Wednesday, September 30, 2009

क्या कहूँ के कैसा हूँ मैं


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क्या कहूँ के कैसा हूँ मैं
सात सुरों के जैसा हूँ मैं
मुझको लगता है क्यूँ ऐसा
ये सारा जग है मुझ जैसा
प्यारे बादल जैसा हूँ मैं
तुम जो मानों वैसा हूँ मैं
क्या कहूँ के कैसा हूँ मैं
मैं हूँ गहरा सागर जैसा
मैं छोटी सी गागर जैसा
नील गगन का कोई परिंदा
मैं मोहब्बत का बाशिंदा
मदमस्त हवा के जैसा हूँ मैं
सच में बिलकुल ऐसा हूँ मैं
क्या कहूँ के कैसा हूँ मैं

..My entire body is shaking

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..My entire body is shaking
From the fear and anticipation
I've messed everything up
And I just can't seem to take it
So I make a slice just for you
Right across the vein
I watch the blood trinkle down my arm
And feel the slow release of pain
Adrenaline pumps throughout my body
Like tiny warning signs
I make another cut
And wipe a tear from my eye
Still shaking I begin to fade
In and out of unconsciousness once again
I feel the world floating away
And the fun now begins
It all starts now
Like an all time high
Another one won't hurt
That's not enough to die
It's like and addiction
That I can't seem to control
So I quit holding back
And let all the blood flow........

क्या पता कल हो ना हो ....


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आज एक बार सबसे मुस्करा के बात करो
बिताये हुये पलों को साथ साथ याद करो
क्या पता कल चेहरे को मुस्कुराना
और दिमाग को पुराने पल याद हो ना हो

आज एक बार फ़िर पुरानी बातो मे खो जाओ
आज एक बार फ़िर पुरानी यादो मे डूब जाओ
क्या पता कल ये बाते
और ये यादें हो ना हो

आज एक बार मन्दिर हो आओ
पुजा कर के प्रसाद भी चढाओ
क्या पता कल के कलयुग मे
भगवान पर लोगों की श्रद्धा हो ना हो

बारीश मे आज खुब भीगो
झुम झुम के बचपन की तरह नाचो
क्या पता बीते हुये बचपन की तरह
कल ये बारीश भी हो ना हो

आज हर काम खूब दिल लगा कर करो
उसे तय समय से पहले पुरा करो
क्या पता आज की तरह
कल बाजुओं मे ताकत हो ना हो

आज एक बार चैन की नीन्द सो जाओ
आज कोई अच्छा सा सपना भी देखो
क्या पता कल जिन्दगी मे चैन
और आखों मे कोई सपना हो ना हो

क्या पता
कल हो ना हो ....

kaha usne bharosa dil pe itna nahi karte


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kaha usne bharosa dil pe itna nahi karte
kaha maine muhabbat mai kabhi socha nahi karte

Kaha usne bauhtkhush rang dunya k nazare hain
Kaha maine jab tum ho tu hum kuch dekha nahi karte

kaha usne mai tumse door ho lekin tumhara hoo
kaha mainey sapney dil ko behlaya nahi karte

kaha usne hamari chahat tumhe ruswai degi
kaha maine shohrat se khabhi ghabraya nahi karte

kaha usne samajh jao,samajh jao ae mere dost!!!
kaha maine deewano ko samjhaya nahi karte........
.....from blog


मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,
प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,
पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,
सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१।

प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,
एक पाँव से साकी बनकर नाचूँगा लेकर प्याला,
जीवन की मधुता तो तेरे ऊपर कब का वार चुका,
आज निछावर कर दूँगा मैं तुझ पर जग की मधुशाला।।२।

प्रियतम, तू मेरी हाला है, मैं तेरा प्यासा प्याला,
अपने को मुझमें भरकर तू बनता है पीनेवाला,
मैं तुझको छक छलका करता, मस्त मुझे पी तू होता,
एक दूसरे की हम दोनों आज परस्पर मधुशाला।।३।

भावुकता अंगूर लता से खींच कल्पना की हाला,
कवि साकी बनकर आया है भरकर कविता का प्याला,
कभी न कण-भर खाली होगा लाख पिएँ, दो लाख पिएँ!
पाठकगण हैं पीनेवाले, पुस्तक मेरी मधुशाला।।४।

मधुर भावनाओं की सुमधुर नित्य बनाता हूँ हाला,
भरता हूँ इस मधु से अपने अंतर का प्यासा प्याला,
उठा कल्पना के हाथों से स्वयं उसे पी जाता हूँ,
अपने ही में हूँ मैं साकी, पीनेवाला, मधुशाला।।५।

मदिरालय जाने को घर से चलता है पीनेवला,
'किस पथ से जाऊँ?' असमंजस में है वह भोलाभाला,
अलग-अलग पथ बतलाते सब पर मैं यह बतलाता हूँ -
'राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला।'। ६।

चलने ही चलने में कितना जीवन, हाय, बिता डाला!
'दूर अभी है', पर, कहता है हर पथ बतलानेवाला,
हिम्मत है न बढूँ आगे को साहस है न फिरुँ पीछे,
किंकर्तव्यविमूढ़ मुझे कर दूर खड़ी है मधुशाला।।७।

मुख से तू अविरत कहता जा मधु, मदिरा, मादक हाला,
हाथों में अनुभव करता जा एक ललित कल्पित प्याला,
ध्यान किए जा मन में सुमधुर सुखकर, सुंदर साकी का,
और बढ़ा चल, पथिक, न तुझको दूर लगेगी मधुशाला।।८।

मदिरा पीने की अभिलाषा ही बन जाए जब हाला,
अधरों की आतुरता में ही जब आभासित हो प्याला,
बने ध्यान ही करते-करते जब साकी साकार, सखे,
रहे न हाला, प्याला, साकी, तुझे मिलेगी मधुशाला।।९।

सुन, कलकल़ , छलछल़ मधुघट से गिरती प्यालों में हाला,
सुन, रूनझुन रूनझुन चल वितरण करती मधु साकीबाला,
बस आ पहुंचे, दुर नहीं कुछ, चार कदम अब चलना है,
चहक रहे, सुन, पीनेवाले, महक रही, ले, मधुशाला।।१०।

जलतरंग बजता, जब चुंबन करता प्याले को प्याला,
वीणा झंकृत होती, चलती जब रूनझुन साकीबाला,
डाँट डपट मधुविक्रेता की ध्वनित पखावज करती है,
मधुरव से मधु की मादकता और बढ़ाती मधुशाला।।११।

मेंहदी रंजित मृदुल हथेली पर माणिक मधु का प्याला,
अंगूरी अवगुंठन डाले स्वर्ण वर्ण साकीबाला,
पाग बैंजनी, जामा नीला डाट डटे पीनेवाले,
इन्द्रधनुष से होड़ लगाती आज रंगीली मधुशाला।।१२।

हाथों में आने से पहले नाज़ दिखाएगा प्याला,
अधरों पर आने से पहले अदा दिखाएगी हाला,
बहुतेरे इनकार करेगा साकी आने से पहले,
पथिक, न घबरा जाना, पहले मान करेगी मधुशाला।।१३।

लाल सुरा की धार लपट सी कह न इसे देना ज्वाला,
फेनिल मदिरा है, मत इसको कह देना उर का छाला,
दर्द नशा है इस मदिरा का विगत स्मृतियाँ साकी हैं,
पीड़ा में आनंद जिसे हो, आए मेरी मधुशाला।।१४।

जगती की शीतल हाला सी पथिक, नहीं मेरी हाला,
जगती के ठंडे प्याले सा पथिक, नहीं मेरा प्याला,
ज्वाल सुरा जलते प्याले में दग्ध हृदय की कविता है,
जलने से भयभीत न जो हो, आए मेरी मधुशाला।।१५।

बहती हाला देखी, देखो लपट उठाती अब हाला,
देखो प्याला अब छूते ही होंठ जला देनेवाला,
'होंठ नहीं, सब देह दहे, पर पीने को दो बूंद मिले'
ऐसे मधु के दीवानों को आज बुलाती मधुशाला।।१६।

धर्मग्रन्थ सब जला चुकी है, जिसके अंतर की ज्वाला,
मंदिर, मसजिद, गिरिजे, सब को तोड़ चुका जो मतवाला,
पंडित, मोमिन, पादिरयों के फंदों को जो काट चुका,
कर सकती है आज उसी का स्वागत मेरी मधुशाला।।१७।

लालायित अधरों से जिसने, हाय, नहीं चूमी हाला,
हर्ष-विकंपित कर से जिसने, हा, न छुआ मधु का प्याला,
हाथ पकड़ लज्जित साकी को पास नहीं जिसने खींचा,
व्यर्थ सुखा डाली जीवन की उसने मधुमय मधुशाला।।१८।

बने पुजारी प्रेमी साकी, गंगाजल पावन हाला,
रहे फेरता अविरत गति से मधु के प्यालों की माला'
'और लिये जा, और पीये जा', इसी मंत्र का जाप करे'
मैं शिव की

Hide ur emotions n feelings. World will never understand u.............


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Meri Har Ek Ada Mein Chhupi Thi Teri Mohabbat,
Tune Mehsoos Na Ki Ye Aur Baat Hai,
Maine Har Dam Tere Hi Khwab Dekhe,
Mujhe Tabeer Na Mili Ye Aur Baat Hai,

Maine Jab Bhi Tujhse Baat Karna Chahi,
Mujhe Alfaz Na Mile Ye Aur Baat Hai,

Main Teri Mohabbat Ke Samundar Mein Door Tak Nikli,
Mujhe Saahil Na Mila Ye Aur Baat Hai,

Qudrat Ne Likha Tha Tujhko Meri TaQdeer Mein,
Teri Qismat Mein Main Na Thi Ye Aur Baat Hai…


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DIL SE ROYE MAGAR HOTHON SE MUSKURA BETHE;
YUN HI HUM KISISE WAFA NIBHA BETHE,
WOH HUME EK LAMHA NA DE PAYE APNE PYAR KA;AUR HUM UNKE LIYE APNI ZINDAGI GAVA BETHE...
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Aaj To Hum Maut Ki Dua Kar Ke Roye Hain
Dobara Aaj Khuda Se Gila Kar Ke Roye Hain
Kyon Na Likh Saka Tu Us Ko Taqdeer Mein Meri
Yeh Aik Khayal Soch Kar Phir Hum Roye Hain.

Sapne Ki Tarah Aakar Chale Gaye
Gamo Ki Neend Sulakar Chale Gaye
Kis Bhool Ki Saza Di Humko??
Pehle Hasaya Aur Fir Rulakar Chale Gaye. Hum ko to muskranay ki Aadat si hai
Ansoon ko Chupanay ki Aadat si hai
Duwa na hi Dawa Kaam kerti Hai hum per..
Ab to Zakhm Khanay ki Aadat si Hai..

Paane se khone ka maza aur hai
Bandh aankhon main rone ka maza aur hai
Aansoo bane lafz aur lafz bane ghazal
aur uss ghazal main tere hone ka maza aur hai

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Kabhi Aanso Chupa Chupa Ke Rooey,
Kabhi Dastan-E-Gum Suna Ke Rooey,

Raat Katti Hai Intezar-E-Yaar Main,
Hum Raat Bhar Taroon Ko Jaga Jaga Ke Rooey,

Phir Woh Na Aay Raat Ka Wada Kar Ke,
Hum Tamaam Raat Shama Jala Jala Ke Rooey,

Aaj Raat Un k Aaney Ki Umeed The Humain,
Woh Na Aay Hum Ghar Ko Saja Saja Ke Rooey,

Suna Hai Dua Se Hoti Hai Muraad Dil Ki Poori,
Hum Sari Raat Haath Utha Utha Ke Rooey…!!!
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KAUN KISKO DIL MAIN JAGAH DETA HAI..
PED BHI SHUKHEY PATTEY GIRA DETA HAI…
WAKIF HAI HUM DUNIYA K RIWAZO SE,
DIL BHAR JAYE TOH HAR KOI BHULA DETA HAI….

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Dil main tamanao ko dabana shikh liya
Gham ko ankho main chhupana shikh liya
Mere chehre se koi bat zahir na ho
Isliye Daba ke honto ko muskrana sekh liya.








तकदीर के इस खेल से, कभी मायूस नहीं होते,
जिंदगी में ऐसे कभी बेबस नहीं होते ,
हाथों की लकीरों पर यकीं मत करना ,
तकदीर तो उनकी भी होती है ,जिनके हाथ नहीं होते!!