Tuesday, December 16, 2008

जब यही जीना है तो फिर् मरना क्या है?


शहर की इस दौङ मे दौङ के करना क्या है?
जब यही जीना है दोस्तो तो फिर मरना क्या है?


पहली बरिश मे ट्रैन लेट होने की फ़िक्र है
भूल गये भीग्ते हुए टहलना क्या है?


सीरिअल्स् के किरदारो का सारा हाल है मालूम
पर मा का हाल पुछ्ने की फ़ुर्सत कहा है?


अब रेत पे नन्गे पाव टहल्ते क्यू नही?
108 है चैनल फिर दिल बहल्ते क्यू नही?


इन्टरनेट से दुनिया के तो टच् मे है,
लेकिन पङोस मे कौन रहता है जान्ते तक नही.


मोबाइल, ळैन्डलाईन सब की भरमार है,
ळेकिन जिगरी दोस्त तक पहुचे ऐसी तार कहा है?


कब डुबते हुए सुरज को देखा था, याद् है?
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है?


तो दोस्तो शहर की इस दौड् मे दौड् के करना क्या है
जब यही जीना है तो फिर् मरना क्या है?

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