Tuesday, August 16, 2011

Mahatma Gandhi's Funeral.

Mahatma Gandhi's Funeral.

On Friday 30 January 1948, Gandhi woke up at his usual hour, 3:30 a.m. After the morning prayer he put the final touches to the new constitution for Congress which he had been unable to finish the previous night. The rest of the morning was spent answering letters. Someone mentioned the fact that despite his poor health he was working incessantly. ‘Tomorrow’, he explained, ‘I may not be here’. Gandhi would not permit those who attended the prayer meetings: ‘If I have to die I should like to die at the prayer meeting. You are wrong in believing that you can protect me from harm. God is my protector.’

Mahatma Gandhi’s body lay on the pyre with his head to the north. In that position Buddha met his end. At 4:45 p.m., Ramdas Gandhi, the third son of the Mahatma, set fire to the funeral pyre. The logs burst into flames. The vast assemblage groaned. Women wailed; men wept. The wood crackled and seethed and the flames united into a single fire. Now there was silence. Gandhi’s body was being reduced to ashes and cinders.

A nation’s father was dead.

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's Funeral

Mahatma Gandhi's फुनेरल

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गांधीजी के प्रति श्रद्धा-सुमन

क्रवर्ती राज गोपालाचारीपंडित जवाहरलाल नेहरूसरदार वल्लभभाई पटेल

श्रीमती सरोजिनी नायडुडॉ. राजेंद्र प्रसादडॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

जयप्रकाश नारायणघनश्यामदास बिरला । ब्रिटेन के महाराजालॉर्ड माउंटबेटन

अल्बर्ट आइंस्टाइनप्रेसिडेंट रूजवेल्ट । खान अब्दुल गफार खान मोहम्मद अली जिन्ना

लियाकत अली खान डॉ. मार्टिन लूथर किंग (जू.) रोम्या रोला लॉर्ड रिचर्ड एटनबरो ।

लुईस फिशर

http://www.hindi.mkgandhi.org/tributes.htm

1) चक्रवर्तीराज_गोपालाचारी"> क्रवर्तीराज गोपालाचारी

महान परंपरा का उत्तराधिकारी

इस महान व्यक्ति पर भारतमाता पीड़ा और करुणा से ऐंठ गई। भारतमाता और भारतीयों से इतना प्रेम किसी ने नहीं किया होगा जितना महात्मा गांधी ने किया। दिल्ली में घटी दुघर्टना भारतवासियों के भविष्य के इतिहास के लिए एक सुर, एक लय, एक तर्क और एक संगीत प्रदान करे। मैं प्रार्थना करता हू! कि भारत का इतिहास उस लय और ताल में लिखा जाए जिसे भारतमाता ने महात्मा गांधी के धराशायी होने पर महसूस किया था। इतनी गरिमामय मृत्यु किसी और की नहीं हो सकती। वे अपने राम की शरण में चले गये। वे बिस्तर पर पानी के लिए, डाक्टर या नर्स से गिडगिड़ाते हुए नहीं मरे, न तो बिस्तर पर पड़े-पड़े अनर्गल प्रलाप करते हुए मरे। वे खड़े-खड़े मरे, बैठे भी नहीं। शायद राम भी व्यग्र थे उन्हें अपने पास बुलाने के लिए, इसलिए प्रार्थना स्थल तक पहु!चने से पहले ही उन्हें अपनी शरण में बुला लिया।

जब सुकरात ने अपने विचारों के लिए और जीसस ने अपनी आस्था के लिए मृत्यु का वरण किया, तब उन्हें लगा होगा उन जैसी मृत्यु किसी और की नहीं होगी।

2) पंडित_जवाहरलाल_नेहरू">पंडित जवाहरलाल नेहरू

जीता जागता मसीहा

महान एवं प्रतिष्ठित लोगों की कांस्य और पाषाण मूर्तिया! बनायी गई हैं। लेकिन दैवी शक्ति से संपन्न इस महात्मा ने लाखों लोगों के दिलों में अपना घर बनाया और इसलिए हम वह बन सके जो कुछ हम हैं। हाला!कि उस स्तर तक नहीं पहु!च पाए जहा! हमें पहु!चना चाहिए था। वे भारत के कुछ चुने स्थानों, ठिकानों और सभाओं में ही नहीं छाए, बल्कि हर दलित, शोषित, उपेक्षित और दुखी लोगों के दिलों में समा गए। वे लाखों लोगों के दिलों में रहते हैं और अनंतकाल तक रहेंगे।

... वे चले गए और पूरे भारत में निराशा और करुणा व्याप गई है। हमारी समवेदनाए! पता नहीं मुझे, कब उबारेंगीं, लेकिन हमारी भावनाए! इस बात पर गौरवान्वित होंगी कि हमारी पीढ़ी के लोग इतने प्रभावशाली व्यक्ति से संबद्ध हो सके, उनके साथ काम कर सके। आनेवाले समय में, हमारे बाद की सदियों एवं शताब्दियों में लोग जब इस पीढ़ी के बारे में विचार करेंगे, जब यह मसीहा धरती पर आया था, तो सोचेंगे और उनके बताए रास्ते पर चलेंगे चाहे वह कितना भी छोटा आदमी हो। हम उनके ऋणी हैं और हमेशा रहेंगे।

3) सरदार_वल्लभभाई_पटेल">सरदार वल्लभभाई पटेल

उनका महान बलिदान हमें राह दिखाएगा

हालांकि उनका शरीर कल शाम चार बजे राख में तब्दील हो जाएगा। पर उनकी शिक्षा हमारे साथ रहेगी। मुझे लगता है कि गांधीजी की अमर आत्मा अभी भी यहा! मौजूद है और भविष्य में भी इस देश की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाएगी। जिस विक्षिप्त युवक ने उनकी हत्या की है वह अगर यह सोचता है कि गांधीजी की हत्या करके वह उनके मिशन को नष्ट कर रहा है, तो मैं कहू!गा कि वह गलत है। शायद ईश्वर चाहता है कि गांधीजी का मिशन उनकी मृत्यु से पूरा और समृद्ध हो।

मुझे विश्वास है कि गांधीजी का सर्वोच्च त्याग हमारे देश के प्रत्येक नागरिक की चेतना को जगाएगा और प्रत्येक भारतीय के मन में उच्चतर जिम्मेदारियों का अहसास कराएगा। मैं आशा और प्रार्थना करता हू! कि हम गांधीजी के मिशन को पूरा कर सकें। इस मुश्किल घड़ी में हममें से कोई भी हताश नहीं रह सकता और हम सभी एकजुट होकर राष्टं पर आयी आपदा का बहादुरी से सामना करेंगे। आइए, हम सभी गांधीजी की शिक्षा और उनके आदर्शों पर चलें।

4) श्रीमती_सरोजिनी_नायडु">श्रीमती सरोजिनी नायडु

अपने देश को आजादी और आत्मसम्मान दिलाया

महात्मा गांधी, जिनका तेजस्वी शरीर कल तक निष्ठापूर्वक प्रज्ज्वलित था, अभी मरे नहीं हैं। यह सच है कि दिल्ली में कई राजाओं का अंतिम संस्कार हुआ, यह भी सच है कि दिल्ली में जिन आत्माओं को चिरशांति मिली, उनके शरीर को महान वीरोचित सम्मान के साथ अंतिम संस्कार स्थल तक लाया गया - लेकिन यह छोटा आदमी उन सभी सेनापतियों से अधिक बहादुर था। दिल्ली सदियों से महान वंति का केंद्र रही है पर महात्मा गांधी ने अपने देश को विदेशी गुलामी से मुक्त कराया और आत्मसम्मान दिलाया।

5) डॉ._राजेंद्र_प्रसाद">डॉ. राजेंद्र प्रसाद

हिंदू समाज का मुक्तिदाता

क्या हम सपने में भी सोच सकते हैं कि हिंदुओं और उनके धर्म को गांधीजी ने हानि पहु!चायी? क्या यह संभव है कि हिंदू समाज को उदार बनानेवाला एवं निचले तबके के दबे-कुचले लोगों का मुक्तिदाता ऐसा सोच भी सकता है ? लेकिन संकुचित मानसिकता और सीमित दृष्टिवाले जो लोग हिंदू धर्म के मूलतन्व भी नहीं समझते हैं, उन्होंने इसको अन्यथा लिया जिसका सीधा नतीजा है वर्तमान माहौल।

6) डॉ._सर्वपल्ली_राधाकृष्णन">डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

गुम होते अतीत का इकलौता प्रतीक

मैं गांधीजी पर हुए हमले से स्तब्ध हू!। आश्चर्यजनक एवं कल्पनातीत घटना घटी है। हमारे समय के निर्दोषतम, शिखरस्थ एवं अत्यंत प्रेरणादायी व्यक्ति एक पागल के गुस्से का शिकार हुआ। इससे यह साबित होता है कि हममें सुकरात के दिनों से लेकर जिसे जहर का प्याला पीना पड़ा और जीसस जिसे सूली पर चढ़ना पड़ा - हममें कोई सुधार नहीं हुआ।

7) जयप्रकाश_नारायण">जयप्रकाश नारायण

हमें उनकी राह पर चलना चाहिए

यह शोक का अवसर है, बोलने का नहीं। हमें रोने दें, देश को रोने दें और विश्व के महानतम व्यक्ति की हत्या के कलंक को अपनी आत्मा से धो लेने दें। हमें महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर अवश्य चलना चाहिए। वे एक विशेष मिशन के साथ दिल्ली आए थे। करो या मरो। उन्होंने काफी काम किया और अपना जीवन अपने मिशन को पूरा करने में समर्पित कर दिया। आइए, अब हम उनके अधूरे काम को पूरा करने में लग जाए!।

8) घनश्यामदास_बिरला">घनश्यामदास बिरला

योद्धा, मसीहा और संत

मानवीय इतिहास में यह अनोखी बात है कि एक अकेला व्यक्ति एक ही समय योद्धा, मसीहा और संत तीनों था और उससे भी अधिक वह विनम्र और मानवीय था - ये वे गुण हैं जो उनके चरित्र में प्रमुखता से दिखाई पड़ते हैं।

9) ब्रिटेन_के_महाराजा">ब्रिटेन के महाराजा

अपूरणीय क्षति

महात्मा गांधी की हत्या की खबर से रानी और मैं स्तब्ध हैं। छपया भारतीयों एवं संपूर्ण मानव जगत की हुई अपूरणीय क्षति पर मेरी सहानुभूति पहु!चाए।

10) लॉर्ड_माउंटबेटन">लॉर्ड माउंटबेटन

सत्य और प्रेममय जीवन

गांधीजी, प्रेम एवं सहिष्णुता का प्रकाशपुंज थे, उनकी मृत्यु से सचमुच मानव जगत को बड़ा नुकसान हुआ है। इस गहरे शोक के बावजूद भारत को इस बात का गर्व होना चाहिए कि उसने विश्व को एक ऐसा व्यक्ति दिया जिससे लोग हमेशा प्रेरणा पाते रहेंगे। भारत और संपूर्ण विश्व में भी, शायद आने वाली सदियों में, वैसा व्यक्ति फिर नहीं हो पाएगा। इस मुश्किल घड़ी में हमारे लिए सांत्वना की बात यह है कि उनका जीवन, जो सत्य, सहिष्णुता और प्रेम से भरा था, समस्याग्रस्त संसार को प्रेरणा देगा।

11) अमेरिका : अल्बर्ट_आइंस्टाइन">अल्बर्ट आइंस्टाइन

जो भी मानव जगत के बेहतर भविष्य के लिए चिंतित हैं - महात्मा गांधी के दुखद निधन से अवश्य आहत हुए होंगे। वे अपने ही सिद्धांतो, अहिंसा के सिद्धांतों की बलि चढ़ गए। वे इसलिए मारे गए कि अपने देश में काफी उथल-पुथल और आम गुस्से के बावजूद उन्होंने अपनी सशत्र सुरक्षा को ठुकरा दिया। उनका अटूट विश्वास था कि ताकत का इस्तेमाल भी अपराध है और इससे बचा जाना चाहिए। अपने इसी विश्वास को लेकर उन्होंने एक महान देश की आजादी की लड़ाई का नेतृत्व किया। गांधीजी ने दिखा दिया कि आम लोगों की ताकत को जीवन के उच्च नैतिक मानदंडों द्वारा भी एकजुट किया जा सकता है, उसके लिए आम तौर पर अपनायी जानेवाली राजनीतिक कुटिलता और चालबाजिया! जरूरी नहीं हैं।

पूरी दुनिया में महात्मा गांधी की प्रशंसा की वजह यह भी है कि वे राजनीतिक क्षेत्र में भी उच्चतर मानवीय संबंधों के पक्ष में खड़े रहने वाले इकलौते व्यक्ति रहे। उस स्तर पर पहु!चने के लिए हमें अपनी पूरी ताकत लगा देनी चाहिए। हमें यह मुश्किल सबक भी अवश्य लेना चाहिए कि भविष्य में मानवता के स्थायित्व के लिए जरूरी है, अंतर्राष्टींय संबंधों में भी, कि फैसले कानून और न्याय के आधार पर हो न कि ताकत के बल पर जैसा कि अब तक होता आया है। बाहरी सना से अधिछत, अपने लोगों का नेता, एक राजनेता जिसकी सफलता कलाबाजी, रहस्य और तकनीकी कौशल पर निर्भर नहीं थी बल्कि अपने व्यक्तित्व से समझाने की क्षमता, एक विजयी योद्धा, बौद्धिक एवं मानवता का आदमी जिसने अपनी सारी क्षमता लोगों की उन्नति और बेहतरी के लिए लगायी, एक व्यक्ति जिसने यूरोपीय व्wरता का विरोध किया और इस तरह वह सर्वोपरि हुआ - आनेवाली पीढ़िया! शायद बड़ी मुश्किल से इस बात पर विश्वास कर पाए!गी कि ऐसा जीता-जागता मनुष्य इस धरती पर आया था।

12) प्रेसिडेंट_रूजवेल्ट">प्रेसिडेंट रूजवेल्ट

इस बात में संदेह नहीं कि गांधी में महान आध्यात्मिक गुण थे और एक मात्र उम्मीद - हालांकि वह अपने लोगों के बीच में नहीं है, यह है कि उनका प्रभाव 'विश्व को देने` के गुण के कारण है और हमें आशा है कि उनकी हत्या लोगों को हिंसा से विमुख करेगी।

पाकिस्तान

13) खान_अब्दुल_गफ्फार_खान_">खान अब्दुल गफ्फार खान

अंधेरे से उबरने में वे रोशनी की इकलौती किरण थे।

14) मोहम्मद_अली_जिन्ना">मोहम्मद अली जिन्ना

मैं इस महान आदमी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हू!। वे जिन सिद्धांतों में विश्वास करते थे, उस पर अमल करते हुए मारे गए। उनकी दुखद मृत्यु, हालांकि हम हत्यारे की जितनी भी निंदा करें; एक श्रेष्ठ मृत्यु थी क्योंकि वे अपना कर्तव्य करते हुए मारे गए।

15) लियाकत_अली_खान">लियाकत अली खान

सांप्रदायिक सद्भाव में स्मरणीय पहल

इस समय भारतीय राजनीति में उनका जाना अपूरणीय क्षति है। सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने में उनकी पहल को छतज्ञता के साथ सभी शांतिप्रिय लोगों द्वारा याद रखा जाएगा। हमें आशा करनी चाहिए कि सांप्रदायिक सद्भाव के लिए की गई उनकी पहल - जिसको अपनी दुखद मृत्यु के बहुत पहले उन्होंने शुरू किया था - सफल होगा।

16) डॉ._मार्टिन_लूथर_किंग_(जूनियर)">डॉ. मार्टिन लूथर किंग (जूनियर)

अन्य लोगों की तरह मैंने भी गांधी को सुना था, पर मैंने गंभीरता से उनका अध्ययन नहीं किया। जब मैंने पढ़ा तो अहिंसक प्रतिरोध के उनके अभियान से काफी प्रभावित हुआ... सत्याग्रह का पूरा सिद्धांत गहराई में मुझमें समाया।

''गांधी संभवतः इतिहास में पहले व्यक्ति थे जिन्होंने ईसा के 'प्रेम` के संदेश को व्यक्तियों से लेकर ताकतवर और सामाजिक ताकतों से बड़े पैमाने पर बातचीत के जरिए फैलाया। जिस बौद्धिक एवं नैतिक संतोष को मैं बेंथम एवं मिल के उपभोगवाद, मार्क्स और लेनिन की वंति, हॉब्स के सामाजिक संबंध सिद्धांत, रूसो के 'प्रछति की ओर लौटो` के आशावाद और नीत्से के सुपरमैन फिलॉसॉफी में नहीं पा सका - मुझे गांधी के अहिंसक-प्रतिरोध दर्शन में वह मिला। अगर मानवता को प्रगति करनी है तो गांधी को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने विश्वशांति एवं सद्भाव को मानवीय दृष्टि से देखा, उससे प्रेरित हुए और वैसा ही सोचा, किया तथा जिया। हम अपने अस्तित्व की कींमत पर ही उनकी उपेक्षा कर सकते हैं।

17) रोम्या_रोला!">रोम्या रोला!

'गांधी केवल भारत के राष्टींय इतिहास के नायक ही नहीं है जिनकी महान स्मृतिया! लोगों को रोशन करती रहेंगी, बल्कि पश्चिमी दुनिया के लिए भी गांधी ने, ईसा के संदेशों को जो भुला दिये गए थे - पुनर्जीवित किया।`

'अनेक लोगों के लिए वे ईसा का ही अवतार थे। स्वतंत्र चिंतको तथा दूसरों के लिए गांधीजी ज्या! जाक रूसो और टॉलस्टाय का ही विस्तार थे जिन्होंने सभ्यता के अपराधों तथा भ्रमों को तोड़ा और मनुष्य को प्रछति, साधारण जीवन और स्वास्थ्य की ओर उन्मुख किया।`

'मैंने यहा! स्विट्जरलैण्ड में, किसानों तथा पहाड़ियों को प्रेम एवं सद्भाव की दिशा में जिस तरह प्रेरित किया है - वह मैंने देखा है।`

18) लॉर्ड_रिचर्ड_एटनबरो">लॉर्ड रिचर्ड एटनबरो

जब महात्मा गांधी से यह पूछा गया कि मनुष्य के किस गुण की वे प्रशंसा करते हैं तो उन्होंने तुंत, सरलतापूर्वक उनर दिया - हौंसला। उन्होंने कहा - अहिंसा कायरता छिपाने की ढ़ाल नहीं हैं। यह तो बहादुरों का हथियार है।

19) लुईस_फिशर">लुईस फिशर

एक अर्धनग्न बूढ़ा जो ग्रामीण भारत में बसता था, उसके निधन पर मानवता रोई


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