Saturday, September 10, 2011

हूजी की धमकी अफजल गुरु की फांसी रोको वरना सुप्रीम कोर्ट उड़ा देंगे.......


हूजी की धमकी अफजल गुरु की फांसी रोको वरना सुप्रीम कोर्ट उड़ा देंगे.......

एक और आतंकी संगठन ने भारत में आतंक फैलाने का सिलसिला शुरू कर दिया है। दिल्ली में हुए बम धमाके की जिम्मेदारी हरकत-उल-जिहाद हूजी ने ली है। हूजी द्वारा किए गए इस बम धमाके में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 70 लोग घायल हुए हैं। हूजी ने भारत को धमकाते हुए कहा है कि अगर संसद हमले में फांसी की सजा पाने वाले अफजल गुरू की फांसी का फैसला बदला नहीं गया तो उनका अगला निशाना सुप्रीम कोर्ट होगा। हूजी ने यह धमकी -मेल के जरिए दी है।

राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी एनआईए इस -मेल की जांच कर रहा है। यह मेल (harkatuljihadi2011@gmail.com) नाम की मेल आईडी से आया है। मेल में लिखा गया है कि दिल्ली में आज हाईकोर्ट में हुए बम धमाकों की हम जिम्मेदारी लेते हैं। हमारी मांग यह है कि अफजल गुरू की फांसी की सजा को बदला जाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम भारत में दूसरे कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी ब्लास् करेंगे।



हरकत-उल-जिहाद नाम का यह आतंकी संगठन बांग्लादेश भारत और पाकिस्तान में सक्रिय है बांग्लादेश ने इस आतंकी संगठन को 2005 में प्रतिबंधित कर दिया था। इस आतंकी संगठन का मुखिया इलयास कश्मीरी है। जिसके 4 जून 2011 को ड्रोन हमले में मारे जाने की खबर थी लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। इलयास कश्मीरी फरवरी 2010 में पुणे के जर्मनी बेकरी में हुए बम धमाके में मुख् आरोपी है। इस आतंकी संगठन को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की भी शह प्राप् है।




दिल्ली हाईकोर्ट में एक बार फिर हुए बम धमाके ने सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस के कामकाज पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। दिल्ली से सटे नोएडा के एक लड़के ने दावा किया है कि उसने दिल्ली पुलिस को बम धमाके की धमकी की जानकारी पखवाड़े भर पहले ही दे दी थी।
 
लड़के के मुताबिक 17 अगस् को उसके मोबाइल पर 923453367472 नंबर से फोन आया था। कॉल करने वाले शख् ने दिल्ली में होने का दावा किया था। कॉल करने वाले ने दिल्ली में धमाका करने की धमकी दी थी। इस लड़के ने इंटरनेट के जरिये पता लगाया कि यह नंबर पाकिस्तान का है और यह इस्लामाबाद में किसी शख् द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी जानकारी पुलिस को दी गई थी लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की।
 
उधर, गृह मंत्री पी चिदंबरम ने आज संसद में दिए गए अपने बयान में दावा किया कि खुफिया एजेंसियों ने बीते 20 जुलाई को दिल्ली पुलिस को आतंकी हमले के प्रति आगाह किया था। लेकिन दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि यह अलर्ट स्वतंत्रता दिवस के मद्देनजर था। इसमें कोई खास और सटीक जानकारी नहीं दी गई थी। यह सामानय चेतावनी थी, जो 11 शहरों को लेकर थी।
 
विपक्षी भाजपा ने सीधे तौर पर दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर हुए धमाके को खुफिया एजेंसियों की नाकामी बताया है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा, ‘खुफिया रिपोर्ट नहीं होना भी खुफिया एजेंसियों की नाकामी है।
देश की राजधानी दिल्ली में हाईकोर्ट के बाहर बुधवार सुबह सवा दस बजे हुए धमाके में 13 लोग मारे गए हैं जबकि 76 घायल हुए हैं। घायलों में कई की हालत गंभीर है। विस्फोट इतना जबरदस् था कि घटनास्थल पर 3-4 फुट गहरा गड्ढा हो गया है। अदालत के गेट नंबर पांच के पास हुए इस धमाके की जिम्मेदारी आतंकी संगठन हरकत उल जिहाद इस्लामी (हूजी ने ली है। हूजी की ओर से मीडिया संस्थानों को भेजे मेल में कहा गया है हम दिल्ली हाईकोर्ट के पास हुए बम धमाके की जिम्मेदारी लेते हैं। हमारी मांग है कि मोहम्मद अफजल गुरु की फांसी की सजा तत्काल वापस ली जाए। नहीं तो हम बड़े उच् न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट को भी निशाना बनाएंगे।हालांकि इस मेल की प्रामाणिकता अभी जांची जा रही है।

हूजी की धमकी के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि आतंक से लड़ाई लंबा युद्ध है। हम जीत जाएंगे। ढाका से दिल्ली पहुंचने के बाद मनमोहन सीधे राम मनोहर लोहिया अस्पताल गए और घायलों का हालचाल लिया।

उधर धमाकों की जांच कर रही एजेंट के हाथ अभी खाली हैं। दिल्ली में आज जिस सूटकेस में विस्फोटक रख कर हाई कोर्ट के बाहर धमाका कराया गया, उसे वकील बन कर आए किसी शख् ने रखा था। खुफिया एजेंसी के एक सूत्र के मुताबिक, 'जिस तरह का ब्रीफकेस वकील रखते हैं, वैसे ही ब्रीफकेस में विस्फोटक रखा गया था। शायद इसलिए कि इस ब्रीफकेस को लावारिस देख कर भी किसी को शक नहीं हो।' दिल्ली पुलिस ने चश्मदीदों के बयान के आधार पर दो संदिग्धों के स्केच तैयार किए हैं (तस्वीर में इनमें से एक 50 साल का और दूसरा 26 साल का बताया गया है।

गृह मंत्रालय में सचिव (आंतरिक सुरक्षा यू के बंसल ने बताया कि धमाके में नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ है। इसमें पीईटीएन का भी इस्तेमाल होने की भी आशंका है। उन्होंने कहा कि विस्फोट में 2 किलो विस्फोटक के इस्तेमाल का अनुमान है। गृह सचिव के मुताबिक धमाके में आईईडी और टाइमर का इस्तेमाल किया गया है। अमोनियम नाइट्रेट का भी इस्तेमाल किए जाने की खबर है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख एस सी सिन्हा के मुताबिक एनआईए के 20 सदस्यों की विशेष टीम को ब्लास् की जांच सौंपी गई है। एनआईए चीफ ने कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि इस धमाके में हूजी का हाथ है। हालांकि हूजी की ओर से भेजे गए मेल पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।

महाराष्ट्र एटीएस की टीम भी जांच में सहयोग करने के लिए दिल्ली पहुंची है। एनएसजी के जवान भी घटनास्थल पर जांच के लिए पहुंचे। एनएसजी और फॉरेंसिक की टीम ने हालांकि कुछ सैंपल ले लिए हैं लेकिन इसके बाद बारिश की वजह से कुछ सबूत धुल जाने की आशंका है। डॉग स्क्वॉयड को भी अभी तक कुछ हाथ नहीं लगा है।

हाईकोर्ट में 25 मई को भी एक छोटा धमाका हुआ था। केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि खुफिया एजेंसियों ने 20 जुलाई को दिल्ली पुलिस को अलर्ट दे दिया था। इसके बावजूद आतंकी वारदात को अंजाम देने में कामयाब रहे। सरकार ने आज धमाके के बाद दिल्ली सहित पूरे देश में अलर्ट जारी कर दिया है। संसद भवन की सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है। संसद भवन घटनास्थल से ढाई किलोमीटर की दूरी पर है। हाईकोर्ट के आसपास की इमारतों पर सेना के जवान तैनात कर दिए गए हैं।

धमाके में घायल लोगों को समीप के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कम से कम 55 घायल अभी तक राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराए गए हैं। कई घायलों को सफदरजंग अस्पताल, एलएनजेपी और एम् में भी भर्ती कराया गया है। आरएमएल में भर्ती लोगों में आठ की हालत गंभीर है। सफदरजंग अस्पताल का हेल्पलाइन नंबर 011-26707444, आरएमएल अस्पताल का हेल्पलाइन नंबर 011-23744721/ 23348200 / 23404446 / 23743769 / 23404478, एम् का हेल्पलाइन नंबर 011-26588700 है। 
हमारी सरकार, हमारी पुलिस और हमारी सुरक्षा एजेंसियां कितनी बेपरवाह और लापरवाह हैं इसका उदाहरण यदाकदा सामने आता रहता है। आतंकियों ने दिल्ली को एक बार फिर दहला दिया। मौके पर तैनात पुलिस और सुरक्षा एजेंसी वाले भले ही धमाका करने वालों को पहचान पाए हों लेकिन चश्मदीद गवाहों की मानें तो ये लोग सफेद लिवास में आए थे। विस्फोट करने वाले मौके से रफादफा हो गए और दिल्ली के इस वीआईपी इलाके पर पुलिस लाचार खड़ी थी। विस्फोट के बाद सब एकदम हरकत में गए। तुरंत हाई अलर्ट जारी कर दिया गया।

सुरक्षा एजेंसियों ने तो इस विस्फोट के बाद काबिले तारीफ काम किया। विस्फोट होने के 30 मिनट के अंदर ही देश की सबसे बड़ी सुरक्षा एजेंसी एनआईए ने इस धमाके के पीछे लश्कर--तैयबा और इंडियन मुजहिद्दीन का हाथ होने की आशंका जता दी। सवाल यह है कि जब खुफिया एजेंसी 30 मिनट में धमाकों में शामिल होने वालों का नाम उजागर कर सकती है तो हमले से पहले कुछ क्यों नहीं पता लगा पाती? 13 जुलाई को मुंबई में हुए बम धमाकों को 2 महीने पूरे हो गए हैं खुफिया एजेंसियां उसके बारे में कोई सुराग क्यों नहीं लगा पाई।

दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर 3 महीने पहले 25 मई भी धमाका हुआ था। उसके बाद भी पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों का लापरवाह रवैया जारी रहा। सरकार ने भी इस पर अपनी बयानबाजी करते हुए कहा दिया कि हमले के आरोपियों को पकड़कर उन्हें सजा दी जाएगी। ये बातें वही सरकार कर रही है जो पिछले महीनों में हुए बम धमाकों के बारे में कुछ भी सुराग नहीं लगा पाई है। जांच की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को सौंप दी गई है। जिसने अपने गठन के बाद अभी तक किसी भी बड़े हमले के बारे में कोई खुलासा नहीं किया है। लोग अक्सर कहते हैं कि अब दिल्ली दूर नहीं, शायद वहां लगातार हो रहे बम धमाकों के बाद इसे कुछ यूं कहा जाएगा कि अब दिल्ली सेफ नहीं। या यू कहें कि पूरा देश ही सेफ नहीं है।



आतंक की मजबूती है कमजोर कानून
दिल्ली हाई कोर्ट के बाहर हुए बम विस्फोट ने एक बार फिर आतंकवाद से लड़ने में कानून की कमजोरी और दोषियों को पकड़कर सजा देने के तंत्र की विफलता को जगजाहिर कर दिया है। लचीला रुख और कमजोर कानून आतंकियों को दुस्साहसी बना रहे हैं। ऐसे में कानूनविद फिर सख्त कानून की पैरवी कर रहे हैं।
आतंक के खिलाफ टाडा और पोटा ताकतवर मगर विवादित कानून थे। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तो के साथ उन्हें हरी झंडी भी दे दी थी लेकिन दोनों ही समाप्त हो गए। अब गैरकानूनी गतिविधि रोक अधिनियम लागू है, मगर प्रभावी नहीं दिखता। देश के जाने माने वकील और पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के साथ पोटा को फिर लागू करने की बात कहते हैं। पोटा कानून टाडा को समाप्त कर लाया गया था। कड़े प्रावधानों और दुरुपयोग के कारण ये विवादित हुआ और अंत में निरस्त कर दिया गया।
टाडा बीती सदी के आठवें दशक में बढ़ते आतंकवाद को काबू करने के लिए बना था। उसका सबसे विवादित प्रावधान था वरिष्ठ अधिकारी के सामने की गई अपराध स्वीकृति को न्यायालय में मान्यता दिया जाना। कानून वापस लिए जाने का यह एक बड़ा कारण था लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी इसकी तरफदारी करते हैं। तुलसी कहते हैं कि ऐसे प्रावधान होने चाहिए क्योंकि आतंकवाद के मामले में आम आदमी अदालत में गवाही नहीं देता। टाडा और पोटा के बाद महाराष्ट्र में संगठित अपराध से निबटने के लिए मकोका आया। लेकिन घटनाएं नहीं थमीं और मुंबई में आतंकी हमला हुआ। कानून को कड़ा करने की बहस ने इतनी जोर पकड़ी की सरकार आनन फानन में गैरकानूनी गतिविधि कानून में संशोधन ले आई। नए कानून में टाडा और पोटा के प्रावधानों को थोड़ा लचीला कर शामिल किया गया है।
वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी कानूनों की कमी के बजाय उन्हें लागू करने के तंत्र में कमजोरी देखते हैं। वे कहते हैं कि आतंकवादियों में कानून का खौफ नहीं है क्योंकि अगर पकड़ लिए गए तो वर्षो मुकदमा चलेगा। वैसे भी हमारे देश में अपराधियों को दोषी ठहराने की दर दस फीसदी से ज्यादा नहीं है।
भारतीय दंड संहिता और अपराध प्रक्रिया संहिता जब बनी तब आतंकवाद जैसे अपराध की कल्पना नहीं की गई थी इसलिए मूल कानूनों में आतंकवाद से निपटने की क्षमता नहीं है। सबसे पहले संगठित अपराधों से निपटने के लिए 1967 में गैरकानूनी गतिविधि अधिनियम लाया गया था लेकिन आतंकवाद बढ़ने के साथ टेररिस्ट एंड डिस्रेप्टिव एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट, 1987 (टाडा) आया था। इस कानून में पहली बार आतंकवाद की समग्र और विस्तृत परिभाषा दी गई।

आतंक के कानून के प्रावधान
टाडा और पोटा
- वरिष्ठ अधिकारी के सामने की गई अपराध स्वीकृति अदालत में साक्ष्य के तौर पर स्वीकार की जाती थी।
- जमानत के प्रावधान इतने कड़े थे कि जमानत मिलना लगभग असंभव था। आरोपी को लंबे समय तक निरुद्ध रखा जा सकता था।
- स्वयं को निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी आरोपी पर थी।
- टाडा की तुलना में पोटा कुछ नरम था मगर सख्त प्रावधानों के कारण दोनों कानून अब निरस्त हो चुके हैं।
गैर कानूनी गतिविधि (रोक अधिनियम
- पुलिस अधिकारी के सामने की गई अपराध स्वीकृति अदालत में मान्य नहीं।
- जमानत मिलना कठिन है लेकिन असंभव नहीं। लेकिन अगर कोर्ट को प्रथम दृष्टया आरोप दिखता है तो जमानत नहीं दी जाएगी। सरकारी वकील को सुने बगैर जमानत नहीं दी जाएगी। जो भारत का नागरिक नहीं है उसे जमानत नहीं दी जाएगी।
- 180 दिन तक हिरासत में रखा जा सकता है लेकिन 90 दिन के बाद न्यायालय के विवेकाधिकार पर होगा कि हिरासत बढ़ाई जाए या नहीं।
- आरोपी पर स्वयं को निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी नहीं होगी बल्कि अभियोजन पक्ष को दोष सिद्ध करना होगा।

जम्मू। जम्मू-कश्मीर में शुक्रवार को एक किशोर को हिरासत में लिया गया जिसने दिल्ली हाईकोर्ट में विस्फोट के बाद किश्तवाड़ के एक साइबर कैफे से कथित रूप से हरकत उल जिहाद [हूजी] का ई-मेल भेजा था। इस मेल में विस्फोट की जिम्मेदारी ली गई थी।
किश्तवाड़ डोडा रामबन रेंज के पुलिस उप महानिरीक्षक मुनीश सिन्हा की अगुवाई में पुलिस, राष्ट्रीय जांच एजेंसी [एनआईए] और साइबर विशेषज्ञों की एक संयुक्त टीम ने किश्तवाड़ में एक कॉलेज में तीन घंटे की तलाशी के बाद बीए प्रथम वर्ष के एक छात्र को पकड़ा और उसे पूछताछ के लिए ग्लोबल साइबर कैफे ले गई।
कैफे को बाद में सील कर दिया गया और किश्तवाड़ शहर में दुकान के बाहर सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया। इससे पहले पुलिस ने इस कैफे के मालिक मसूद अजीज समेत पांच व्यक्तियों से मिली सूचना के आधार पर ई-मेल भेजने वाले संदिग्ध का स्केच तैयार किया था।
जांचकर्ताओं ने किश्तवाड़ के एक साइबर कैफे से भेजे गए हूजी के ई-मेल का पता लगाया था जिसमें उसने दिल्ली उच्च न्यायालय के बाहर विस्फोट की जिम्मेदारी लेने का दावा किया था। एनआईए का एक दल और हैदराबाद का विशेषज्ञ दल दिल्ली विस्फोट के सिलसिले में 'ई-मेल संबंध' की जांच यहां आया है।
कैफे मालिक के अलावा उसके भाई माजिद और उनके नौकर अश्विनी, इमरान और आशिक हुसैन को हिरासत में लिया गया है। इन्हीं की सूचना के आधार पर स्केच तैयार किया गया। हूजी ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी।
हूजी के ई-मेल में कहा गया था, 'दिल्ली उच्च न्यायालय में विस्फोट की हम जिम्मेदारी लेते हैं। हमारी मांग है कि अफजल गुरु की मौत की सजा को तुरंत वापस लिया जाए नहीं तो हम उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय को निशाना बनाएंगे।
 दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर बीते बुधवार हुए विस्फोट की जिम्मेदारी लेता तीसरा ई-मेल दिल्ली पुलिस को मिला है। यह ई-मेल इंडियन कथित तौर पर मुजाहिदीन की ओर से भेजा गया है और उसमें सरकार को एक और हमला करने की धमकी दी गई है।
सूत्रों ने कहा कि यह खत दिल्ली पुलिस के आधिकारिक ई-मेल आईडी पर कल रात भेजा गया। सूत्रों के मुताबिक, ई-मेल भेजने वाले ने खुद को अली सईद अल हूरी बताया है। इसे 'किल डॉट इंडिया एट द रेट याहू डॉट कॉम' से भेजा गया है।
सूत्रों के अनुसार, ई-मेल कहता है, यह सूचित किया जाता है कि दिल्ली हाईकोर्ट पर आतंकी हमले की जिम्मेदारी इंडियन मुजाहिदीन लेता है। मैं चाहता हूं कि आप भारत सरकार के पास यह संदेश भेजें कि अगला विस्फोट इतना क्रूर रहेगा कि आप लोग इसे दशकों तक नहीं भूल पाएंगे।
ई-मेल कहता है, '..और अगर आप अगले विस्फोट के बारे में जानना चाहते हैं तो यह है1, 8, 5, 13, 4,1, 2,1, 4 जब तक यह जानने की कोशिश करेंगे कि इसके मायने क्या हैं, तब तक अगला विस्फोट हो चुका होगा। अगर आपके पास कोई सवाल है तो हमारे पास किसी भी चीज के लिए वक्त नहीं है।' सूत्रों ने कहा कि इस कोड नंबर के मायने अहमदाबाद से हो सकते हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि ई-मेल लगता है कि किसी नौसिखिए ने भेजा है और उसमें जो कोड बताया गया है, उसकी गुत्थी मिनटों में सुलझाई जा सकती है।
 सुरक्षा के बड़े-बड़े दावों के परखच्चे न्याय की चौखट पर एक आतंकी धमाके ने उड़ा दिए। अब तक 13 लोगों की जान लेने वाले बुधवार को हुए इस हादसे में पूरा आतंकरोधी तंत्र अभी तक खाली हाथ है। आलम यह है कि हूजी के बाद अब इंडियन मुजाहिदीन [आईएम] ने न सिर्फ छाती ठोक कर धमाके की जिम्मेदारी ली है, बल्कि अगले मंगलवार को किसी शापिंग मॉल में विस्फोट की चेतावनी देकर सुरक्षा एजेंसियों की नींद और हराम कर दी है। इस धमकी पर गंभीरता इसलिए भी जरूरी है क्योंकि आगामी मंगलवार को भी 13 तारीख है। यह इंडियन मुजाहिदीन की वारदात को अंजाम देने की पसंदीदा तारीख है। ईमेल को गंभीरता से लेते हुए गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को जरूरी कदम उठाने का निर्देश दिया है।
पहले ही अंधेरे में हाथ पैर मार रहीं लाचार जांच एजेंसियां और ज्यादा भ्रमित दिख रही हैं। हर माह मंत्रालय के कामकाज का 'रिपोर्ट कार्ड' पेश करने वाले सरकार के सबसे मुखर चेहरे यानी गृह मंत्री पी चिदंबरम के पास जनता को सुरक्षा का भरोसा दिलाने के लिए अब शब्द नहीं बचे हैं। गृह मंत्रालय के आंतरिक सुरक्षा सचिव यूके बंसल के पास भी बताने को इससे ज्यादा कुछ नहीं था कि आइएम के ताजा ईमेल और मई में हाई कोर्ट में हुए विस्फोट की जांच भी एनआईए को सौंप दी गई है। बिल्कुल खाली हाथ एनआइए ने आतंकियों की सूचना देने के लिए पांच लाख रुपये इनाम की घोषणा की है। अभी तक कोई सुबूत हासिल करने में असफल रही एनआईए संदिग्धों के कुछ नए स्केच जारी कर सकती है। गांधीनगर और हैदराबाद से आई फॉरेंसिक विशेषज्ञों की टीम ने नए सिरे से विस्फोट स्थल की जांच-पड़ताल की है। इससे विस्फोट से जुड़े कुछ नए सूत्र मिलने की उम्मीद ही की जा रही है।
मामले की जांच कर रही एनआईए ने आतंकियों की तलाश में अब राज्यों के आतंक निरोधक दस्ते [एटीएस] की मदद मांगी है। बंसल के मुताबिक जांच में सहयोग के लिए दिल्ली के आसपास के राज्यों से एटीएस की टीमें दिल्ली पहुंच रही हैं। इस सिलसिले में एनआइए ने हरियाणा, उत्तार प्रदेश, राजस्थान और पंजाब के एटीएस से संपर्क साधा है। सारी जांच इस उम्मीद पर टिकी है कि वारदात के बाद आतंकवादी इन पड़ोसी राज्यों में छुपे हो सकते हैं।
जांच में दिल्ली पुलिस के सहयोग की अहमियत को देखते हुए एनआइए प्रमुख ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से मुलाकात की। चोरी की सेंट्रो कार से आतंकियों के भागने की अटकलों को खारिज करते हुए एनआइए महानिदेशक एससी सिन्हा ने साफ किया कि इसका विस्फोट से कोई संबंध नहीं है। इसके बजाय एनआइए की 20 सदस्यीय जांच टीम और 17 सदस्यीय सहयोगी टीम चोरी के एटीएम कार्ड का उपयोग करने वाले एक युवक से पूछताछ कर रही थी। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के जिस साइबर कैफे से ईमेल भेजा गया था, उसके मालिक समेत पांच लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ जारी है, लेकिन अभी तक कुछ भी हासिल नहीं हो रहा है। इसी तरह उत्तार प्रदेश के बलरामपुर में भी स्केच के आधार पर हिरासत में लिए गए शहजाद नाम के युवक को भी पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है।

 केंद्रीय खुफिया एजेंसी आइबी ने पश्चिम बंगाल सरकार को बांग्लादेश के रास्ते पांच आतंकियों के सीमा पार कर राज्य में घुसने की सूचना दी है। पांचों के नाम मुहम्मद अबीर कमल, मुहम्मद बबलू, मुहम्मद एकदिल हुसैन, मुहम्मद काबिल सरदार और मुहम्मद अकबर अली बताए गए हैं। भारत आए इन सभी आतंकियों की उम्र 25 से 30 वर्ष के बीच बताई गई है।
सूत्रों के मुताबिक ये देश में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं। उत्तर 24 परगना जिले के बागदा में इनके छिपे होने की खबर है। सूचना मिलने के बाद राज्य के गृह विभाग ने सीमा सुरक्षा बल [बीएसएफ] व पुलिस को तलाशी अभियान तेज करने हुए सतर्कता बरतने के आदेश दिए हैं। आदेश पर भारत-बांग्लादेश सीमा के निकट बने सभी होटलों और घरों में बीएसएफ के जवानों ने तलाशी अभियान तेज कर दिया है। स्थानीय पुलिस द्वारा वाहनों की सघन जांच जारी है। इस बाबत पूछे जाने पर कोई प्रशासनिक अधिकारी कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।