Hi this is Manthan Aryan is here. ***************************** आसमा से उपर.... एक उड़ान की ख़्वाहिश है..!! जहाँ हो हर क़दम सितारो पर.... उस ज़मीन की ख़्वाहिश है..!! जहाँ पहचान हो लहू की हर एक बूँद की.... उस नाम की ख़्वाहिश है..!! जहाँ खुदा भी आके मुझसे पूछे..... "बता, क्या लिखू तेरे मुक्क़दर मे....?" उस मुकाम की ख़्वाहिश है..!! *************************** इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ. सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ. जो ना समझ सके, उनके लिये “कौन”. जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ
Tuesday, June 7, 2011
पुलिस के 'मैदान मारने' की कहानी में कई पेंच....
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पुलिस के 'मैदान मारने' की कहानी में कई पेंच
नई दिल्ली, मंगलवार, 7 जून 2011( 14:03 IST )
रामलीला मैदान में भूखे-सोए लोगों पर कहर बरपाने वाली दिल्ली पुलिस की कहानी में कई पेंच है। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि बाबा रामदेव की दी गई कड़ी जेडप्लस सुरक्षा इस पूरे ड्रामे के दौरान कहां गायब हो गई थी। क्या ऐसे में बाबा पर जानलेवा हमला नहीं हो सकता था। लाठीचार्ज नहीं करने का पुलिसिया दावा भी बेदम नजर आता है। खुद को बचाने में जुटी पुलिस ने सोमवार की रात शिविर के सीसीटीवी रिकार्ड पर भी जबरन कब्जा कर लिया।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिनशर लॉ एंड ऑर्डर की बात को सही माने तो बाबा रामदेव की जान को खतरा था। इसी के तहत शनिवार की सुबह ही उन्हें कड़ी सुरक्षा वाली जेडप्लस सुरक्षा देने का दावा दी गई थी। इसके तहत आठ नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के कंमाडो का एक सुरक्षा घेरा बाबा को मुहैया कराया जाता। लेकिन यह सुरक्षा बाबा को मुहैया कराई नहीं गई। अगर पुलिस या सरकार की नीयत साफ होती है तो यह सुरक्षा बाबा को मिल गई होती। जिस तरह से इतनी भारी भीड़ में बाबा के साथ जबरदस्ती हुई, क्या ऐसे में कोई उन पर हमला नहीं कर सकता था।
पुलिस ने शिविर में आने वाले समर्थकों की सघन तलाशी के लिए एक्सरे मशीन लगाई थी। इसमें हर बैग स्कैन होकर शिविर में गया। लेकिन पुलिस का दावा है कि बाबा के समर्थकों ने पुलिस पर पत्थर बरसाए। अब सवाल यह है कि इतनी कड़ी सुरक्षा व एक्सरे स्कैनर के बाद भी पत्थर शिविर में कैसे पहुंच गए। क्या यह पुलिस की विफलता नहीं है।
पुलिस का दावा है कि कोई लाठीचार्ज नहीं किया गया। लेकिन नईदुनिया के पास ही ऐसे फोटो है, जो साफ दर्शाते है कि लाठीचार्ज हुआ है। लोगों का भी आरोप है कि इसी लाठीचार्ज में उनके हाथ-पैर टूटे है। पुलिस का कहना है कि मंच से गिरने से लोगों के हाथ पैर-टूटे।
पुलिस की नीयत इससे भी पता लग जाती है कि सोमवार की रात पुलिस ने बाबा की ओर से शिविर में लगाए सीसीटीवी के रिकार्ड पर भी जबरन कब्जा कर लिया। मालवीय नगर थाने की पुलिस टीम ने सावित्री नगर स्थित सीसीटीवी लगाने वाली कंपनी के दफ्तर पर धावा बोल दिया। भारत स्वाभिमान न्यास के दिल्ली प्रदेश के संगठन मंत्री अनुज सोम का आरोप था कि वह लोग पुलिस की रिकार्ड देने को तैयार थे, लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। पूरी रिकार्ड मशीन को ही पुलिस उठाकर ले गई। अब पुलिसिया अत्याचार का पता शायद ही लग पाए। न्यास के इस रिकार्ड को जबरन ले जाने के पीछे पुलिस का क्या उद्देश्य है। क्या पुलिस अपनी बर्बरता को छुपाना चाहती है।
पुलिस के इस पूरे ऑपरेशन के दौरान शिविर की बिजली भी काट दी गई। बिजली काटने के पीछे क्या उद्देश्य था। कहीं बिजली काटने के बाद ही तो लाठीचार्ज नहीं किया गया ताकि मीडिया इसकी सही कवरेज न कर पाए।
इसमें एक अहम सवाल यह भी है कि बकौल पुलिस बाबा को पांच हजार लोगों के लिए शिविर लगाने की अनुमति मिली थी। लेकिन शिविर लगाया गया था करीब एक लाख लोगों के लिए। इतना बड़ा तामझाम पुलिस को नजर नहीं आया। ऐसे में पुलिस का खुफिया विभाग कहां सोया हुआ था। कैसे उन्हें इस बात की भनक नहीं लगी कि इतना बड़ा आंदोलन होने वाला है
सौजन्य से - नईदुनिया
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