देने के पीछे सरकार की यह दलील थी कि हम पहले अनशन खत्म कर दें।

...तो बेनकाब होंगे मंत्री और कांग्रेस नेता : रामदेव ने कहा कि सरकार के रुख से यह साफ होता है कि न तो वह लोकपाल का गठन करना चाहती है और न ही विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना चाहती है। इसके पीछे कारण यह है कि कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने से सरकार के मंत्रियों और कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के कई नेता बेनकाब हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि यह भी कहा जा रहा है कि मेरा अनशन प्रायोजित था। अगर प्रायोजित था तो फिर वहां मेरे समर्थकों पर लाठियां और आंसू गैस के गोले क्यों चलाए गए। (भाषा)

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रात में तेजी से बदला घटनाक्रम
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रविवार, 5 जून 2011( 10:24 IST )
राजधानी दिल्ली में मध्यरात्रि की पुलिस कार्रवाई के कुछ घंटे पहले और कुछ घंटे बाद का घटनाक्रम घड़ी की इन सुइयों के साथ हुआ।

* दस बजे बाबा को विमान से देहरादून ले जाया।
* सुबह लगभग 9 बजे रामदेव सफदरगंज हवाईअड्डे पर दिखाई दिए। दिल्ली से बाहर ले जाने की तैयारी।
* 5.00 बजे रामलीला मैदान लगभग खाली हो गया।
* तड़के 4.10 बजे रामलीला मैदान पर बिजली काटी गई।
* 3.15-4.00 बजे के बीच पुलिस ने मंच और टेंटों को उखाड़ना शुरू कर दिया।
* 2.45 से 3.15 बजे के बीच पुलिस बाबा को गिरफ्तार कर अज्ञात स्थान पर ले गई।
* मध्यरात्रि के बाद 2.00 से 3.00 बजे के बीच पुलिस ने रामलीला मैदान पर आंसूगैस के गोले छोड़े। समर्थकों की भीड़ तितर-बितर हो गई।
* 2.00 से 2.30 बजे बाबा अपने समर्थकों के पास मंच पर गए। पुलिस ने मंच को घेरे में ले लिया। समर्थकों ने पुलिसकर्मियों को मंच पर चढ़ने से रोका।
* मध्यरात्रि के बाद 1.15 पुलिस बल मंच पर पहुंचा जहां बाबा सोए हुए थे। बाबा के समर्थकों ने उन्हें अपने घेरे में ले लिया तथा मंच के नीचे ले गए। समर्थकों ने बाबा को कंधे पर उठा लिया।
* पांच जून मध्यरात्रि के बाद 12.30 बजे से एक बजे : सैंकडों पुलिस कर्मियों ने रामलीला मैदान पर धावा बोला। पुलिस अधिकारियों ने बाबा को गिरफतार करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि उनके पास मैदान को सवेरे तक खाली कराने के आदेश हैं।
* शाम साढ़े सात बजे सरकार की कार्रवाई से क्षुब्ध बाबा रामदेव ने सरकार पर विश्वासघात करने का आरोप लगाया और अनिश्चितकालीन अनशन जारी रखने की घोषणा की।
* शाम सवा सात बजे केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने प्रेस कांफ्रेंस में बाबा रामदेव का कथित पत्र सार्वजनिक किया।
* चार जून शाम सात बजे सरकार ने बाबा रामदेव को फोनकर मानी मांग। (वार्ता/वेबदुनिया न्
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