Hi this is Manthan Aryan is here. ***************************** आसमा से उपर.... एक उड़ान की ख़्वाहिश है..!! जहाँ हो हर क़दम सितारो पर.... उस ज़मीन की ख़्वाहिश है..!! जहाँ पहचान हो लहू की हर एक बूँद की.... उस नाम की ख़्वाहिश है..!! जहाँ खुदा भी आके मुझसे पूछे..... "बता, क्या लिखू तेरे मुक्क़दर मे....?" उस मुकाम की ख़्वाहिश है..!! *************************** इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ. सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ. जो ना समझ सके, उनके लिये “कौन”. जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ
Tuesday, June 7, 2011
काले धन पर और समिति की जरूरत नहीं... रामलीला मैदान में घायल राजबाला की हालत गंभीर
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काले धन पर और समिति की जरूरत नहीं
Jun 07, 08:32 pm
नई दिल्ली। काले धन के खिलाफ कार्रवाई के लिए बन रही समिति और अध्ययन के बहाने भ्रष्ट राजनेताओं, बिजनेसमैनों और नौकरशाहों को अपने अवैध धन को मुखौटा कंपनियों में लगाने का मौका मिल जाएगा। यह कहना जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स स्टडीज एंड प्लानिंग के प्रमुख प्रोफेसर अरुण कुमार का।
उन्होंने कहा कि अध्ययन, समितियां या नई विशेष जांच शाखा का गठन और विदेशी सरकारों के साथ संधियां कार्रवाई को लटकाने के लिए हैं। 'द ब्लैकमनी इन इंडिया' किताब के लेखक कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा काले धन पर अध्ययन शुरू करने या समितियां बनाने से भ्रष्टचार में लिप्त उच्चपदस्थ अधिकारियों और राजनेताओं को अपना पैसा विदेशों में कंपनियों में लगाने का मौका मिल जाएगा।
उन्होंने झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने अपने अवैध धन का निवेश अफ्रीकी खनन उद्योग में किया।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पालिसी की प्रोफेसर इला पटनायक का भी कमोबेश यही मानना है। उन्होंने कहा कि कर से जुड़े अपराधों पर नियंत्रण के लिए आपराधिक जांच निदेशालय [डीसीआइ] जैसी एजेंसी की जरूरत नहीं है। उल्लेखनीय है कि काले धन को लेकर बढ़ते दबाव के बीच सरकार ने हाल ही में डीसीआइ का गठन किया था।
कुमार ने कहा कि सरकार संदिग्ध लोगों की टेलीफोन बातचीत के टेप के आधार पर जांच एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर कार्रवाई कर सकती है।
काली अर्थव्यवस्था का हिस्सा 1971 में वांचो समिति के आकलन, सात प्रतिशत से बढ़कर हालिया ग्लोबल इंटेग्रिटी रिपोर्ट की मुताबिक 50 प्रतिशत तक पहुंच गया है। कुमार ने कहा, 60 के दशक में दर्जनों समितियों ने काले धन के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन किया और हजारों सलाह दी। जिसमें सैकड़ों सलाहों का उपयोग भी किया गया। इसके बावजूद काली अर्थव्यवस्था का आकार काफी हद तक बढ़ा हो गया।
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रामलीला मैदान में घायल राजबाला की हालत गंभीर
Jun 07, 05:59 pm
नई दिल्ली। रामलीला मैदान पर शनिवार की आधी रात में बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर पुलिसिया कार्रवाई में घायल हुए 71 लोगों में से 51 वर्षीय राजबाला की हालत आज लगातार तीसरे दिन भी गंभीर बनी हुई है।
वह दिल्ली के गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल में आईसीयू में वेंटिलेटर पर हैं। राजबाला का उपचार कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि वह सचेत हैं और सामान्य मौखिक संकेतों को समझ रहीं हैं।
हालाकि उनकी हालत अभी गंभीर है और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।
गुड़गाव की रहने वाली राजबाला को रीढ़ की हड्डी में चोट के साथ जीबी पंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के एक डॉक्टर ने कहा कि उनकी हालत अब भी गंभीर है। कल उनकी सर्विकल स्पाइनल पर चोटों के लिए सर्जरी की गई। उनके शरीर का गर्दन से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है।
इसके अलावा एक और समर्थक की हालत गंभीर बनी हुई है जिसे सिर में चोट के बाद लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ रिचा दीवान ने कहा कि हमारे यहा केवल एक मरीज भर्ती है और बाकी सब को छुट्टी दे दी गई है। उन्हें भी स्वस्थ होने के बाद जल्द ही छुट्टी दे दी जाएगी।
पुलिस के 'मैदान मारने' की कहानी में कई पेंच....
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पुलिस के 'मैदान मारने' की कहानी में कई पेंच
नई दिल्ली, मंगलवार, 7 जून 2011( 14:03 IST )
रामलीला मैदान में भूखे-सोए लोगों पर कहर बरपाने वाली दिल्ली पुलिस की कहानी में कई पेंच है। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि बाबा रामदेव की दी गई कड़ी जेडप्लस सुरक्षा इस पूरे ड्रामे के दौरान कहां गायब हो गई थी। क्या ऐसे में बाबा पर जानलेवा हमला नहीं हो सकता था। लाठीचार्ज नहीं करने का पुलिसिया दावा भी बेदम नजर आता है। खुद को बचाने में जुटी पुलिस ने सोमवार की रात शिविर के सीसीटीवी रिकार्ड पर भी जबरन कब्जा कर लिया।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिनशर लॉ एंड ऑर्डर की बात को सही माने तो बाबा रामदेव की जान को खतरा था। इसी के तहत शनिवार की सुबह ही उन्हें कड़ी सुरक्षा वाली जेडप्लस सुरक्षा देने का दावा दी गई थी। इसके तहत आठ नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के कंमाडो का एक सुरक्षा घेरा बाबा को मुहैया कराया जाता। लेकिन यह सुरक्षा बाबा को मुहैया कराई नहीं गई। अगर पुलिस या सरकार की नीयत साफ होती है तो यह सुरक्षा बाबा को मिल गई होती। जिस तरह से इतनी भारी भीड़ में बाबा के साथ जबरदस्ती हुई, क्या ऐसे में कोई उन पर हमला नहीं कर सकता था।
पुलिस ने शिविर में आने वाले समर्थकों की सघन तलाशी के लिए एक्सरे मशीन लगाई थी। इसमें हर बैग स्कैन होकर शिविर में गया। लेकिन पुलिस का दावा है कि बाबा के समर्थकों ने पुलिस पर पत्थर बरसाए। अब सवाल यह है कि इतनी कड़ी सुरक्षा व एक्सरे स्कैनर के बाद भी पत्थर शिविर में कैसे पहुंच गए। क्या यह पुलिस की विफलता नहीं है।
पुलिस का दावा है कि कोई लाठीचार्ज नहीं किया गया। लेकिन नईदुनिया के पास ही ऐसे फोटो है, जो साफ दर्शाते है कि लाठीचार्ज हुआ है। लोगों का भी आरोप है कि इसी लाठीचार्ज में उनके हाथ-पैर टूटे है। पुलिस का कहना है कि मंच से गिरने से लोगों के हाथ पैर-टूटे।
पुलिस की नीयत इससे भी पता लग जाती है कि सोमवार की रात पुलिस ने बाबा की ओर से शिविर में लगाए सीसीटीवी के रिकार्ड पर भी जबरन कब्जा कर लिया। मालवीय नगर थाने की पुलिस टीम ने सावित्री नगर स्थित सीसीटीवी लगाने वाली कंपनी के दफ्तर पर धावा बोल दिया। भारत स्वाभिमान न्यास के दिल्ली प्रदेश के संगठन मंत्री अनुज सोम का आरोप था कि वह लोग पुलिस की रिकार्ड देने को तैयार थे, लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। पूरी रिकार्ड मशीन को ही पुलिस उठाकर ले गई। अब पुलिसिया अत्याचार का पता शायद ही लग पाए। न्यास के इस रिकार्ड को जबरन ले जाने के पीछे पुलिस का क्या उद्देश्य है। क्या पुलिस अपनी बर्बरता को छुपाना चाहती है।
पुलिस के इस पूरे ऑपरेशन के दौरान शिविर की बिजली भी काट दी गई। बिजली काटने के पीछे क्या उद्देश्य था। कहीं बिजली काटने के बाद ही तो लाठीचार्ज नहीं किया गया ताकि मीडिया इसकी सही कवरेज न कर पाए।
इसमें एक अहम सवाल यह भी है कि बकौल पुलिस बाबा को पांच हजार लोगों के लिए शिविर लगाने की अनुमति मिली थी। लेकिन शिविर लगाया गया था करीब एक लाख लोगों के लिए। इतना बड़ा तामझाम पुलिस को नजर नहीं आया। ऐसे में पुलिस का खुफिया विभाग कहां सोया हुआ था। कैसे उन्हें इस बात की भनक नहीं लगी कि इतना बड़ा आंदोलन होने वाला है
सौजन्य से - नईदुनिया
दिल्ली पुलिस की असलियत अब सामने आई...किसी को नहीं पता कहां हैं बालकृष्ण..कालाधन वापस लाने के लिए आइटी को मिले 30 लाख पत्र.
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दिल्ली पुलिस की असलियत अब सामने आई
Jun 07, 01:35 am
नई दिल्ली। हमेशा बाबा रामदेव के साथ नजर आने वाले आचार्य बालकृष्ण का पिछले दो दिनों से कोई पता नहीं है। बाबा रामदेव का कहना है कि रामलीला मैदान से गायब हुए अधिकांश लोग दिल्ली पुलिस के कब्जे में हैं।
आचार्य बालकृष्ण, रामदेव के सबसे निकटस्थ माने जाते हैं। शनिवार को पुलिसिया कार्रवाई से पहले वह दिल्ली के रामलीला मैदान में रामदेव के करीब ही दिखाई दिए थे। आचार्य बालकृष्ण की गैर मौजूदगी के बारे में सोमवार को जब रामदेव से पूछा गया तो उन्होंने सीधा जवाब देने के बजाय कहा, 'रामलीला मैदान से गायब हुए अधिकांश लोग दिल्ली पुलिस के कब्जे में हैं।' गौरतलब है कि एक दिन पहले उंन्होंने बालकृष्ण से बातचीत होने और उनके किसी गोपनीय मिशन पर लगे होने की बात कही थी। इस बाबत जब दिल्ली के पुलिस आयुक्त बी.के. गुप्ता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बालकृष्ण को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में नहीं लिया है।
दिखाई बाबा के समर्थकों की गिरफ्तारी
नई दिल्ली [जागरण संवाददाता। बाबा रामदेव के सत्याग्रह को कुचलने के लिए बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करने वाली दिल्ली पुलिस की एक और असलियत सामने आई है। पुलिस ने रामलीला मैदान से शनिवार रात बाबा के दस समर्थकों को हिरासत में लिया था, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं दिखाई गई थी। सोमवार को पुलिस ने सभी को गुपचुप तरीके से अदालत में पेश कर दिया।
घटना के बाद से ही बाबा रामदेव के समर्थकों के गायब होने की बात कही जा रही थी। उधर, पुलिस अधिकारी गिरफ्तारी से साफ इनकार कर रहे थे, लेकिन सोमवार को पुलिस ने बाबा के दस समर्थकों को तीस हजारी कोर्ट में पेश किया। सभी पर दंगा भड़काने, सरकारी कर्मचारियों से मारपीट व सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस द्वारा गिरफ्तार लोगों में रवि नौटियाल, रोने ओनाम [असम], अजीरथ [राजस्थान], राम नरेश [मध्य प्रदेश], सुरेंद्र, सर्वजीत, प्रेम, योगेंद्र, हरिओम [हरियाणा] व अमन [दिल्ली] शामिल हैं।
पुलिस की पिटाई से घायल हुए लोगों को बाबा रामदेव के समर्थक हरिद्वार लेकर चले गए हैं। कोमा की हालत में राजबाला नामक महिला अभी जीबी पंत अस्पताल के आइसीयू में भर्ती है। रामलीला मैदान में छूट गया सामान भी लोगों को नहीं मिल रहा है। सामान पाने के लिए लोग भटक रहे हैं। पांच लोगों ने कमला मार्केट थाने में सामान नहीं मिलने की शिकायत की है।
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कालाधन वापस लाने के लिए आइटी को मिले 30 लाख पत्र
Jun 07, 08:07 am
बताएं
नई दिल्ली। बाबा रामदेव के आंदोलन से जारी हंगामे के बीच आयकर विभाग में पत्रों की बाढ़ आ गई है। अब तीस लाख से अधिक हस्ताक्षर युक्त पत्र मिल चुके हैं। इन पत्रों में देश के बाहर छुपाकर रखे गए कालाधन को वापस लाने की मांग की गई है। आयकर विभाग इन पत्रों की उपयोगिता की जांच करने में लगा है।
बाबा रामदेव द्वारा पहले भेजे गए इन पत्रों के बड़े-बडे़ पैकेट अब राजस्व सचिव के कार्यालय से आयकर विभाग की खुफिया इकाई को भेजे गए हैं। हालांकि विभाग को या केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के नार्थ ब्लॉक कार्यालय को ऐसे पत्रों का मिलना अब भी बंद नहीं हुआ है।
आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन पत्रों का कोई उपयोग नहीं है क्योंकि इनमें कार्रवाई करने के लायक कोई सूचना नहीं है। कुछ पत्रों में काले धन के मुद्दे पर बाबा रामदेव के आंदोलन को लेकर को लेकर उनका आभार जताया गया है। अधिकांश पत्रों पर भेजने वाले का नाम और पता दर्ज है। जबकि कुछ में कुछ लोगों ने अकूत संपत्ति कहां से अर्जित की इसकी जानकारी होने का दावा किया गया है। अधिकारी ने बताया कि जिन पत्रों के आधार पर कार्रवाई की जा सकती है उनकी सूचनाओं पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।
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बाबा के समर्थन में आठ को कार्य बहिष्कार करेंगे वकील
Jun 06, 11:53 pm
नई दिल्ली। दिल्ली की विभिन्न निचली अदालतों में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों ने समाज में भ्रष्टाचार तथा रामलीला मैदान से हटाने के लिए बाबा रामदेव के खिलाफ पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई के खिलाफ आठ जून को कार्य बहिष्कार करने का सोमवार को निर्णय लिया।
दिल्ली के बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति के प्रवक्ता राजीव खोसला ने कहा कि बार महसूस करते हैं कि सरकार की ऐसी बर्बर कार्रवाई दुनिया के किसी भी लोकतात्रिक देश में सुनने को नहीं मिली। ऐसा जान पड़ता है कि पुलिस सभ्य समाज और अपराधियों के बीच अंतर भूल गई थी।
पटियाला हाऊस कोर्ट, तीस हजारी कोर्ट, द्वारका कोर्ट तथा रोहिणी कोर्ट के बार एसोसिएशनों ने आठ मई को कार्य बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।
दिल्ली बार एसोसिएशन के महासचिव संजीव नास्सियर ने कहा कि बल प्रयोग से शातिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को हटाना बिल्कुल गलत है।
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