Thursday, October 8, 2009

काश इश्क न किया होता


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इंजीनियर वों हैं
जो अक्सर फसता है
साझात्कर के सवाल मे
बड़ी कम्पनी के जाल मे
बासँ और कलाइँट के बवाल मे,
इंजीनियर वो हैं,
जो पक गया है,
मीटिंग की झेलाई मे,
सबमिसन की गहराई मे,
टीमवर्क की चटाइँ मे,
इंजीनियर वो हैं,
जो लगा रहता है,
सिडुयुल को फिसलाने मे,
टार्गेट्स को खिसकाने मे,
रोज़ नए नए बहाने बनाने मे,
इंजीनियर वो हँ,
जो लंच टाइम मे ब्रेंकफास्ट लेता है,
डिनर टाइम मे लंच करता है , और,
कोम्मुटेशन के वक्त,
सोया करता है,
इंजीनियर वोह है,
जो पागल है,
चाय और समोसें के प्यार मे,
सिगरेट के खुमार मे,
बँढ्वाचिंग के विचार मे,
इंजीनियर वो है,
जो खोया है,
रिमान्ड्र्सँके जवाब मे,
न मिलने वाले हिसाब मे,
बेहतर भविष्य के ख्वाब मे,
इंजीनियर वो है,
जिसे इंतज़ार है,
वीकएंड नाइट पर धूम मचने का,
बॉस के छूटी पर जाने का,
इन्क्रीमेंट की ख़बर आने का,
इंजीनियर वो हँ i,
जो सोचता है,
काश पढ़ाई पर ध्यान दिया होता,
काश टीचर से पंगा न लिया होता,
काश इश्क न किया होता