Hi this is Manthan Aryan is here. ***************************** आसमा से उपर.... एक उड़ान की ख़्वाहिश है..!! जहाँ हो हर क़दम सितारो पर.... उस ज़मीन की ख़्वाहिश है..!! जहाँ पहचान हो लहू की हर एक बूँद की.... उस नाम की ख़्वाहिश है..!! जहाँ खुदा भी आके मुझसे पूछे..... "बता, क्या लिखू तेरे मुक्क़दर मे....?" उस मुकाम की ख़्वाहिश है..!! *************************** इस अजनबी सी दुनिया में, अकेला इक ख्वाब हूँ. सवालों से खफ़ा, चोट सा जवाब हूँ. जो ना समझ सके, उनके लिये “कौन”. जो समझ चुके, उनके लिये किताब हूँ
Monday, June 6, 2011
गलत किया मगर आदेश मानना मजबूरी..............
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गलत किया मगर आदेश मानना मजबूरी
Jun 06, 01:19 am
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। शनिवार की रात रामलीला मैदान में जिन लोगों ने दिल्ली पुलिस का चेहरा देखा, उनके रोंगटे खड़े हो गए। चारों ओर पुलिस की इस कार्रवाई की निंदा की जा रही है। लोगों का कहना है कि आजादी के बाद देश की राजधानी में जलियावाला बाग कांड जैसी घटना को दोबारा देखा गया। हालांकि इस कांड पर दिल्ली पुलिस के कई डीसीपी व एसीपी समेत अन्य आला अधिकारियों का इस घटना पर कहना था कि वे तो सिर्फ सरकार के आदेश का पालन कर रहे हैं।
दबी जुबान में पुलिस अफसरों ने कहा कि वे अच्छी तरह समझ रहे हैं कि उनसे गलत कराया जा रहा है, लेकिन मजबूरी में उन्हें कार्रवाई करनी पड़ रही है।
पुलिस की दलीलों से साफ पता चल रहा था कि पूर्ण नियोजित व राजनीतिक दबाव में बर्बरतापूर्ण कार्रवाई की गई। किंतु इस मसले पर पुलिस मुख्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान स्पेशल सीपी लॉ एंड ऑर्डर धर्मेद्र कुमार से जब राजनीतिक दबाव की बात पूछी गई तो उन्होंने ऐसा कुछ होने से इंकार कर दिया।
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रामदेव मामले पर संतों ने केंद्र को कोसा
Jun 05, 08:55 pm
बताएं
हरिद्वार [जासं]। दिल्ली में बाबा रामदेव को अनशन से जबरन उठाने और पुलिस के तौर-तरीके को लेकर संत समाज की भृकुटि तनी हुई है। संत समाज ने इसे लोकतंत्र की हत्या बताते हुए केंद्र सरकार को जमकर कोसा। संतों ने एक स्वर में इसे तानाशाही करार दिया।
उनका कहना है कि यह कार्रवाई न तो भारतीय संस्कृति की परंपरा रही है और न ही संविधान की मर्यादा। संतों का कहना है कि इस तरह की कार्रवाई करके केंद्र सरकार ने अपना जन विरोधी चेहरा पेश किया है।
केंद्र को जवाब देना होगा:-
स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज, शंकराचार्य ने कहा कि केंद्र सरकार किस हद तक लोकतंत्र की मर्यादाओं को ताक पर रख सकती है। यह बात साबित हो गई है। षडयंत्र रचकर कार्रवाई को अंजाम दिया गया। केंद्र को जवाब देना होगा कि क्या यही लोकतंत्र की परिभाषा है। देश के विकास की बागडोर संभालने वाले ही जब इस हद तक गिर जाएंगे, तो फिर क्या हक रह जाता है इन्हें सत्ता पर आसीन होने का।
अशोभनीय, दुर्भाग्यपूर्ण:-
स्वामी शिवानंद सरस्वती, परमाध्यक्ष, मातृसदन, हरिद्वार ने कहा कि लोकतंत्र में यह कार्रवाई अशोभनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है। लोकतांत्रिक देश में आमजन को अपनी बात रखने का अधिकार है। स्वामी रामदेव तो भ्रष्टाचार और कालेधन की वापसी जैसे मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार की इस कार्रवाई से समाज में अच्छा संदेश नहीं पहुंचा है। मातृसदन इसकी घोर निंदा करता है।
अलोकतंत्र राज:-
श्री महंत हरिगिरि, मंत्री, श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा ने बताया कि इस कार्रवाई से लोकतांत्रिक व्यवस्था में अलोकतंत्र राज प्रस्तुत किया गया है। तानाशाह बनकर सत्ता का दुरुपयोग हुआ है। केंद्र सरकार ने षडयंत्र रचकर इस घटना को अंजाम दिया है।
गोलीतंत्र का राज:-
स्वामी सत्यमित्रानंद, संस्थापक, भारत माता मंदिर, हरिद्वार ने कहा कि संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है। ऐसा तो अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुआ है। इस कार्रवाई से लगता है कि देश में लोकतंत्र नहीं, बल्कि गोलीतंत्र का राज चल रहा है। केंद्र सरकार ने संविधान की मर्यादा को तोड़ा है। पूरा देश इसकी निंदा कर रहा है
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