Monday, June 6, 2011

गांधीवादी कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने एक बार फिर तेवर कड़े,बाबा रामदेव पर हुई कार्रवाई के विरोध में हजारे



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बीते अप्रैल में अनशन कर अपनी मांगें मनवा चुके गांधीवादी कार्यकर्ता अण्णा हजारे ने एक बार फिर तेवर कड़े कर लिए हैं। बाबा रामदेव पर हुई कार्रवाई के विरोध में हजारे और उनके साथी सोमवार को होने वाली लोकपाल विधेयक मसौदा समिति की बैठक में शामिल नहीं होंगे और हजारे आठ जून को दिल्ली में एक दिन का अनशन भी करेंगे।

लोकपाल विधेयक मसौदा समिति में शामिल हजारे पक्ष ने अब यह भी शर्त रखी है कि वे तभी अगली बैठकों में शिरकत करेंगे, जब उसका सीधा वीडियो प्रसारण किया जाएगा।

हजारे ने कहा कि रामलीला मैदान में मध्यरात्रि को रामदेव और उनके समर्थकों के साथ जो दुर्व्यवहार हुआ, उसकी हम निंदा करते हैं। कल की घटना लोकशाही और मानवता पर कलंक है। सरकार ने लोकशाही का गला घोंटने का काम किया है। कल रात रामलीला मैदान पर सोते हुए बच्चों और महिलाओं पर लाठीचार्ज करना कोई मानवीय कृत्य नहीं था।

उन्होंने कहा कि लोकपाल मसौदा समिति की बैठकों में भी सरकार बार-बार अपना रुख बदल रही है। वह पहले प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में शामिल करने पर मान गई थी, लेकिन बाद में वह इससे मुकर गई। हजारे ने कहा कि रामदेव पर कार्रवाई और लोकपाल मसौदा समिति की अब तक की बैठकों में दिखे सरकार के रुख के विरोध में हमने कल समिति की बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला किया है।

हजारे ने कहा कि हम इस बर्बरता के खिलाफ आठ जून को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक दिन का अनशन करेंगे। हम सभी देशवासियों से इस अनशन में शामिल होने की अपील करते हैं। रामदेव के साथ हुई घटना के बाद क्या उन्हें जंतर-मंतर पर अनशन कर पाने का भरोसा है, इस पर गांधीवादी नेता ने कहा कि क्या दिल्ली किसी की जागीर है? जब जान हथेली पर रखकर आंदोलन करो तो डर नहीं लगता।

बहरहाल, हजारे ने कहा कि अगर रामदेव भविष्य में किसी आंदोलन में उनके साथ जुड़ना चाहते हैं तो इससे पहले वह कुछ मुद्दों पर स्थिति स्पष्ट करना चाहेंगे। हजारे ने कहा कि भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटने के प्रति सरकार उदासीन है। हम लोकपाल समिति की अब तक की बैठकों में केंद्र के रुख और कल की घटना को सरकार की इसी उदासीनता से जोड़कर देखते हैं। मुझे लगता है कि देश में बीते अप्रैल की तरह एक बार फिर आंदोलन खड़ा करने की जरूरत है।

उधर, लोकपाल मसौदा समिति के सह-अध्यक्ष शांति भूषण ने कहा कि हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री राष्ट्र के समक्ष यह स्पष्ट करें कि ऐसे क्या कारण थे कि उनकी सरकार ने कल रात रामदेव पर इस तरह की पुलिस कार्रवाई के आदेश दिए। कल रात की बर्बर घटना वर्ष 1975 के आपातकाल की याद दिलाती है।

उन्होंने कहा कि हम लोकपाल समिति की अगली बैठकों में तभी शिरकत करेंगे, जब उसका सीधा वीडियो प्रसारण किया जाएगा। अगर सरकार एक मजबूत लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने में हिचकेगी तो हमारे पास फिर जंतर-मंतर जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं रह जाएगा।

भूषण ने कहा कि हम विदेशों में जमा कालेधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने की बाबा रामदेव की मांग का समर्थन करते हैं। लोकपाल मसौदा समिति में शामिल सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा कि समिति की बैठकों में सरकार के अब तक के रुख और कल रामदेव के साथ हुई घटना के विरोध में हम कल की बैठक का बहिष्कार कर रहे हैं। हम सरकार को कल एक पत्र लिखेंगे। उस पत्र पर सरकार के जवाब के आधार पर हम अगली बैठकों में शामिल होने के बारे में फैसला करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि रामदेव से उनके पक्ष के कोई मतभेद नहीं हैं।

गौरतलब है कि लोकपाल मसौदा समिति की 30 मई को हुई बैठक में सरकार और हजारे पक्ष के बीच प्रधानमंत्री और उच्च न्यायपालिका को लोकपाल के दायरे में लाने को लेकर गंभीर मतभेद उत्पन्न हो गए थे। इसके बाद हजारे पक्ष की ओर से समिति से अलग होने की चेतावनी दी गई थी, जबकि सरकार ने राज्यों और राजनीतिक दलों को लोकपाल से जुड़े छह मुद्दों पर पत्र लिखकर उनकी राय मांगी थी। (भाषा)
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रामदेव पर कार्रवाई से रविशंकर निराश
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बेंगलुरु, रविवार, 5 जून 2011( 20:35 IST )
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आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव पर कार्रवाई को लेकर रविवार को निराशा जताई और कहा कि वे मध्य रात्रि को ही विदेशी दौरे से स्वदेश वापस लौट रहे हैं।

एक बयान में उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने और भ्रष्टाचार एवं काला धन से लड़ने में और कृतसंकल्प रहने को कहा। बयान में कहा गया है कि रविशंकर बीच में ही विदेश का दौरा छोड़ रहे हैं और भारत लौट रहे हैं। (भाषा)

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