Friday, September 25, 2009

हिन्दोस्तान उम्मीद से है..


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हिंदुस्तान में दो दो हिंदुस्तान दिखाई देते हैं

एक है जिसका सर नवें बादल में है
दूसरा जिसका सर अभी दलदल में है

एक है जो सतरंगी थाम के उठता है
दूसरा पैर उठाता है तो रुकता है

फिरका-परस्ती तौहम परस्ती और गरीबी रेखा
एक है दौड़ लगाने को तय्यार खडा है

‘अग्नि’ पर रख पर पांव उड़ जाने को तय्यार खडा है
हिंदुस्तान उम्मीद से है!

आधी सदी तक उठ उठ कर हमने आकाश को पोंछा है
सूरज से गिरती गर्द को छान के धूप चुनी है

साठ साल आजादी के…हिंदुस्तान अपने इतिहास के मोड़ पर है
अगला मोड़ और ‘मार्स’ पर पांव रखा होगा!!

हिन्दोस्तान उम्मीद से है..

इस छोटी सी जिन्दगी के, गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ,


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इस छोटी सी जिन्दगी के,
गिले-शिकवे मिटाना चाहता हूँ,
सबको अपना कह सकूँ,
ऐसा ठिकाना चाहता हूँ,
टूटे तारों को जोड़ कर,
फिर आजमाना चाहता हूँ,
बिछुड़े जनों से स्नेह का,
मंदिर बनाना चाहता हूँ.
हर अन्धेरे घर मे फिर,
दीपक जलाना चाहता हूँ,
खुला आकाश मे हो घर मेरा,
नही आशियाना चाहता हूँ,
जो कुछ दिया खुदा ने,
दूना लौटाना चाहता हूँ,
जब तक रहे ये जिन्दगी,
खुशियाँ लुटाना चाहता हू..

अल्फ़ाज़ों मैं वो दम कहाँ जो बया करे शख़्सियत हमारी,
रूबरू होना है तो आगोश मैं आना होगा ,
यूँ देखने भर से नशा नहीं होता जान लो साकी,
हम इक ज़ाम हैं हमें होंठो से लगाना होगा..
हमारी आह से पानी मे भी अंगारे दहक जाते हैं,
हमसे मिलकर मुर्दों के भी दिल धड़क जाते हैं,
गुस्ताख़ी मत करना हमसे दिल लगाने की साकी,
हमारी नज़रों से टकराकर मय के प्याले चटक जाते हैं..

मुझे तो आदत है आपको याद करने की,
अगर हिचकी आए तो माफ़ करना..
ये दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते हैं,
कभी दूर तो कभी क़रीब होते हैं,
दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते हैं,
और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते हैं,
एक मुलाक़ात करो हमसे इनायत समझकर,
हर चीज़ का हिसाब देंगे क़यामत समझकर,
मेरी दोस्ती पे कभी शक ना करना,
हम दोस्ती भी करते हैं इबादत समझकर,
ख़ामोशियों की वो धीमी सी आवाज़ है,
तन्हाइयों मे वो एक गहरा राज़ है,
मिलते नही हैं सबको ऐसे दोस्त,
आप जो मिले हो हमे ख़ुद पे नाज़ है..

Har Ghadi Badal Raha Hai Roop Zindagi


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Har Ghadi Badal Raha Hai Roop Zindagi
Chaav Hai Kahhi Hai Dhoop Zidnagi
Har Pal Yahan
Jee Bhar Jiyo Jo Hai Sama
Kal Ho Na Ho
Har Ghadi Badal Raha Hai Roop Zindagi
Chaav Hai Kahhi Hai Dhoop Zidnagi
Har Pal Yahan
Jee Bhar Jiyo Jo Hai Sama
Kal Ho Na Ho

Chaahe Jo Tumhe Poore Dil Se
Milta Hai Woh Mushkil Se
Aisa Jo Koi Kahin Hai
Bas Vahi Sabse Hasin Hai
Us Haath Ko Tum Thaam Lo
Woh Meherbaan Kal Ho Na Ho
Har Pal Yahan
Jee Bhar Jiyo Jo Hai Sama
Kal Ho Na Ho

Palko Ke Leke Saaye
Paas Koi Jo Aaye
Lakh Sambhalo Paagal Dil Ko
Dil Dhadke Hi Jaaye
Par Sochlo Is Pal Hai Jo
Woh Dastan Kal Ho Na Ho
Har Pal Yahan
Jee Bhar Jiyo Jo Hai Sama
Kal Ho Na Ho
Har Pal Yahan
Jee Bhar Jiyo Jo Hai Sama
Kal Ho Na Ho
just walk besides me
as like a friend."

phool mujhe pasand nahin,


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phool mujhe pasand nahin,
main kantoon ka diwana hoon.

main jalne wali aag nahin,
jal jane wala parwana hoon.

khawab mujhe pasand nahin,
main hakikat ka ashiyana hoon.

main mitne wali hasrat nahin,
jine wala afsana hoon.

main thamne wala waqt nahin,
naa chu pane wala kinara hoon.

main rukne wali sanns nahin,
sada dil me dhadkne wala sahara hoon