Sunday, April 18, 2010

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..

खुद से बेख़बर
मैं क्या बता सकता हूँ ?

एक
ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता
हूं, मैं..

दोस्तॊं से दोस्ती तो हर कोई निभाता है..
दुश्मनों को
भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं, मैं..

जो हम उडे ऊचाई पे अकेले, तो
क्या नया किया..
साथ मे हर किसी के पंख फ़ैलाना चाह्ता हूं, मैं..

वोह
सोचते हैं कि मैं अकेला हूं उन्के बिना..
तन्हाई साथ है मेरे, इतना
बताना चाह्ता हूं..

ए खुदा, तमन्ना बस इतनी सी है.. कबूल करना..
मुस्कुराते
हुए ही तेरे पास आना चाह्ता हूं, मैं..

बस खुशी हो हर पल, और
मेहकें येह गुल्शन सारा "अभी"..
हर किसी के गम को, अपना बनाना चाह्ता
हूं, मैं..

एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..
खुशी हो या गम, बस
मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं

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