Hi this is Manthan Aryan is here. ***************************** आसमा से उपर.... एक उड़ान की ख़्वाहिश है..!! जहाँ हो हर क़दम सितारो पर.... उस ज़मीन की ख़्वाहिश है..!! जहाँ पहचान हो लहू की हर एक बूँद की.... उस नाम की ख़्वाहिश है..!! जहाँ खुदा भी आके मुझसे पूछे..... "बता, क्या लिखू तेरे मुक्क़दर मे....?" उस मुकाम की ख़्वाहिश है..!! *************************** इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ. सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ. जो ना समझ सके, उनके लिये “कौन”. जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ
Wednesday, September 30, 2009
क्या कहूँ के कैसा हूँ मैं
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क्या कहूँ के कैसा हूँ मैं
सात सुरों के जैसा हूँ मैं
मुझको लगता है क्यूँ ऐसा
ये सारा जग है मुझ जैसा
प्यारे बादल जैसा हूँ मैं
तुम जो मानों वैसा हूँ मैं
क्या कहूँ के कैसा हूँ मैं
मैं हूँ गहरा सागर जैसा
मैं छोटी सी गागर जैसा
नील गगन का कोई परिंदा
मैं मोहब्बत का बाशिंदा
मदमस्त हवा के जैसा हूँ मैं
सच में बिलकुल ऐसा हूँ मैं
क्या कहूँ के कैसा हूँ मैं
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