Hi this is Manthan Aryan is here. ***************************** आसमा से उपर.... एक उड़ान की ख़्वाहिश है..!! जहाँ हो हर क़दम सितारो पर.... उस ज़मीन की ख़्वाहिश है..!! जहाँ पहचान हो लहू की हर एक बूँद की.... उस नाम की ख़्वाहिश है..!! जहाँ खुदा भी आके मुझसे पूछे..... "बता, क्या लिखू तेरे मुक्क़दर मे....?" उस मुकाम की ख़्वाहिश है..!! *************************** इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ. सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ. जो ना समझ सके, उनके लिये “कौन”. जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ
Thursday, October 8, 2009
काश इश्क न किया होता
http://anaryan.hi5.com
इंजीनियर वों हैं
जो अक्सर फसता है
साझात्कर के सवाल मे
बड़ी कम्पनी के जाल मे
बासँ और कलाइँट के बवाल मे,
इंजीनियर वो हैं,
जो पक गया है,
मीटिंग की झेलाई मे,
सबमिसन की गहराई मे,
टीमवर्क की चटाइँ मे,
इंजीनियर वो हैं,
जो लगा रहता है,
सिडुयुल को फिसलाने मे,
टार्गेट्स को खिसकाने मे,
रोज़ नए नए बहाने बनाने मे,
इंजीनियर वो हँ,
जो लंच टाइम मे ब्रेंकफास्ट लेता है,
डिनर टाइम मे लंच करता है , और,
कोम्मुटेशन के वक्त,
सोया करता है,
इंजीनियर वोह है,
जो पागल है,
चाय और समोसें के प्यार मे,
सिगरेट के खुमार मे,
बँढ्वाचिंग के विचार मे,
इंजीनियर वो है,
जो खोया है,
रिमान्ड्र्सँके जवाब मे,
न मिलने वाले हिसाब मे,
बेहतर भविष्य के ख्वाब मे,
इंजीनियर वो है,
जिसे इंतज़ार है,
वीकएंड नाइट पर धूम मचने का,
बॉस के छूटी पर जाने का,
इन्क्रीमेंट की ख़बर आने का,
इंजीनियर वो हँ i,
जो सोचता है,
काश पढ़ाई पर ध्यान दिया होता,
काश टीचर से पंगा न लिया होता,
काश इश्क न किया होता
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