Saturday, September 19, 2009

******ऐसी होती है आकांक्षा*****


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मन के किसी कोने मैं ,पलकों पे रहती है ,

पर मुश्किल से होटों पे आती है .आकांक्षा

कभी झूटी सी कभी अधूरी होती है ,

जब भी सच्ची ,पूरी होती है आकांक्षा

कभी निर्मल , छलि कभी ,कोमल कभी ,

भोली कभी होती है आकांक्षा

कभी स्वार्थ है ,कभी है इच्छा ,कभी विव्बस्ता ,

कभी स्वेच्छा होती है आकांक्षा

कभी बूँद है , कभी है सागर ,

कभी कहीं चुप कहीं ऊजागर होती आकांक्षा

नही कोई प्रवीण जो इनको रोक सके ,

अंत हीन होती है ,ऐसी होती है

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