Monday, June 6, 2011

दोहराया गया 1975 का इतिहास


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दोहराया गया 1975 का इतिहास
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नई दिल्ली, रविवार, 5 जून 2011( 10:18 IST )
प्रभावी लोकपाल विधेयक का प्रारूप तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति के सह अध्यक्ष शांतिभूषण ने कहा है कि रामलीला मैदान पर शनिवार रात वैसा ही हुआ है जैसा सन 1975 में 25 और 26 जून की रात हुआ था जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर इमरजेंसी थोपी थी।

शांतिभूषण ने घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत एक संवैधानिक लोकतंत्र है तथा शांतिपूर्ण विरोध करना नागरिकों का मौलिक अधिकार है।

उन्होंने कहा कि वह बाबा रामदेव के समर्थक नहीं हैं लेकिन रामलीला मैदान पर जैसी बर्बरतापूर्ण कार्रवाई हुई उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहनसिंह और सरकार के मंत्री आज कठघरे में खड़े हैं।

उन्होंने कहा कि रामलीला मैदान पर पुलिस कार्रवाई से लोगों की आंखें खुल जानी चाहिए कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई कितनी जोखिम भरी है उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार में डूबी सरकार भ्रष्ट लोगों को बचाने के लिए किसी भी सीमा तक गिर सकती है।

पुलिस कार्रवाई की तीखी निन्दा करने के बावजूद शांतिभूषण ने कहा कि प्रभावी लोकपाल विधेयक तैयार करने के लिए वह और उनके सहयोगी सरकार के साथ सहयोग करते रहेंगे। (भाषा)
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गलत किया मगर आदेश मानना मजबूरी
Jun 06, 01:19 am
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नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। शनिवार की रात रामलीला मैदान में जिन लोगों ने दिल्ली पुलिस का चेहरा देखा, उनके रोंगटे खड़े हो गए। चारों ओर पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की जा रही है। लोगों का कहना है कि आजादी के बाद देश की राजधानी में जलियावाला बाग कांड जैसी घटना को दोबारा देखा गया। हालांकि इस कांड पर दिल्ली पुलिस के कई डीसीपी व एसीपी समेत अन्य आला अधिकारियों का इस घटना पर कहना था कि वे तो सिर्फ सरकार के आदेश का पालन कर रहे हैं।

दबी जुबान में पुलिस अफसरों ने कहा कि वे अच्छी तरह समझ रहे हैं कि उनसे गलत कराया जा रहा है, लेकिन मजबूरी में उन्हें कार्रवाई करनी पड़ रही है।

पुलिस की दलीलों से साफ पता चल रहा था कि पूर्ण नियोजित व राजनीतिक दबाव में बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की गई। किंतु इस मसले पर पुलिस मुख्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान स्पेशल सीपी लॉ एंड ऑर्डर धर्मेद्र कुमार से जब राजनीतिक दबाव की बात पूछी गई तो उन्होंने ऐसा कुछ होने से इंकार कर दिया।
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मेरी हत्या की साजिश रची गई थी: रामदेव
Jun 05, 02:05 pm
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हरिद्वार। बीती मध्यरात्रि से जारी नाटकीय घटनाक्रमों के बाद बाबा रामदेव ने भ्रष्टाचार और कालाधन के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रखने का ऐलान करते हुए रविवार को यहां सनसनीखेज दावा किया कि रामलीला मैदान पर उनकी हत्या करने की साजिश रची गई थी।

दिल्ली से हिरासत में लिए जाने के बाद रामदेव को चार्टर्ड प्लेन के जरिए देहरादून भेज दिया गया, जहां से वह हरिद्वार पहुंचे। यहां पहुंचने के कुछ ही देर बाद बुलाए गए संवाददाता सम्मेलन में रामदेव ने कल मध्यरात्रि के बाद हुए घटनाक्रमों का सिलसिलेवार ब्यौरा बताया और सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए।

रामदेव ने दावा किया कि सरकार की रामलीला मैदान पर लाशें बिछा देने की तैयारी थी और यदि हमारे कार्यकर्ता धैर्य से काम नहीं लेते तो वहां हजारों लोग मारे जाते।

उन्होंने कल की घटना की तुलना जलियांवाला बाग की घटना से करते हुए दावा किया, 'रामलीला मैदान पर मुझे गिरफ्तार करने के बाद मेरा एनकाउंटर करने या मुझे गायब कर देने की तैयारी थी। वहां मेरी हत्या करने की साजिश थी। जब तीन जून को दिल्ली के एक होटल में भी हमारी सरकार से बातचीत चल रही थी, तब भी रामलीला मैदान पर बड़ी तादाद में पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए थे।'

रामदेव ने कहा, 'यदि मेरे जीवन के समक्ष कोई खतरा उत्पन्न होता है तो इसकी जिम्मेदारी सोनिया गांधी और कांग्रेस की होगी।' उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार और कालाधन के खिलाफ उनकी लड़ाई जारी रहेगी। लेकिन आगे क्या रणनीति अपनाई जाएगी, इस पर उन्होंने कहा कि वह शाम तक खुलासा करेंगे। उन्होंने कहा कि आज शाम और कल देश भर में उनके समर्थक शांतिपूर्ण तरीके से 'काला दिवस' मनाएंगे।

योगगुरु ने कहा कि सरकार कालाधन पर अध्यादेश तो नहीं लाई, लेकिन उसने आपातकाल जैसा अत्याचार किया। योगगुरु के चेहरे पर परेशानी और चिंता साफ देखी जा सकती थी। वह महिलाओं की उसी पोशाक में मीडिया से मुखातिब हुए, जिसे पहनकर वह कल मध्यरात्रि के बाद रामलीला मैदान से बाहर निकले थे।

रामदेव ने कहा कि सरकार के साथ बातचीत होने के बाद हमें यह धमकी दी गई थी कि या तो हम बात मान लें या फिर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें। इसलिए आचार्य बालकृष्ण से यह झूठ बोलकर दबाव में एक खत पर दस्तखत कराए गए कि चिट्ठी दिखाकर प्रधानमंत्री को विश्वास में लेना है।

उन्होंने कहा कि कल देर रात भी सरकार की ओर से जो चिट्ठी हमारे पास पहुंची, उसमें कालाधन के मुद्दे का कोई जिक्र नहीं था। उन्हाेंने कहा, 'कालीरात को जब मैं याद करता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं और मेरी आत्मा कांप उठती है। रामलीला मैदान पर कल मध्यरात्रि को जो हुआ वह बबर्रता की सारी हदें पार गया। मैंने वहां कार्रवाई करने आए पुलिसकर्मियों से निर्दोष महिलाओं और बच्चों पर लाठियां नहीं बरसाने का बार-बार अनुरोध किया, लेकिन रामलीला मैदान पर पुलिस का दमन चक्र चलता रहा।

रामदेव ने सीधे मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा, ''सिब्बल कुटिल और शातिर दिमाग के व्यक्ति हैं। उन्होंने हमारे साथ कुटिलता से चालें चलीं।' उन्होंने कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बारे में भी कहा, 'जो लोग गैर-जिम्मेदार हैं और बेबुनियाद आरोप लगाते हैं, उनके बारे में मैं टिप्पणी करना उचित नहीं समझता।'

आंदोलन को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भाजपा द्वारा प्रायोजित करने के आरोपों पर योगगुरु ने कहा कि उन्हें अन्य संगठनों और मुस्लिम समाज के लोगों का भी समर्थन था। तीन जून को तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने भी उनसे फोन पर बात कर समर्थन जताया था। अपने सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के बारे में उन्होंने कहा कि वह दिल्ली में हैं और सुरक्षित हैं।

रामलीला मैदान पर सिर्फ योग शिविर करने की ही अनुमति होने से जुड़े सवाल पर रामदेव ने कहा कि योग के लिए हमने अनुमति ली थी और हजारों लोगों ने वहां योग किया भी। लेकिन योगासनों के बाद भ्रष्टाचार और कालाधन के मुद्दे पर जो उपवास किया गया, वह भी योग की मर्यादा और सीमा में आता है।

रामदेव ने कहा कि सरकार विदेशों में जमा कालाधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने, पेशेवर पाठ्यक्रमों की प्रवेश परीक्षाएं भारतीय भाषाओं में कराने, भ्रष्टाचार के मुकदमों के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों का गठन करने और लोक सेवा वितरण अधिनियम बनाने के लिए विधेयक पेश करने पर सहमत हो चुकी थी, लेकिन इस संबंध में वह लिखित आश्वासन नहीं दे रही थी।

उन्होंने कहा कि कालाधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने के बारे में अध्यादेश जारी करने को लेकर लिखित में आश्वासन नहीं देने के पीछे सरकार की यह दलील थी कि हम पहले अनशन खत्म कर दें।

रामदेव ने कहा कि सरकार के रुख से यह साफ होता है कि न न तो वह लोकपाल का गठन करना चाहती है और न न ही विदेशों में जमा कालाधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना चाहती है। इसके पीछे कारण यह है कि कालाधन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने से सरकार के मंत्रियों और कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के कई नेता बेनकाब हो जाएंगे।

उन्होंने कहा, 'यह भी कहा जा रहा है कि मेरा अनशन प्रायोजित था। अगर प्रायोजित था तो फिर वहां मेरे समर्थकों पर लाठियां और आंसू गैस के गोले क्यों चलाए गए।'

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