Thursday, December 11, 2008

जिन्दगी जो चाहे कायरता छोड़ दे॥

कल मौत आने को ही है तेरे भी द्वार।
क्या होगा बहाने से यूँ आँसुओं की धार
फैल रहा है जहाँ में ये जो पापाचार।
इसका है प्यारे सिर्फ एक उपचार॥
भाइयों से बड़ा भाई बन मेरे यार।
चाकुओं के आगे तू निकाल तलवार॥
बंदुकों के आगे प्यारे बम फोड़ दे।
जिन्दगी जो चाहे कायरता छोड़ दे॥
औरों के लिया न बोलेगा वो मारा जायेगा।
कल घाट मौत के वो भी उतारा जायेगा॥
गर हम गैरों के सहारे नहीं बने तो
कौन बनने को हमारा सहारा आयेगा

No comments: