प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सहमति से हुआ फैसला और राजा कर सके 1.76 लाख करोड़ का घोटाला
2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन
सिंह ने मंत्रियों के समूह (जीओएम) के टर्म्स ऑफ रिफरेंस (टीओआर अथवा
कार्यवाही के बिंदु) को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी सहमति से
ही स्पेक्ट्रम की कीमतें तय करने का हक जीओएम से लेकर टेलीकॉम मंत्री को दे
दिया गया। इसी वजह से तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा जनवरी 2007 में
घोटाला कर पाए, जिससे देश को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। सामाजिक
कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत गोपनीय दस्तावेज
हासिल किए हैं, जिनसे यह खुलासा हुआ।
इस बीच, वॉशिंगटन में
भारतीय पत्रकारों से बातचीत में प्रणब मुखर्जी ने 2 जी स्पेक्ट्रम विवाद पर
पूछे गए सवाल का जवाब देने से इनकार करते हुए कहा है कि वह इस मुद्दे पर
भारत लौटने के बाद ही बोलेंगे। वहीं, बीजेपी ने अब प्रधानमंत्री पर निशाना
साधते हुए कहा है कि डॉ. मनमोहन सिंह को इस मुद्दे पर देश को जवाब देना
चाहिए। पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार की सुबह कहा, ‘यह
मामला सिर्फ चुपचाप दर्शक बने रहने का नहीं बल्कि मिलीभगत का है।’
2जी
घोटाले में पहले पी चिदंबरम, फिर प्रणब मुखर्जी और अब खुद प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह की भूमिका को लेकर हो रहे खुलासे के बीच प्रणब मुखर्जी अमेरिका
में प्रधानमंत्री से आपात बैठक करने वाले हैं।
मनमोहन से मिले मारन: जनवरी
2006 में प्रधानमंत्री ने दूरसंचार कंपनियों के लिए रक्षा मंत्रालय से
अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खाली करवाने के मामले में जीओएम के गठन को मंजूरी दी
थी। जीओएम के सामने सिफारिशों पर विचार करने के विषय विस्तृत थे। इसमें
दुर्लभ 2जी स्पेक्ट्रम की कीमतों के निर्धारण पर भी चर्चा होनी थी। एक
फरवरी 2006 को तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने प्रधानमंत्री से
मुलाकात की। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा।
मेरी इच्छा के हों टीओआर :
28 फरवरी 2006 को तत्कालीन दूरसंचार मंत्री और द्रमुक नेता दयानिधि मारन
ने प्रधानमंत्री को अर्धशासकीय पत्र (डीओ नंबर एल-14047/01/06-एनटीजी)
लिखा। मारन ने ‘गोपनीय’ पत्र में लिखा, ‘आपको याद ही होगा कि एक फरवरी 2006
की मुलाकात में हमने रक्षा मंत्रालय द्वारा स्पेक्ट्रम खाली करने के
मुद्दे पर गठित जीओएम पर चर्चा की थी। आपने मुझे आश्वस्त किया था कि जीओएम
के टीओआर हमारी इच्छानुसार तैयार होंगे। यह जानकर आश्चर्य हुआ कि जीओएम के
सामने जो विषय रखे गए हैं, वे बहुत व्यापक हैं। ऐसे मामलों का परीक्षण किया
जा रहा है, जो मेरे अनुसार मंत्रालय स्तर पर किए जाने वाले कार्यो में
अतिक्रमण है। विचार के इन बिंदुओं में हमारी सिफारिशों के आधार पर बदलाव
किया जाए।’
मारन ने बनाए जीओएम की कार्यवाही के बिंदु: मारन
ने पत्र के साथ जीओएम के लिए कार्यवाही के बिंदुओं का नया प्रस्ताव भी
भेजा। पहले जीओएम को छह बिंदुओं पर चर्चा के लिए कहा गया था। इनमें
स्पेक्ट्रम का मूल्य निर्धारण शामिल था। मारन ने प्रस्तावित एजेंडे में से
उसे हटा दिया। सिर्फ चार विषयों को ही प्रस्तावित कार्यवाही के बिंदुओं में
शामिल किया। यह सभी रक्षा मंत्रालय से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम खाली कराने से
जुड़े थे। प्रधानमंत्री ने जवाबी पत्र में मारन का पत्र मिलने की पुष्टि
की।
चार बड़ी वजहें जो उन्हें संदेह के घेरे में लाती हैं
१ - कार्यवाही के बिंदु कैसे बदले
कार्यवाही
के बिंदुओं (टर्म्स ऑफ रिफरेंस) की जानकारी केवल तीन किरदारों के पास थी।
खुद टेलीकॉम मंत्री दयानिधि मारन, दूसरे प्रणब की अध्यक्षता वाले मंत्रियों
का समूह और तीसरे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह। या तो दयानिधि मारन ने बिंदु
बदले (लेकिन यह इनके अधिकार क्षेत्र से बाहर था। यह उनके लिए असंभव था।) या
मंत्रियों का समूह ने ऐसा किया (अपनी ही कार्यवाही के बिंदु वे बदलकर
हलके क्यों करेंगे।) फिर मारन प्रधानमंत्री से मिले। इसके बाद ही कार्यवाही
के बिंदु बदल गए।
२ - नोटिफिकेशन पर आपत्ति क्यों नहीं उठाई गई
चूंकि केबिनेट सचिवालय न तो संचार मंत्री को रिपोर्ट करता है और न मंत्रियों के समूह को। वह सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है।
प्रधानमंत्री की सहमति के बाद ही केबिनेट सचिवालय से नोटिफिकेशन जारी हो सकता है।
३ - मंत्रियों का समूह चुप क्यों रहा
आठ प्रभावशाली मंत्रियों वाले इस समूह ने कार्यवाही के बिंदु बदले जाने पर आपत्ति क्यों नहीं उठाई? तीन ही बातें हो सकती हैं
1. या तो बिंदु बदलने से उनका कुछ लेना देना नहीं था
2. या उन्हें जानकारी नहीं थी। ये दोनों बातें असंभव है।
3. या यह प्रधानमंत्री का आदेश था, जिसकी वे अवहेलना नहीं कर सकते थे।
4 - वित्तमंत्री को क्यों किया नजरअंदाज
सरकारी
कामकाज के नियम-1961 के मुताबिक ऐसे किसी भी फैसले को लेने से पहले जिसमें
पैसों का मामला हो, वित्तमंत्रालय से सलाह मशविरा जरूरी है। लेकिन इस
मामले में तत्कालीन वित्तमंत्री की पूरी तरह अनदेखी की गई। यह तभी संभव था
जब
प्रधानमंत्री ने खुद आदेश दिए हों। मारन के इस पत्र से स्पष्ट हुआ कि
मंत्री समूह के कार्यवाही के बिंदु बदलने में प्रधानमंत्री की सहमति थी।
राजा भी यही कहते थे
राजा ने 25 जुलाई 2011 को सीबीआई की विशेष अदालत में दलील दी थी कि मैंने जो भी किया उसके पीछे मनमोहन और चिदंबरम की मंजूरी थी।
जनलोकपाल होता तो ये सब जेल में होते
देश
में आज जन लोकपाल कानून होता तो चिदंबरम और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने
वाले बाकी नेता भी जेल में होते। चिदंबरम ने मुझे जेल भेजा था। देखिए, आज
वे खुद जेल जाने की कगार पर हैं। -अन्ना
http://www.bhaskar.com/article/NAT-is-our-prime-minister-involved-in-2g-scam-2454559.html?HT1=/
2जी घोटाला: जेपीसी ने वित्त मंत्रालय से मांगा पत्र
2जी
स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने वित्त
मंत्रालय से वह पत्र मांगा है, जिसके मुताबिक तत्कालीन वित्त मंत्री पी.
चिदंबरम ने दबाव दिया होता तो घोटाला रोका जा सकता था। जेपीसी के चेयरमैन
पीसी चाको ने बताया कि 27 और 28 सितंबर को होने वाली समिति की बैठक में
सदस्यों द्वारा इस पत्र के मांगे जाने की पूरी संभावना है। ऐसे में हम इस
पत्र का संज्ञान लेना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए इस पत्र की खबरें आने
के बाद इसकी तलाश कराई गई। लेकिन यह पत्र समिति के कार्यालय में उपलब्ध
नहीं था। इसके बाद उन्होंने वित्त मंत्रालय को लिखा है। हालांकि उन्होंने
घोटाले में चिदंबरम से पूछताछ के सवाल पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
लेकिन सूत्रों का कहना है कि जेपीसी 1998 के बाद के सभी पूर्व वित्त
मंत्रियों और पूर्व वित्त सचिवों को बुलाकर पूछताछ करने का फैसला कर चुकी
है।
प्रधानमंत्री से प्रणब की आपात बैठक!
वाशिंगटनत्नवित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी अपनी वाशिंगटन यात्रा के बीच से
अचानक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने के लिए न्यूयार्क जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, वहां दोनों के बीच महत्वपूर्ण बैठक होगी।
2जी घोटाले में वित्त मंत्रालय द्वारा पीएमओ को भेजे गए नोट ने हंगामा
खड़ा कर दिया है। मुखर्जी आईएमएफ और विश्व बैंक की सालाना बैठक के लिए
वाशिंगटन में हैं।
जबकि प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र महासभा के 66वें सत्र में भाग लेने
के लिए न्यूयार्क में हैं। वह शनिवार को इसको संबोधित करेंगे। सिंह और
मुखर्जी के बीच बैठक प्रधानमंत्री के महासभा को संबोधन के बाद होने की
उम्मीद है।
http://www.bhaskar.com/article/NAT-jpc-asks-for-the-fm-letter-to-pmo-regarding-2g-scam-2454715.html
दयानिधि मारन की प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी देखें
दयानिधि मारन की पीएम को लिखी चिट्ठी का पहला पन्ना
http://www.bhaskar.com/article/NAT-dayanidhi-marans-letter-to-pm-2455648.html
बढ़ रही है चिदंबरम की मुश्किलें, पीएसी में भी उछला 2जी मामला
2जी मामले में गृहमंत्री पी. चिदंबरम की मुश्किलों में लगातार इजाफा होता जा रहा है। प्रणब मुखर्जी के मंत्रालय की ओर से चिदंबरम की भूमिका पर उंगली उठाने वाले पत्र का खुलासा होने के एक दिन बाद संसद की लोक लेखा समिति ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है।
शुक्रवार को लोक लेखा समिति (पीएसी) की बैठक में यह मामला भी उछला। सूत्रों के मुताबिक, अकाली दल सांसद नरेश गुजराल और बीजद के सांसद बी महताब ने सबसे पहले यह मुद्दा छेड़ा।
इन दोनों नेताओं का यह कहना था कि चूंकि पीएसी में 2जी मामले पर विस्तृत छानबीन की गई है और उसकी रिपोर्ट अभी भी पीएसी के विचाराधीन है, लिहाजा इस मामले में ताजा घटनाक्रम की भी जांच जरूरी है।
इन सदस्यों की मांग थी कि अखबारों में छपे इस खुलासे के आलोक में पीएसी को मामले की तह तक जाने के लिए कोशिश करनी चाहिए।
सूत्रों के मुताबिक, आम तौर पर स्पीकर की ओर से वापस की गई 2जी घोटाले की रिपोर्ट पर यूपीए खासकर कांग्रेस के सांसदों की प्रतिक्रिया काफी आक्रामक हुआ करती है, लेकिन इस ताजा खुलासे के बाद कांग्रेस सांसदों की ओर से भी ज्यादा विरोधी स्वर सुनने को नहीं मिले।
सूत्रों का दावा है कि वित्तमंत्री के स्पेक्ट्रम आवंटन की नीति को लेकर चिदंबरम की भूमिका पर जो सवाल उठाए गए हैं उसके बाद यूपीए और कांग्रेस सांसद भी खुलकर कुछ कहने को तैयार नहीं हैं।
पीएसी सूत्रों से पता चला है कि समिति के दफ्तर को यह हिदायत दे दी गई है कि वित्त मंत्रालय और इस पत्र से जुड़े तमाम अधिकारियों से जानकारी तलब की जाए। अगर यह मामला आगे बढ़ा तो समिति संबंधित अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब कर सकती है।
http://www.bhaskar.com/article/NAT-pac-discusses-2g-scam-case-and-fm-note-to-pmo-2454358.html
'2जी घोटाला में चिदम्बरम को सह अभियुक्त बनाया जाए '
जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने गुरुवार को निचली अदालत में एक याचिका दायर कर 2जी स्पेक्ट्रम मामले में केंद्रीय गृहमंत्री पी.चिदम्बरम को सह अभियुक्त बनाने की मांग की है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में दायर अपनी याचिका में सुब्रमण्यम ने चिदम्बरम का बयान फिर से दर्ज कराने की मांग की। मामले की सुनवाई न्यायाधीश ओ.पी.सैनी कर रहे थे।
स्वामी ने कहा कि संसद में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए सिर्फ पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ही जिम्मेदार नहीं हैं।
यह मंत्रिमंडल का निर्णय था और केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में चिदम्बरम उस निर्णय में भागीदार थे।
स्वामी ने अदालत से अपने आवेदन में कहा,"इसलिए मैंने इस घोटाले में स्वयं के साथ अन्य गवाहों को सम्मन जारी करने और चिदम्बरम को सह अभियुक्त बनाने के लिए नई याचिका दाखिल की है।"
इससे पहले सुब्रमण्यम ने अदालत से कहा था कि सीबीआई द्वारा पेश आरोप पत्र में चिदम्बरम की भूमिका की अनदेखी की गई है, जिन्होंने स्पेक्ट्रम आवंटन के 'महत्वपूर्ण निर्णय को संयुक्त रूप से लिया था'।
http://www.bhaskar.com/article/NAT-janta-party-chief-subramanian-swami-files-petition-in-a-court-demanding-that-chi-2432984.html
पीएम को लिखी चिट्ठी में प्रणब मुखर्जी का आरोप- चिदंबरम ने होने दिया 2जी घोटाला
पौने दो लाख करोड़ रुपये के 2जी घोटाले में गृहमंत्री पी. चिदंबरम का नाम शामिल हो गया है। आरटीआई के जरिए सामने आई वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की तरफ से प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखी गई चिट्ठी में कहा गया है कि अगर चिदंबरम चाहते तो 2जी घोटाला रोक सकते थे। लेकिन उन्होंने 30 जनवरी 2008 को ए राजा से मीटिंग में उन्हें पुरानी दरों पर स्पेक्ट्रम बेचने की इजाजत दी। उन्होंने कहा- मैं अब एंट्री फीस या रेवेन्यू शेयरिंग की वर्तमान दरों को रीविजिट (समीक्षा) नहीं करना चाहता। यह चिट्ठी 25 मार्च 2011 को लिखी गई थी।
चिट्ठी में कहा गया है कि अगर चिदंबरम चाहते तो स्पेक्ट्रम की पहले आओ, पहले पाओ की जगह उचित कीमत पर नीलामी की जा सकती थी। 11 पन्नों की ये चिट्ठी आने वाले वक्त में चिदंबरम के लिए आफत का सबब बन सकती है। यह चिट्टी आरटीआई के तहत विवेक गर्ग ने हासिल की है। जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्र्हाण्यम स्वामी ने बुधवार को यह पत्र सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच के समक्ष दस्तावेज के तौर पर पेश किया।
चिट्ठी का सच
25 मार्च 2011 को वित्त मंत्रालय में उपनिदेशक डॉ. पीजीएस राव ने पीएमओ में संयुक्त सचिव विनी महाजन को ये चिट्ठी भेजी थी। इसके कवरिंग लेटर में साफ लिखा है कि इसे प्रणब मुखर्जी पढ़ चुके हैं। इसका विषय था- 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन और मूल्य निर्धारण।
राजा की मनमानी जिसे ठहराया ‘सही’ यह किया चिदंबरम ने...
पुरानी दरों पर ही स्पेक्ट्रमः 30 जनवरी 2008 को ए राजा से मीटिंग में उन्हें पुरानी दरों पर स्पेक्ट्रम बेचने की इजाजत दी।
‘पहले आओ, पहले पाओ’ ही ठीकः पहले आओ, पहले पाओ की जगह ज्यादा कीमत पर स्पेक्ट्रम की नीलामी की जा सकती थी।
अपने अफसरों की भी नहीं सुनीः वित्त मंत्रालय ने टेलीकॉम सेक्टर में ग्रोथ के अनुपात में फीस तय करने की बात की। राजा इससे सहमत नहीं थे। चिदंबरम ने विरोध नहीं किया।
लिमिट बढ़ाकर फायदा पहुंचायाः वित्त मंत्रालय 4.4 मेगाहट्र्ज से ऊपर के स्पेक्ट्रम को बाजार भाव पर बेचना चाहता था। राजा ने यह सीमा 6.2 मेगाहट्र्ज कर दी। चिदंबरम इसी पर मान गए। लेकिन किसी भी कंपनी को 6.2 मेगाहट्र्ज से ऊपर स्पेक्ट्रम दिया ही नहीं गया।
ऐसे रोक सकते थे...
लाइसेंस की शर्ते बदल सकते थेः कंपनियों को दिए यूएएस लाइसेंस का प्रावधान 5.1 सरकार को लाइसेंस की शर्तो को किसी भी समय बदलने की इजाजत देता है। बशर्ते यह जनहित में हो या सुरक्षा के लिए जरूरी हो।
4 महीने थे सरकार के पासः सरकार के पास प्रावधान को लागू करने के लिए काफी समय था। लाइसेंस के चार महीने बाद स्पेक्ट्रम दिया।
..तो लागू होतीं नई दरेंः 4.4 मेगाहट्र्ज से ऊपर की नीलामी वाले रुख पर कायम रहकर कंपनियों से नई दरों पर पैसे वसूले जा सकते थे।
किस पर क्या असर?
सरकार पर : घोटाले में द्रमुक कोटे के दो मंत्रियों (राजा और दयानिधि मारन) के इस्तीफे हो चुके हैं। द्रमुक अब चिदंबरम के इस्तीफे की मांग उठाएगा।
चिदंबरम पर: विपक्ष और खासकर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता उनकी गिरफ्तारी और पद से बर्खास्तगी की मांग तेज करेंगी।
प्रणब मुखर्जी पर: यह पत्र खुद उनके मंत्रालय ने उनकी रजामंदी से लिखा है। ऐसे में पार्टी फोरम पर उनसे जवाब तलब किया जा सकता है।
सीबीआई ने कहा,चिदम्बरम को 2जी मामले में न घसीटें
- अदालत नए तथ्यों के आधार पर पीएमओ और चिदंबरम से स्पष्टीकरण मांग सकती है।
- विशेष जज संबंधित पत्रावली अदालत के सामने पेश किए जाने के आदेश दे सकते हैं।
- प्रधानमंत्री के खिलाफ विपक्ष का अभियान और तेज और तीखा होगा।केंद्र सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) ने टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में केंद्रीय गृह मंत्नी पी.चिदम्बरम को सह-अभियुक्त बनाने की मांग का मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में विरोध किया।
- विशेष जज संबंधित पत्रावली अदालत के सामने पेश किए जाने के आदेश दे सकते हैं।
- प्रधानमंत्री के खिलाफ विपक्ष का अभियान और तेज और तीखा होगा।केंद्र सरकार और केंद्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) ने टू जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले में केंद्रीय गृह मंत्नी पी.चिदम्बरम को सह-अभियुक्त बनाने की मांग का मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में विरोध किया।
सीबीआई के वकील के.के.वेगुगोपाल ने न्यायमूर्ति जी.एस.सिंघवी और न्यायमूर्ति ए.के.गांगुली की खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि इस चरण में उच्चतम न्यायालय किसी व्यक्ति को टू जी मामले में सह-अभियुक्त बनाने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
वेणुगोपाल ने कहा कि इस मामले में आगे की जांच करने या अन्य अभियुक्तों को शामिल करने का निर्देश अब केवल निचली अदालत ही दे सकती है। याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने दलील दी कि स्पेक्ट्रम की कीमत पूर्व दूरसंचार मंत्नी ए.राजा एवं चिदम्बरम ने तय की थी।
उन्होंने कहा कि मूल्य निर्धारण को लेकर दोनों के बीच वर्ष 2008 में सात महीने के भीतर चार बैठके हुई थी।
जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में चिदम्बरम को सह-अभियुक्त बनाने के लिए सीबीआई को निर्देश दिया जाना चाहिए।
पूर्व केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा सहित 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले से सम्बंधित सभी 14 आरोपियों ने भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की रिपोर्ट की प्रति प्राप्त करने के लिए मंगलवार को यहां केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
http://www.bhaskar.com/article/NAT-cbi-opposes-making-chidambaram-as-co-accused-in-2g-scam-2445698.html
2जी घोटाला : ट्राई की रिपोर्ट के लिए अदालत गए आरोपी
ट्राई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के कारण सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ है।राजा और अन्य आरोपियों द्वारा सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओ.पी.सैनी के समक्ष पेश किए गए आवेदन में कहा गया है,"वे भारत सरकार को हुए नुकसान की राशि की जानकारी के लिए रिपोर्ट चाहते हैं।"
सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में 2जी लाइसेंस के आवंटन से सरकारी खजाने को लगभग 30,000 करोड़ रुपये के नुकसान का जिक्र किया है। भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने नीलामी के बदले पहले आओ,पहले पाओ के आधार पर स्पेक्ट्रम आवंटन के राजा के निर्णय के कारण 1.76 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का जिक्र किया है।
आवेदन को संज्ञान में लेते हुए न्यायाधीश सैनी ने सीबीआई से शुक्रवार तक जवाब देने को कहा है।
सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को कहा गया था कि ट्राई ने कहा है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के कारण सरकारी खजाने को कोई नुकसान नहीं हुआ है, लिहाजा न्यायिक हिरासत में रखे गए आरोपियों को जमानत पाने का हक है।
यह तर्क उस समय दिया गया, जब सर्वोच्च न्यायालय में यूनीटेक के संजय चंद्रा और डीबी रियलिटी के विनोद गोयनका की जमानत याचिकाओं पर बहस चल रही थी। दोनों 2जी मामले में अपनी कथित संलिप्तता के लिए न्यायिक हिरासत में हैं।
आय से अधिक संपत्तिः फंस गए एक और नेताजी के बेटे
आय से अधिक संपत्ति मामले में इनेलो के राष्ट्रीय महासचिव अजय सिंह चौटाला की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने अजय चौटाला पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून की दो धाराओं के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया।
बाद में चौटाला के वकीलों ने कोर्ट में दो नई अर्जी देकर सीबीआई के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू करने व छापों में बरामद सभी दस्तावेज मुहैया कराने का आग्रह किया। शुक्रवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे अजय चौटाला अपने वकीलों के साथ कड़कडड़ूमा की विशेष सीबीआई कोर्ट के जज पीएस तेजी के सामने पेश हुए।
कोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (2), 13 (1 इ) और भारतीय दंड संहिता की धारा 109 (अपराध के प्रति उकसावे) के तहत आरोप तय किए। सीबीआई के आरोप पत्र में अजय पर अपनी घोषित संपत्ति से 27 करोड़ रुपए अधिक (339 फीसदी) संपत्ति का आरोप लगाया गया है। मामले की अगली सुनवाई अब 11 नवंबर को होगी।
आरोप निर्धारित होते ही अजय चौटाला के वकील हर्ष शर्मा व अमित साहनी ने कोर्ट में दो नई अर्जी दाखिल कीं। इनमें सीबीआई के उस आदेश का विरोध किया गया, जिसमें उसने राज्य विधानसभा व अन्य विभागों को अजय चौटाला के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।
अजय चौटाला के वकीलों का कहना है कि जब उनका मामला कोर्ट के विचाराधीन है तो सीबीआई उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखित में हिदायत कैसे दे सकती है? अर्जी में सीबीआई के खिलाफ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई शुरू करने व कथित हिदायतों को वापस लेने की मांग की गई है।
दूसरी अर्जी में अजय चौटाला के ठिकानों पर मारे गए सीबीआई के छापों के दौरान बरामद सभी कागजात मुहैया कराने की मांग की गई है। इसी मामले में अजय के पिता ओमप्रकाश चौटाला, छोटे भाई अभय सिंह चौटाला और कुछ अन्य सहयोगियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आरोप पहले ही तय किए जा चुके हैं।
http://www.bhaskar.com/article/NAT-cbi-frame-charges-against-ajay-chautala-in-assets-case-2454348.html
आपकी राय
क्या प्रधानमंत्री पर उठ रहे सवालों को लेकर उन्हें सफाई देनी चाहिए और जांच एजेंसियों को इन बातों के मद्देनजर जांच का दायरा बढ़ाना चाहिए, अपनी राय दें।