Wednesday, September 9, 2009

मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगर...........

http://anaryan.hi5.com
मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगर...........
इस एक पल जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता और....
जिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता और....
जिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती ।
ये सिलसिला यहीं चलता रहता.....
फिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा........
" तुम हार कर भी मुस्कुराते हो ! क्या तुम्हें दुख नहीं होता हार का ? "


तब मैंनें कहा................
मुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगे
जिन्दगी चार कदम तो क्या एक कदम भी आगे ना बढ पायेगी,
तब जिन्दगी मेरा इन्तज़ार करेगी और मैं......
तब भी युँ ही चलता रुकता अपनी रफ्तार से अपनी धुन मैं वहाँ पहुँगा.......
एक पल रुक कर, जिन्दगी को देख कर मुस्कुराउगा..........
बीते सफर को एक नज़र देख अपने कदम फिर बढाँउगा।
ठीक उसी पल मैं जिन्दगी से जीत जाउगा.........
मैं अपनी हार पर भी मुस्कुराता था और अपनी जीत पर भी......
मगर जिन्दगी अपनी जीत पर भी ना मुस्कुरा पाई थी और अपनी हार पर भी ना रो पायेगी...........

khubsoorat hain woh lub
jo pyari batein kartey hain

khubsoorat hai woh muskurahat
jo doosron ke chehron per bhi muskan saja de

khubsoorat hai woh dil
jo kisi ke dard ko samjhey
jo kisi ke dard mein tadpey

khubsoorat hain woh jazbat
jo kisi ka ehsaas karein

khubsoorat hai woh ehsaas
jo kisi ke dard ke me dawa baney

khubsoorat hain woh batein
jo kisi ka dil na dukhaein

khubsoorat hain woh ankhein
jin mein pakezgi ho
sharm o haya ho

khubsoorat hain woh ansoo
jo kisi ke dard ko
mehsoos kerke beh jae

khubsoorat hain woh Hath
jo kisi ko mushkil
waqat mein tham lein

khubsoorat hain woh kadam
jo kisi ki madad ke liye
aagey badhein !!!!!

khubsoorat hai woh soch
jo kisi ke liye acha sochey

khubsoorat hai woh insan
jis ko BHAGWAN ne ye
khubsoorati ada ki

No comments: