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मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगर...........
इस एक पल जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता और....
जिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता और....
जिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती ।
ये सिलसिला यहीं चलता रहता.....
फिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा........
" तुम हार कर भी मुस्कुराते हो ! क्या तुम्हें दुख नहीं होता हार का ? "
तब मैंनें कहा................
मुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगे
जिन्दगी चार कदम तो क्या एक कदम भी आगे ना बढ पायेगी,
तब जिन्दगी मेरा इन्तज़ार करेगी और मैं......
तब भी युँ ही चलता रुकता अपनी रफ्तार से अपनी धुन मैं वहाँ पहुँगा.......
एक पल रुक कर, जिन्दगी को देख कर मुस्कुराउगा..........
बीते सफर को एक नज़र देख अपने कदम फिर बढाँउगा।
ठीक उसी पल मैं जिन्दगी से जीत जाउगा.........
मैं अपनी हार पर भी मुस्कुराता था और अपनी जीत पर भी......
मगर जिन्दगी अपनी जीत पर भी ना मुस्कुरा पाई थी और अपनी हार पर भी ना रो पायेगी...........
khubsoorat hain woh lub
jo pyari batein kartey hain
khubsoorat hai woh muskurahat
jo doosron ke chehron per bhi muskan saja de
khubsoorat hai woh dil
jo kisi ke dard ko samjhey
jo kisi ke dard mein tadpey
khubsoorat hain woh jazbat
jo kisi ka ehsaas karein
khubsoorat hai woh ehsaas
jo kisi ke dard ke me dawa baney
khubsoorat hain woh batein
jo kisi ka dil na dukhaein
khubsoorat hain woh ankhein
jin mein pakezgi ho
sharm o haya ho
khubsoorat hain woh ansoo
jo kisi ke dard ko
mehsoos kerke beh jae
khubsoorat hain woh Hath
jo kisi ko mushkil
waqat mein tham lein
khubsoorat hain woh kadam
jo kisi ki madad ke liye
aagey badhein !!!!!
khubsoorat hai woh soch
jo kisi ke liye acha sochey
khubsoorat hai woh insan
jis ko BHAGWAN ne ye
khubsoorati ada ki
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