अफजल
गुरु की
फांसी को
लेकर आमने-सामने
आ गए
थे कलाम
और सोनिया....
नई
दिल्ली.
2001 में
संसद
भवन
पर
हमला
करने
के
दोषी
मोहम्मद
अफजल
गुरु
की
फांसी
के
मुद्दे
ने
तत्कालीन
राष्ट्रपति
डॉ.
एपीजे
अब्दुल
कलाम
और
कांग्रेस
अध्यक्ष
सोनिया
गांधी
के
बीच
मतभेद
खुलकर
सामने
आ
गए
थे।
गौरतलब
है
कि
कलाम
को
2004 तक
देश
की
सत्ता
पर
काबिज
रही
एनडीए
ने
राष्ट्रपति
पद
का
उम्मीदवार
बनाया
था,
जिसका
बाद
में
कांग्रेस
ने
भी
समर्थन
किया
था।
2006 में
नई
दिल्ली
स्थित
अमेरिकी
दूतावास
की
तरफ
से
वॉशिंगटन
भेजे
गए
गोपनीय
दस्तावेज
में
इस
बात
का
जिक्र
है।
यह
खुलासा
खोजी
वेबसाइट
विकीलीक्स
ने
किया
है।
खबरों
के
हवाले
से
इस
दस्तावेज
में
कहा
गया
है
कि
सोनिया
गांधी
की
ही
पार्टी
(कांग्रेस)
के
नेता
और
जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने अफजल गुरु को माफ किए जाने की सिफारिश की थी। कलाम और सोनिया के बीच अफजल गुरु के मामले में मतभेद की एक बड़ी वजह यही थी।
20 अक्टूबर, 2006 को अमेरिकी दूतावास के राजनयिक जेफरी पैट ने गुप्त दस्तावेज (82638) में यह भी कहा गया था, 'अगर राष्ट्रपति कलाम को लगता है कि सोनिया उन्हें दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनने देंगी तो वे इस मुद्दे (अफजल गुरु) के मुद्दे को सही समय पर उछाल भी सकते हैं।'दस्तावेज में अफजल गुरु को लेकर 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के चुनावी असमंजस की बात भी बताई गई है। दस्तावेज में पार्टी के ही एक नेता (नाम नहीं बताया गया है) के हवाले से कहा गया है कि अगर यूपीए अफजल गुरु को फांसी की सज़ा को माफ करती है तो बीजेपी नेता कांग्रेस को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कमजोर होने का आरोप लगा सकते हैं। वहीं, अगर यूपीए अफजल गुरु को फांसी की सज़ा होने देती है तो इस बात का डर है कि अल्पसंख्यक मुस्लिम वोट बैंक जो राष्ट्रीय स्तर पर परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहा है, छूट जाएगा।
क्या अफजल की फांसी ऐसा मुद्दा है, जिस पर राजनीतिक नफा-नुकसान के बारे में सोच कर फैसला लिया जाए? ऐसे में संसद पर हमले के इस गुनहगार को कभी सजा मिल पाएगी?
20 अक्टूबर, 2006 को अमेरिकी दूतावास के राजनयिक जेफरी पैट ने गुप्त दस्तावेज (82638) में यह भी कहा गया था, 'अगर राष्ट्रपति कलाम को लगता है कि सोनिया उन्हें दोबारा राष्ट्रपति नहीं बनने देंगी तो वे इस मुद्दे (अफजल गुरु) के मुद्दे को सही समय पर उछाल भी सकते हैं।'दस्तावेज में अफजल गुरु को लेकर 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के चुनावी असमंजस की बात भी बताई गई है। दस्तावेज में पार्टी के ही एक नेता (नाम नहीं बताया गया है) के हवाले से कहा गया है कि अगर यूपीए अफजल गुरु को फांसी की सज़ा को माफ करती है तो बीजेपी नेता कांग्रेस को राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कमजोर होने का आरोप लगा सकते हैं। वहीं, अगर यूपीए अफजल गुरु को फांसी की सज़ा होने देती है तो इस बात का डर है कि अल्पसंख्यक मुस्लिम वोट बैंक जो राष्ट्रीय स्तर पर परंपरागत रूप से कांग्रेस के साथ रहा है, छूट जाएगा।
अफजल गुरु को संसद हमला मामले में दोषी ठहराते हुए 18 दिसंबर 2002 को एक स्थानीय अदालत ने फांसी की सजा दी थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 29 अक्तूबर 2003 को दिए फैसले में इस सजा को बरकरार रखा। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जो 4 अगस्त 2005 को नामंजूर हो गई। सेशन जज ने तिहाड़ जेल में उसकी फांसी की तारीख (20 अक्तूबर 2006)भी तय कर दी थी। मगर, उसके बाद उसने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर दी जहां से इसे गृह मंत्रालय के पास भेजा गया। मंत्रालय ने अभी तक याचिका अपने पास ही रखी है।
अफजल ने 3 अक्तूबर 2006 को याचिका दायर की है। गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने हाल ही में कहा कि याचिकाओं को राष्ट्रपति के पास भेजने के लिए एक नई प्रक्रिया अपनाई गई है। इसके तहत सजा की तारीख व गृह मंत्रालय में याचिका पहुंचने के दिन के आधार पर इन्हें राष्ट्रपति को भेजा जाता है। चिदंबरम ने बताया कि अप्रैल 1998 से अब तक राष्ट्रपति को 28 याचिकाएं भेजी गई हैं।इनमें केवल दो पर फैसला हुआ है।
'कसाब को मारने की सुपारी'
अजमल कसाब को पाकिस्तान में बैठे उसके ‘आका’ उसे मरवाना चाहते थे। मुंबई हमले में कसाब जिंदा पकड़ा गया था और उसके कबूलनामे से पाकिस्तान सरकार को खतरा था। इसीलिए कसाब को मरवाने के लिए बाकायदा सुपारी भी दी गई थी। इस बात की जानकारी गृहमंत्री पी. चिदंबरम को भी थी। उन्होंने यह बात एफबीआई के डायरेक्टर रॉबर्ट मुलर से कही थी। मुलर को बताया कि भारत के पास पक्की खबर है कि पाकिस्तान कसाब को मरवाना चाहता है।
क्या अफजल की फांसी ऐसा मुद्दा है, जिस पर राजनीतिक नफा-नुकसान के बारे में सोच कर फैसला लिया जाए? ऐसे में संसद पर हमले के इस गुनहगार को कभी सजा मिल पाएगी?
क्या श्री अब्दुल कलाम भी आरएसएस के मुखौटा हैं ?
देश के सबसे अधिक ईमानदार या स्पष्ट ही कहें सत्ताआनंद भोग चुका एक मात्र ईमानदार व्यक्ति,पूर्व राष्ट्रपति एवं मिसाईल मेन श्री अब्दुल कलाम भी अब भष्टाचार के विरुद्ध खड़े हो गये हैं
उन्होंने भी भारतीय
युवकों से भ्रष्टाचार
के विरुद्ध लड़ने
की अपील की
है और भ्रष्टाचार
से लड़ने वालों
को समर्थन देनी
की पहल भी
की है जिसके
लिये उन्होंने अपनी
एक वेब साईट www.whatcanigive.info तैयार की है
और पूरे राष्ट्र
के छात्रों एवं
युवा लोगों से
खुले आम इस
साईट पर अपने
अपने सुझाव एवं
अनुभव लिखने की
अपील की है
.केरल की एक
सभा में श्री कलाम कहते हैं कि यह मत सोचो कि दूसरा क्या कर रहा है बस यह सोचो कि मैं क्या कर सकता हूँ ? और मैंने भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिये या भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये क्या किया है? क्या अब कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा एवं उनके सहयोगी गण श्री अब्दुल कलाम को भी आरएसएस या बीजीपी का मुखौटा कहेंगे
? एन डी ऐ
सरकार ने अगर
सबसे अच्छा काम कोई किया था तो वह श्री अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाने का किया था/ बहुत
कम लोगों को
मालूम होगा कि
जब श्री अब्दुल
कलाम राष्ट्रपति पद
से सेवानिवृत्त हुए
थे,तो कांग्रेस
सरकार उनसे इतना
चिड़ी हुई थी
कि उनके रहने
का प्रबंध भी
नही कराया था
जिस कारण राष्ट्रपति
महोदय कई दिन
तक सेना के
गेस्ट हाउस में
रहे थे/ देश
में भ्रष्टाचार इतना
भयावह रोग की
तरह व्यापक हो
गया है,कि अब्दुल कलाम तक को भी आगे आना पड़ रहा है/ भ्रष्ट लोग कहते हैं कि “अन्ना हजारे” “गाँधी” नही हैं,क्योंकि “अन्ना” को छोटी छोटी बातों पर गुस्सा आता है / अरे भाई ! “अन्ना” गाँधी कैसे हो जायेंगे जबकि गाँधी जी की बफादारी नेहरु के प्रति थी और “अन्ना” की….? अंग्रेज शासक गाँधी की बात सुनते तो थे,परन्तु यहाँ तो कांग्रेसी सरकार “अन्ना” को सुनने को ही तैयार नही,बल्कि धमकी दे रही है कि अगर ज्यादा अनशन वन्शन किया तो राम देव जैसा हाल कर दिया जायेगा/ “अन्ना” अगर ऐसी बातों पर गुस्सा नही करेंगे तो क्या सरकारी पार्टी के प्रवक्ताओं की आरती उतारेंगे ? जिन लोगों को “रामदेव” या “अन्ना” से एलर्जी है,और भ्रष्टाचार के विरुद्ध
लड़ना चाहते हैं
उनके लिये सुनहरा
अवसर है कि
वे श्री अब्दुल
कलाम के साथ
ही आ जायें
!!!
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की विख्यात 'चिंतन कुटी' अब राष्ट्रपति भवन में नहीं दिखेगी। मुगल गार्डेन में बनी यह झोपड़ी हटा दी गई है। राष्ट्रपति भवन को उसके मूल स्वरूप में लाने का काम शुरू होने के बाद इस झोपड़ी को हटाया गया।
मणिपुरी शैली की यह झोपड़ी पूर्व राष्ट्रपति कलाम के कार्यकाल में बनाई गई थी। कलाम वहां रोज सुबह-शाम बैठते थे। कलाम प्यार से इसे 'चिंतन कुटी' (थिंकिंग हट)कहा करते थे। आगंतुकों को वह बताते थे कि उनकी दो किताबें इसी चिंतन कुटी के सोफे पर लिखी गई थीं।
इस झोपड़ी ने कलाम की रचनात्मकता को और धार दे दिया हो, पर पुनर्निर्माण के लिए बनाई गई विशेषज्ञ समिति के सदस्यों की आंखों में यह झोपड़ी खटक गई। उनके मुताबिक लुटियन द्वारा डिजाइन की गई इंग्लिश और मुगल शैली के योग से बने इस अद्भुत स्थापत्य की शोभा को यह झोपड़ी कम कर रही थी।
अफजल गुरु पर गलत कहा हो तो केस करे बीजेपी :उमर अब्दुल्ला
श्रीनगर।। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु पर अगर उन्होंने कुछ गैरकानूनी कहा है तो बीजेपी उनके खिलाफ मामला दर्ज करा सकती है।
उमर ने कहा, 'वे मुझे चुप कराने वाले कोई नहीं होते हैं। मैं देश का नागरिक हूं और मुझे टिप्पणी करने का पूरा हक है। अगर मैंने कुछ गैरकानूनी कहा है तो उन्हें मेरे खिलाफ मामला दर्ज करने दीजिए।' उन्होंने कहा कि जिस जनता ने उन्हें चुना है, उसके अलावा कोई और उन्हें चुप नहीं करा सकता।
जब उमर ने राजीव गांधी के हत्यारों की सजा माफी की मांग करने वाले प्रस्ताव के तमिलनाडु विधानसभा में पारित होने पर चुप्पी साधने पर सवाल उठाया था तब बीजेपी ने उनकी आलोचना की थी।
उमर ने कहा था कि अगर जम्मू-कश्मीर विधानसभा अफजल गुरु के लिए ऐसा ही प्रस्ताव पारित
करती तो क्या ऐसी ही प्रतिक्रिया (चुप्पी) होती।
जब उमर से पूछा गया कि अफजल गुरु को क्षमादान के लिए निर्दलीय विधायक की ओर से पेश प्रस्ताव का क्या नैशनल कॉन्फ्रेंस समर्थन करेगी, उन्होंने कहा कि पार्टी विधायक दल की बैठक में रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा, 'नैशनल कॉन्फ्रेंस रणनीति तैयार करने के लिए विधानसभा के सत्र से पहले पार्टी विधायक दल की बैठक करेगी। अभी आप मुझसे रणनीति का खुलासा क्यों करवाना चाहते हैं।'
उमर ने दिल्ली के एक टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें अफजल गुरु पर अपने ट्वीट पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर और बाकी देश के घटनाक्रम पर दोहरा मापदंड जान पड़ता है।
उमर ने कहा, 'वे मुझे चुप कराने वाले कोई नहीं होते हैं। मैं देश का नागरिक हूं और मुझे टिप्पणी करने का पूरा हक है। अगर मैंने कुछ गैरकानूनी कहा है तो उन्हें मेरे खिलाफ मामला दर्ज करने दीजिए।' उन्होंने कहा कि जिस जनता ने उन्हें चुना है, उसके अलावा कोई और उन्हें चुप नहीं करा सकता।
जब उमर ने राजीव गांधी के हत्यारों की सजा माफी की मांग करने वाले प्रस्ताव के तमिलनाडु विधानसभा में पारित होने पर चुप्पी साधने पर सवाल उठाया था तब बीजेपी ने उनकी आलोचना की थी।
उमर ने कहा था कि अगर जम्मू-कश्मीर विधानसभा अफजल गुरु के लिए ऐसा ही प्रस्ताव पारित
करती तो क्या ऐसी ही प्रतिक्रिया (चुप्पी) होती।
जब उमर से पूछा गया कि अफजल गुरु को क्षमादान के लिए निर्दलीय विधायक की ओर से पेश प्रस्ताव का क्या नैशनल कॉन्फ्रेंस समर्थन करेगी, उन्होंने कहा कि पार्टी विधायक दल की बैठक में रणनीति पर चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा, 'नैशनल कॉन्फ्रेंस रणनीति तैयार करने के लिए विधानसभा के सत्र से पहले पार्टी विधायक दल की बैठक करेगी। अभी आप मुझसे रणनीति का खुलासा क्यों करवाना चाहते हैं।'
उमर ने दिल्ली के एक टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में कहा था कि उन्हें अफजल गुरु पर अपने ट्वीट पर कोई अफसोस नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि कश्मीर और बाकी देश के घटनाक्रम पर दोहरा मापदंड जान पड़ता है।
MLA ने रखा अफजल गुरु की माफी का प्रस्ताव
श्रीनगर।। जम्मू-कश्मीर के एक निर्दलीय विधायक ने राज्य विधानसभा को एक प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की सजा माफ करने की मांग की गई है।
कुपवाड़ा जिले के लांगेट विधानसभा क्षेत्र से विधायक शेख अब्दुल रशीद ने कहा कि उन्होंने अफजल गुरु के लिए मानवीय आधार पर दया की मांग की है। रशीद ने प्रस्ताव में कहा है, '13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमले में शामिल होने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई थी। मेरी गुजारिश है कि मानवीय आधार पर अफजल गुरु की सजा माफ होनी चाहिए।'
विधायक रशीद ने कहा कि अफजल को फांसी दिए जाने का कश्मीर के हालात पर खराब असर हो सकता है। उन्होंने कहा, 'मैं उम्मीद करता हूं कि आगामी 26 सितंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के आगामी सत्र में प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।'
रशीद का यह कदम तमिलनाडु विधानसभा द्वारा राजीव गांधी के हत्यारों पर दया किए जाने के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किए जाने और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा अखिल
जम्मू कश्मीर का ये प्रस्ताव तमिलनाडु विधानसभा में पारित एक प्रस्ताव और पंजाब के मुख्यमंत्री के एक पत्र के बाद आया है।
कुपवाड़ा जिले के लांगेट विधानसभा क्षेत्र से विधायक शेख अब्दुल रशीद ने कहा कि उन्होंने अफजल गुरु के लिए मानवीय आधार पर दया की मांग की है। रशीद ने प्रस्ताव में कहा है, '13 दिसंबर 2001 को संसद पर हमले में शामिल होने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अफजल गुरु को फांसी की सजा सुनाई थी। मेरी गुजारिश है कि मानवीय आधार पर अफजल गुरु की सजा माफ होनी चाहिए।'
विधायक रशीद ने कहा कि अफजल को फांसी दिए जाने का कश्मीर के हालात पर खराब असर हो सकता है। उन्होंने कहा, 'मैं उम्मीद करता हूं कि आगामी 26 सितंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के आगामी सत्र में प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा।'
रशीद का यह कदम तमिलनाडु विधानसभा द्वारा राजीव गांधी के हत्यारों पर दया किए जाने के संबंध में एक प्रस्ताव पारित किए जाने और पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा अखिल
जम्मू कश्मीर का ये प्रस्ताव तमिलनाडु विधानसभा में पारित एक प्रस्ताव और पंजाब के मुख्यमंत्री के एक पत्र के बाद आया है।
आतंकवादियों को नहीं मिले माफी : बिट्टा
तमिलनाडु विधानसभा में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषियों की फांसी माफ करने का प्रस्ताव पारित होने पर अखिल भारतीय आतंकवाद निरोधक मोर्चे के प्रमुख ने कहा है कि ऐसा करना हमारे देश के संविधान का अपमान है।
एक निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए बिट्टा ने कहा कि अगर ऐसा होता रहा तो आतंकवादियों को माफी देने संबंधी प्रस्तावों को पारित करने की होड़ राज्य सरकारों में लग जाएगी। इसका परिणाम केवल आतंकवादियों का मनोबल बढ़ाने वाला होगा। उन्होंने कहा कि सरकारों को ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए। वोट बैंक की चाहत में सरकार और राजनेता देश को खतरे में डाल रहे हैं। पहले निचली अदालत, फिर उच्च न्यायालय, फिर सर्वोच्च न्यायालय और उसके बाद राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ जाना संवैधानिक तौर पर उचित नहीं है।
इसके साथ ही बिट्टा ने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयानों की निंदा करते हुए कहा कि आतंकवाद को धर्म के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि आतंकवादियों का न तो कोई धर्म होता है और न ही ईमान। बिट्टा ने कहा कि तमिलनाडु की देखा देखी जम्मू कश्मीर और पंजाब जैसे सीमाई राज्य भी अगर इस तरह का प्रस्ताव पारित करने लगें तो फिर संविधान की प्रासंगिकता ही खतरे में पड़ जाएगी।
एक निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेने आए बिट्टा ने कहा कि अगर ऐसा होता रहा तो आतंकवादियों को माफी देने संबंधी प्रस्तावों को पारित करने की होड़ राज्य सरकारों में लग जाएगी। इसका परिणाम केवल आतंकवादियों का मनोबल बढ़ाने वाला होगा। उन्होंने कहा कि सरकारों को ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए। वोट बैंक की चाहत में सरकार और राजनेता देश को खतरे में डाल रहे हैं। पहले निचली अदालत, फिर उच्च न्यायालय, फिर सर्वोच्च न्यायालय और उसके बाद राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ जाना संवैधानिक तौर पर उचित नहीं है।
इसके साथ ही बिट्टा ने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बयानों की निंदा करते हुए कहा कि आतंकवाद को धर्म के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि आतंकवादियों का न तो कोई धर्म होता है और न ही ईमान। बिट्टा ने कहा कि तमिलनाडु की देखा देखी जम्मू कश्मीर और पंजाब जैसे सीमाई राज्य भी अगर इस तरह का प्रस्ताव पारित करने लगें तो फिर संविधान की प्रासंगिकता ही खतरे में पड़ जाएगी।
कसाब को दिया गया 'बर्थडे गिफ्ट' है यह सीरियल ब्लास्ट?
क्या मुंबई में हुआ सीरियल ब्लास्ट आतंकवादियों की तरफ से 26 / 11 में शामिल एकमात्र जीवित आतंकी अजमल कसाब को दिया गया बर्थडे गिफ्ट थी
वैसे तो कसाब के बर्थडे को लेकर काफी कन्फ्यूजन है लेकिन मुंबई एटीएस की पूछताछ की फाइल में कसाब की जन्म तिथि 13 जुलाई 1987 बताई गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया में 25 फरवरी 2011 को छपी एक खबर के मुताबिक सेंसस अधिकारियों ने भी कसाब की जन्म तिथि 13 जुलाई 1987 नोट की थी।
लेकिन विकिपीडिया में उसके जन्म की तारीख 13 सितंबर 1987 दी गई है। पुराने इंडियन एक्सप्रेस की फाइल में 13 सितंबर को ऐसी रिपोर्ट दिख गई कि ' आज कसाब का जन्म दिन है, मगर जेल में केक नहीं कटेगा। '
फिल्ममेकर रामगोपाल वर्मा ने ट्वीट किया कि ' ऐसा लगता है कि आज कसाब का जन्म दिन है और वे पटाखों के बदले बम फोड़ कर खुशी मना रहे हैं। ' इसके बाद समाचार एजेंसी पीटीआई ने भी यह खबर दी। एजेंसी के मुताबिक 13 जुलाई 1987 को जन्मे कसाब का जन्मदिन आज ही है और ऐसा लगता है कि आतंकियों ने जानबूझकर यह तारीख सीरियल ब्लास्ट के लिए चुनी।
थोड़ी देर में ही ट्विटर पर भी ऐसे कॉमेंट्स की बाढ़ आ गई कि आज कसाब का जन्मदिन नहीं है और प्लीज यह अफवाह न फैलाएं। दिलचस्प बात यह है कि वरिष्ठ पत्रकार दिबांग की एक ट्वीट के मुताबिक दिन में दो बार विकिपीडिया में किसी ने कसाब का जन्मदिन बदल कर 13 जुलाई कर दिया था
NOTE :- IMP INFORMATION
एक पत्रकार ने R TI से राष्ट्रपति भवन से पूछा की कसब और अफजल गुरु की फाइल की states क्या है ?? जबाब बहुत ही शर्मनाक आया .. दरअसल अफजल और कसब की फाइल आज तक गृह मंत्रालय में ही है ..राष्ट्रपति भवन भेजी ही नहीं गयी है ..
विकिलिस ने भी खुलासा किया है की सोनिया गाँधी मुस्लिम वोट के लिए हर हाल में अफजल को बचाना चाहती है ..
अब जरा इस डाटा पर भी नज़र डालिए :
नाम ...... धर्म ..... फाइल पर फासी की मुहर लगाने में लगा समय
केहर सिंह सिख 87 दिन
वैसे तो कसाब के बर्थडे को लेकर काफी कन्फ्यूजन है लेकिन मुंबई एटीएस की पूछताछ की फाइल में कसाब की जन्म तिथि 13 जुलाई 1987 बताई गई है। टाइम्स ऑफ इंडिया में 25 फरवरी 2011 को छपी एक खबर के मुताबिक सेंसस अधिकारियों ने भी कसाब की जन्म तिथि 13 जुलाई 1987 नोट की थी।
लेकिन विकिपीडिया में उसके जन्म की तारीख 13 सितंबर 1987 दी गई है। पुराने इंडियन एक्सप्रेस की फाइल में 13 सितंबर को ऐसी रिपोर्ट दिख गई कि ' आज कसाब का जन्म दिन है, मगर जेल में केक नहीं कटेगा। '
फिल्ममेकर रामगोपाल वर्मा ने ट्वीट किया कि ' ऐसा लगता है कि आज कसाब का जन्म दिन है और वे पटाखों के बदले बम फोड़ कर खुशी मना रहे हैं। ' इसके बाद समाचार एजेंसी पीटीआई ने भी यह खबर दी। एजेंसी के मुताबिक 13 जुलाई 1987 को जन्मे कसाब का जन्मदिन आज ही है और ऐसा लगता है कि आतंकियों ने जानबूझकर यह तारीख सीरियल ब्लास्ट के लिए चुनी।
थोड़ी देर में ही ट्विटर पर भी ऐसे कॉमेंट्स की बाढ़ आ गई कि आज कसाब का जन्मदिन नहीं है और प्लीज यह अफवाह न फैलाएं। दिलचस्प बात यह है कि वरिष्ठ पत्रकार दिबांग की एक ट्वीट के मुताबिक दिन में दो बार विकिपीडिया में किसी ने कसाब का जन्मदिन बदल कर 13 जुलाई कर दिया था
एक पत्रकार ने R TI से राष्ट्रपति भवन से पूछा की कसब और अफजल गुरु की फाइल की states क्या है ?? जबाब बहुत ही शर्मनाक आया .. दरअसल अफजल और कसब की फाइल आज तक गृह मंत्रालय में ही है ..राष्ट्रपति भवन भेजी ही नहीं गयी है ..
विकिलिस ने भी खुलासा किया है की सोनिया गाँधी मुस्लिम वोट के लिए हर हाल में अफजल को बचाना चाहती है ..
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नाम ...... धर्म ..... फाइल पर फासी की मुहर लगाने में लगा समय
नाथू राम गोडसे हिन्दू 125 दिन
धनञ्जय कुमार : हिन्दू -- 34 दिन
रंगा और बिल्ला हिन्दू 28 दिन
जिन्दा और सुच्चा सिख 76 दिन
बेअंत सिंह सिख 87 दिन
धनञ्जय कुमार : हिन्दू -- 34 दिन
रंगा और बिल्ला हिन्दू 28 दिन
जिन्दा और सुच्चा सिख 76 दिन
बेअंत सिंह सिख 87 दिन
केहर सिंह सिख 87 दिन
अफजल गुरु मुस्लिम 5967 दिन
से बिरयानी खा रहा है
वाह रे कांग्रेस वोट के लिए आतंकवादियो को अपना दामाद बना कर रखती है
वाह रे कांग्रेस वोट के लिए आतंकवादियो को अपना दामाद बना कर रखती है