Thursday, August 11, 2011

राहुल गांधी -सुकन्या बलात्कार काण्ड...राहल के अपराधों की लिस्ट और बड़ी हो सकती है




कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को बलात्कारी बताना  को भारी पड़......
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कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को बलात्कारी बताना किशोर समरीते को भारी पड़ गया है. एक ओर जहां इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उनके खिलाफ पचास लाख का जुर्माना किया है वहीं सरकार ने इस पूरे मामले में सीबीआई जांच का आदेश दे दिया है. हालांकि समरीते का कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद वे अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.

1 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी के नाम एक नोटिस जारी करते हुए उनसे पूछा था कि वे इस संबंध में अदालत में याचिकाकर्ता के आरोपों का जवाब दें.राहुल गांधी को अदालत ने दो सप्ताह का वक्त दिया था. लेकिन एक सप्ताह के भीतर ही अदालत में एक डबल बेंच बैठी और उसने न केवल उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें राहुल गांधी द्वारा कथित तौर पर बलात्कार पीड़ित सुकन्या सिंह तथा उसके परिजनों को बंधक बनाकर रख लेने का संदेह जताया गया था बल्कि याचिकाकर्ता किशोर समरीते पर पचास लाख का जुर्माना भी लगा दिया. जुर्माने की इस रकम में 25 लाख रूपये उस लड़की को दिये जाएंगे जिसका नाम आ रहा है, 20 लाख रूपये राहुल गांधी को दिये जाएंगे और पांच लाख रुपये की रकम पुलिस महानिदेशक को दिये जाएंगे जिन्होंने समय के भीतर पीड़ित परिजनों को हाजिर कर दिया.

याचिकाकर्ता किशोर समरीते का कहना हैं कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद वे सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं. अदालत में सुनवाई के दौरान पुलिस महानिदेशक करमवीर सिंह ने आज बलराम सिंह, उनकी पत्नी सावित्री और पुत्री सुकन्या को अदालत में पेश किया। तीनों ने कहा कि न तो उनका अपहरण हुआ और न उन पर कोई जुल्म किया गया। अब किशोर समरीते सवाल उठा रहे हैं कि जिन लोगों को सुकन्या देवी, बलराम सिंह और सावित्री देवी बनाकर पुलिस ने अदालत के सामने पेश किया है वे वह हैं ही नहीं. अदालत के सामने झूठे लोगों को पेश किया गया है. समरीते बताते हैं कि जिसे सुकन्या देवी बताकर पुलिस ने अदालत के सामने पेश किया है उसका नाम मोना है, जबकि सावित्री देवी की जगह कीर्ति सिंह और बलराम सिंह की जगह डॉ बलराम सिंह को पेश किया गया है. किशोर कहते हैं कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं और उन्हीं सबूतों के आधार पर वे सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं.

3 दिसंबर 2006 में कथित तौर पर घटी इस घटना के संबंध में जो खबरें आयी हैं उससे कांग्रेस पार्टी में खासा रोष है. कांग्रेस ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी जिसे देखते हुए केन्द्र ने सीबीआई जांच का आदेश दे दिया है. पार्टी ने 8 मार्च को एक विज्ञप्ति जारी करके कहा था कि राहुल गांधी की छवि खराब करने के लिए जानबूझकर कुछ लोग इस तरह की अफवाह फैला रहे हैं.



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Friday, March 13, 2009
राहुल गांधी की आपराधिक पृष्ठभूमी

 
राहुल गांधी -सुकन्या बलात्कार काण्ड के बारे में लगभग सबको पता चल चुका है .और राहल के अपराधों की लिस्ट और बड़ी हो सकती है। परन्तु उन में से दो ऐसे अपराध हैं जिनके प्रमाणिक तथ्य उपलब्ध है ,वे इस प्रकार हैं ।
१-सितम्बर २००१ में राहुल अपनी सीक्रेट वाइफ जुअनिता उर्फ़ वेरोनिका के साथ अमेरिका के बोस्टन एयर पोर्ट पर ऍफ़ बी आई द्वारा गिरफ्तार किया गया था .उसके पास से इटालियन पासपोर्ट ,और सूटकेस से अवैध रूप से २०००० अमेरिकन डालर बरामद हुए थे। इस गिरफ्तारी के बारे में लखनऊ के ६ वकीलों ने हाईकोर्ट के माध्यम से ऍफ़ बी आई से जानकारी देने हेतु एक याचिका भी दायर भी की थी।

राहुल को छुडाने के लिए सोनिया ने ब्रिजेश मिश्रा से अनुरोध किया था .जो उस समय प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के सलाहकार थे। ब्रिजेश मिश्रा की लड़की ज्योत्स्ना एक इटालियन व्यक्ती से ब्याही है ,जो सोनिया का परिचित था.उसने ज्योत्स्ना के माध्यम से ब्रिजेश मिश्रा पर दवाब डाला की वह बाजपेयी से ,राहुल को छुडाने के लिए बुश प्रशाशन से कहें .और इस तरह से बाजपेयी के प्रयासों से राहुल को छुडाया जा सका था।
२-इंडियन एक्सप्रेस दिनांक ०३जन ०५ के अनुसार अपनी कोलंबियन गर्ल फ्रेंड जुअनिता के साथ केरल के कुमार कौनम ताज होटल में तीन दिन-रात रहा था .यह जगह केरल के कोच्ची नाम की जगह के पास है .जब होटल के मालिक ने राहुल से उसके साथ वाली लड़की के बारे में जानकारी चाही तो ,राहुल ने गोलमाल सा जवाब दिया। इस पर उसी होटल में रुके हुए एक रिटायर्ड प्रोफेसर जोन एम् इत्ती ने ३१दिसम्बर ०४ को लेरल की अलिपुज्हा जिला अदालत में राहुल के ख़िलाफ़ इम्मोरल ट्रैफिक एक्ट के अधीन मुकद्दमा दायर कर दिया था .यह केस अभी अदालत में लंबित है ।
इस से आप समझ सकते हैं की राहुल किस प्रकार का व्यक्ति है .उसे सच्चाई छुपाने की क्या जरूरत थी। सच तो यह है की पूरा सोनिया परिवार ही झूठा है राहुल के बाप राजीव ने दावा किया था की उसने कैम्ब्रिज से मेकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री की थी ,जो बाद में सरासर झूठ निकला .उसकी माँ ने कहा की उसने कैम्ब्रिज सेअन्ग्रेज़ी की डिग्री ली है,यह भी झूठ है .उसने सिर्फ़ एक कोचिंग स्कूल से अन्ग्रेज़ी सीखने का प्रमाण पत्र लिया है.अब राहुल भी ख़ुद को एम् फिल बताता फिरता है ,लेकिन जब उसने बी ऐ पास ही नहीं किया तो ,तो एम् फिल होना कैसे सम्भव हो सकता है।
यह सब मकार और चार सौ बीस हैं .ऐसे लोगों से देश को बचाना हमारा परम कर्तव्य है।
जय भारत
बी एन शर्मा -भोपाल दिनांक १३ मार्च 2009

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वंदेमातरम का अमर बलिदानी बालक खुदीराम


वंदेमातरम का अमर बलिदानी बालक खुदीराम

जंग ए आजादी के इतिहास में एक ऐसे क्रांतिकारी का भी नाम है जिसने मात्र 19 साल की उम्र में हंसते- हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया था। पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में 3 दिसंबर 1889 को जन्मे खुदीराम बोस ने आजादी को अपने जीवन का सबसे परम ध्येय बना लिया था और इसीलिए वह नौवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़कर स्वतंत्रता के हवन यज्ञ में कूद पड़े। वह रिवोल्यूशनरी पार्टी के सदस्य बने और वंदेमातरम लिखे पर्चे वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बंगाल विभाजन के विरोध में 1905 में चले आंदोलन में भी उन्होंने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।


इतिहासकार शिरोल ने खुदीराम के बारे में लिखा है कि बंगाल का यह वीर लोगों में अत्यधिक लोकप्रिय था और वे उसे अपना आदर्श मानते थे। विप्लवी प्रवृत्ति के इस बालक को जब 28 फरवरी 1906 को गिरफ्तार किया गया तो वह कैद से भाग निकला। लगभग दो महीने बाद उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन 16 मई 1906 को उन्हें रिहा कर दिया गया। प्रोफेसर एनकेपी सिन्हा के अनुसार खुदीराम का क्रांतिकारी चेहरा बचपन में ही नजर आने लगा था। एक बार जब क्रांतिकारी गतिविधियों के संचालन से जुड़ी गुप्त समिति के सदस्य और महान क्रांतिकारी नेता हेमचंद्र कानूनगो साइकिल से जा रहे थे तो खुदीराम ने उनका रास्ता रोककर अंग्रेजों को मारने के लिए उनसे बंदूक मांगी।

सिन्हा के मुताबिक खुदीराम की इस मांग से हेमचंद्र यह सोचकर हैरान रह गए कि इस बालक को कैसे पता चला कि उनके पास बंदूक मिल सकती है। आगे चलकर खुदीराम ने हेमचंद्र के नेतृत्व में कई क्रांतिकारी गतिविधियों को खुदीराम ने छह दिसंबर 1907 को नारायणगढ़ रेलवे स्टेशन पर बंगाल के गवर्नर की विशेष ट्रेन पर हमला किया, लेकिन वह बच गया। उन्होंने 1908 में दो अंग्रेज अधिकारियों वाटसन और पैम्फायल्ट फुलर पर बम से हमला किया, लेकिन ये दोनों भी बच निकले।

बंगाल का यह वीर क्रांतिकारी मुजफ्फरपुर के सेशन जज किंग्सफोर्ड से बेहद खफा था, जिसने कई क्रांतिकारियों को कड़ी सजा दी थी। उन्होंने अपने साथी प्रफुल्ल चंद चाकी के साथ मिलकर किंग्सफोर्ड से बदला लेने की योजना बनाई। दोनों मुजफ्फरपुर आए और 30 अप्रैल 1908 को सेशन जज की गाड़ी पर बम फेंक दिया, लेकिन उस समय इस गाड़ी में किंग्सफोर्ड की जगह उसकी परिचित दो यूरोपीय महिलाएं सवार थीं जो मारी गर्इं। दोनों क्रांतिकारियों को इसका काफी दुख हुआ। अंग्रेज पुलिस उनके पीछे लगी और वैनी रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया। ाुदीराम पकड़े गए ्र जबकि प्रफुल्ल चंद चाकी ने खुद को गोली से उड़ा लिया।

उन्नीस साल की उम्र में 11 अगस्त 1908 को मुजफ्फरपुर जेल में खुदीराम को फांसी दे दी गई। इस बलिदान के बाद वह इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे ऐसी धोती बुनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था। शिरोल ने लिखा है कि बंगाल के राष्ट्रवादियों के लिए वह वीर शहीद और अनुकरणीय हो गया। विद्यार्थियों तथा अन्य लोगों ने शोक मनाया। कई दिन तक स्कूल बंद रहे और नौजवान ऐसी धोती पहनने लगे जिनकी किनारी पर खुदीराम लिखा होता था।

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दिग्विजय सिंह बाबा रामदेव और अन्ना हजारे का विरोध क्यों करता है

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दिग्विजय सिंह अक्सर आर.एस.एस. ,बी.जे.पी और अन्य हिंदूवादी संगठनों को गलियां क्यों देता है ,बाबा रामदेव और अन्ना हजारे का विरोध क्यों करता है ?राहुल गंदी की तारीफें करके सोनिया की चापलूसी क्यों करता है ?यह ऐसे सवाल हैं ,जो लोगों के मन में उठते रहते हैं .परेक बात सब लोग जानते हैं कि सोनिया .मनमोहन ,दिग्विजय ,अहमद पटेल ,विलास राव ,शीलादीक्षित ,शहीद बलवा ,और हसन अली सब एक ही थैले कि चट्ते बट्टे है,इन सबका विदेशों में अरबों रूपया जमा है .
लोग यह भी जानते हैं कि दिग्विजय एक चालाक ,और मक्कार व्यक्ति है .और राजनीति का घाघ खिलाडी है .उसे एक तीर से कई शिकार करने का अभ्यास है .अंगरेजी क़ी कहावत है ,कि यदि किसी औरत को पटाना हो ,तो उसके कुत्ते तक की तारीफ़ करो .इसी लिए दिग्विजय हर तरह से सोनिया को खुश करता रहता है .क्योंकि असल सत्ता उसी के पास है .वर्ना एक विदेशी विधवा सिवाय भ्रष्टाचार और महगाई के आलावा क्या पैदा कर सकती है .आप सब ने देखा है कि जैसे जैसे भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन तेज होता जा रहा है यह सब एकजुट होने लगे हैं ,और सोनिया कि शरण में आ रहे है .जैसे कुत्तों के पिल्ले अपनी माँ के पास सिमट जाते हैं .
मुझे लगता है कि दिग्विजय की चमचागिरी के पीछे यही कारण होना चाहिए ,दिग्विजय ने अपने शासनकाल में मध्य प्रदेश को चौपट कर दिया था .इसके समय भ्रष्टाचार चरम सीमा पर था .वैसे तो इसने कई घोटाले किये थे .लेकिन ताजा कर्जा घोटाला (loan scam )सुप्रीम कोर्ट में पहुच गया है .दिग्विजय सन 1994 से 2000 तक मध्य प्रदेश का मुख्य मंत्री रहा .इसने "State Industrial Development Corporation "के माध्यम से कुछ औद्योगिक समूहों को सात सौ उन्नीस (719 )करोड़ रूपया बिना किसी जमानत ,या शर्त के कर्जा दे दिया था .और कर्जा लेने वालों से कोई जमानत (security )भी नहीं ली .यह सब दिग्विजय के मित्र थे .जब सन 2005 कर्जे की न तो किश्त जमा हुई ,और न ब्याज ही जमा हुआ तो बी. जे. पी की सरकार का माथा ठनका .उस समय कारपोरेशन का मेनेजिंग डायरेक्टर S .R .Mohanty था .जो एक I .A .S अधिकारी था .सरकार ने इस मामले की (EOW ) Economic Offences Wing से जाँच की तो पता चला कि यह कर्जा दिग्विजय ने उद्योगपतिओं को ICD योजना अर्थात "Inter Corporate Deposit "के तहत दिया था .इस घोटाले में उस समय के कुछ कांग्रेसी नेता ,और मोहंती के आलावा 35 अफसरों के विरुद्ध ऍफ़ आई आर दर्ज हो गयी .( इंडियन एक्सप्रेस 5 फरवरी 2011 ) बाद में मोहंती जबलपुर हाई कोर्ट गया .जहाँ उसको किसी तकनीकी कारण से थोड़ी सी राहत मिल गयी .लेकिन मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भेज दिया (एन ड़ी टी.वी 6 फरवरी 2011 )मामले कि गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसके दो सदस्यों की एक बेंच बना दी ,जिसमे एक Chief Judicial Magistrate और एक Additional Session Judge को रखा गया है .क्योंकि अब वह कर्जा जो 719 करोड़ का था ब्याज मिलाकर 2200 करोड़ का हो गया है .
बी.जे. पी .मध्य प्रदेश के प्रवक्ता श्री नरोत्तम मिश्र ने अदालत से इस केस को प्राथमिकता के आधार पर जल्द निपटने की अपील की है .दूसरी तरफ मुख्य आरोपी मोहंती खुले आम दिग्विजय को जिम्मेदार बता रहा है .उस समय वह "Health Secratary "था .दिग्विजय ने जिन 29 उद्योग पतियोंको कर्जा दिया था उनके कुछ नाम इस प्रकार है -
ई एन बी -प्रफुल महेश्वरी -417 .55
अल्पाइन -सतीश भंडारी -275 .56
रुईया -टी बी रूइया -271 .91
ईशर-गुरुचरण -155 .43
सोम समूह -140 .57
इसकी काफी बड़ी सूचीहै जो ,पत्रिका ,भोपाल 24 दिसंबर 2010 में प्रकाशित हुई थी इसका शीर्षक था "कर्ज लेकर भूल गए :जनता का धन उद्योगपतियों की जेब में "
अब जैसे जैसे सुनवाई के दिन पास आते जा रहे हैं ,दिविजय की चड्डी ढीली होती जा रही है .वह बौखला कर सरे बी.जे.पी ओर संघ को गलियां देने लगा है .उसे भी यह भी डर है की कहीं बाबा रामदेव या अन्ना हजारे इस मूद्दे को देंगे तो सोनिया के साथ सभी अन्दर हो जायेंगे .क्योंकि चोर चोर मोसेरे भाई होते है .यद्यपि मिडिया ने इस घोटाले को अधिक महत्त्व नहीं दिया .फिर भी मैं अपने सभी ब्लोगर बंधुओं से अनुरोध करता हूँ कि,इस घोटाले की बात सबको पहुंचा दें .ताकि दिग्विजय की असलियत लोगों को पता चले .और कोई सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी कर सके .खबर की लिंक भी दी जा रही है -.
http://www.ndtv.com/article/india/loan%20-scam-another%20-ias-under-scanner%20-83683