Tuesday, February 17, 2009

http://anaryan.hi5.com
साथ होकर भी जाने क्यूं.... तन्हाई का एह्सास है...

हाथ थामे रहता है कोई... फ़िर भी लगता खाली हाथ है...

जाने कैसा सूनापन गहराया.....

चलती हूं जिस भीड़ में.... इंसानों का नहीं....

बस परछांईयों का साथ है.....

'सच'... में जीने को जाने क्यूं.... दिल करता ही नहीं....

अजनबी रिश्तों में.... जिंदगी की तलाश है.....

ख्वाब नहीं कोई..... बस एक झूठा सच है ये.....

जलेगा नहीं दीप कोई..... ये बुझती लौ सी आस है....

भटकता है 'मन' दर-ब-दर... खाता है ठोकरें......

इसे उजड़ी बस्ती में.... घर की तलाश है....

तेज हवाओं के रुख से.....

यहां डरता है कौन.....???

ये तो बारिश से... भड़कने वाली आग है.....

बुझे- बुझे से जज्बात..... सहमी-सहमी जुबां....

सूखे हुये पानी से.... गला अब तर होता नहीं.....

ये गीले आंसूओं से.... बुझने वाली प्यास है....

जाने कहां खोया है खुद को.....

मुझे ही नहीं.... आईने को भी.....

मेरे अक्स की तलाश है........

सूरज तो रोज ही आता है मगर , अपने दिलो में ‘ दीप ‘ को जला कर रखना

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अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना ,
हर चोट के निशान को सजा कर रखना ।

उड़ना हवा में खुल कर लेकिन ,
अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना ।

छाव में माना सुकून मिलता है बहुत ,
फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना ।

उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं ,
यादों में हर किसी को जिन्दा रखना ।

वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना ,
खुद को दुनिया से छिपा कर रखना ।

रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी ,
अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना ।

तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम ,
कश्ती और मांझी का याद पता रखना ।

हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं ,
अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना ।

मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं ,
हर किसी से रिश्ता बना कर रखना ।

मरना जीना बस में कहाँ है अपने ,
हर पल में जिन्दगी का लुफ्त उठाये रखना ।

दर्द कभी आखरी नहीं होता ,
अपनी आँखों में अश्को को बचा कर रखना ।

मंज़िल को पाना जरुरी भी नहीं ,
मंज़िलो से सदा फासला रखना ।

सूरज तो रोज ही आता है मगर ,
अपने दिलो में ‘ दीप ‘ को जला कर रखना