Saturday, August 13, 2011

दिग्विजय सिंह ' दिग्गीराजा '



http://bhandafodu.blogspot.com/search/label/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%9C%E0%A4%AF

दिग्विजय सिंह गद्दारों का वंशज :ह्त्या का आरोपी !!

मनुष्य को जैसे संस्कार अपने पुरखों से मिलते हैं ,उसके अनुरूप ही उसका स्वभाव ,चरित्र और विचार बन जाते हैं .यह एक निर्विवाद सत्य है .और दिग्विजय के ऊपर पूरी तरह से लागू होती है .दिग्विजय खुद को प्रथ्वी राज चौहान का वंशज बताता है .लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं मिलता है .दिग्विजय क्षत्रिओं की एक उपजाति "खीची "से सम्बंधित है .इसका विवरण "खीची इतिहास संग्रह "में मिलता है .इसके लेखक A .H .Nizami और G .S .Khichi है .पुस्तक का संपादन R .P .Purohit ने किया है .किताब "खिची शोध संस्थान जोधपुर "से प्रकाशित हुई थी .एक और पुस्तक "Survay of khichii History "में खीचियों के बारे में जानकारी मिलती है .खिची धन लेकर किसी राजा के लिए युद्ध करते थे .आज दिग्विजय खुद को मध्य प्रदेश में गुना जिला के एक छोटी सी रियासत "राघोगढ़ "का राजा कहता है .उसके चमचे उसे दिग्गी राजा पुकारते है .
1 -दिग्विजय का पूर्वज कौन था
पुस्तक के अनुसार दिग्विजय के हाथों जो रियासत मिली एक "गरीब दास "नामके सैनिक को अकबर ने दी थी .जब राजपुताना और मालवा के सभी क्षत्रिय राणा प्रताप के साथ हो रहे थे .गरीब दास अकबर के पास चला गया .अकबर ने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर मालवा के सूबेदार को हुक्म भेजा की गरीब दास को एक परगना यानि पांच गाँव दे दिए जाएँ . गरीब दास की मौत के बाद उसके पुत्र "बलवंत सिंह (1770 -1797 ) ने इसवी 1777 में बसंत पंचमी के दिन एक गढ़ी की नींव रखी और उसका नाम अपने कुल देवता "राघोजी "के नाम पर "राघोगढ़ "रख दिया था .
कर्नल टाड के इतिहास के अनुसार बलवंत सिंह ने 1797 तक राज किया .और अंगरेजों से दोस्ती बढ़ाई.जब सन 1778 में प्रथम मराठा युद्ध हुआ तो बलवंत सिंह ने अंगरेजी फ़ौज की मदद की थी
इसका उल्लेख जनरल Gadred ने "Section from State Papers .Maratha Volume I Page 204 में किया है .बलवंत सिंह की इस सेवा के बदले कम्पनी सरकार ने Captain fielding की तरफ से बलदेव सिंह को पत्र भेजा ,जिसमे लिखा था कंपनी बहादुर की तरफ से यह परगना जो बालामेटमें है उसका किला राघोगढ़ तुम्हें प्रदान किया जाता है और उसके साथ के गावों को अपना राज्य समझो .यदि सिंधिया सरकार किसी प्रकार का दखल करे तो इसकी सूचना मुझे दो ..
बाद में जब 1818 में बलवंत सिंह का नाती अजीत सिंह (1818 -1857 )गद्दी पर बैठा तो अंगरेजों के प्रति विद्रोह होने लगे था ,अजीत सिंह ने ग्वालियर के रेजिडेंट को पत्र भेजा कि,आजकल महाराज सिंधिया बगावत की तय्यारी कर रहे हैं .उनके साथ झाँसी और दूसरी रियासत के राजा भी बगावत का झंडा खड़ा कर रहे हैं .इसलिए इन बागियों को सजा देने के लिए जल्दी से अंगरेजी फ़ौज भेजिए ,उस पत्र का जवाब गवालियर के रेजिडेंट A .Sepoyrs ने इस तरह दिया "आप कंपनी की फ़ौज की मदद करो और बागियों साथ नहीं दो .आप हमारे दोस्त हो ,अगर सिंधिया फ़ौज येतो उस से युद्ध करो .कंपनी की फ़ौज निकल चुकी है .
लेकिन सन 1856 में एक दुर्घटना में अजीत सिघ की मौत हो गयी .उसके बाद 1857 में उसका लड़का "जय मंगल सिंह "(1857 -1900 )गद्दी पर बैठा इसके बाद "विक्रमजीत सिंह राजा बना (1900 -1902 (.लेकिन अंग्रेज किसी कारण से उस से नाराज हो गए .और उसे गद्दी से उतार सिरोंज परिवार के एक युवक "मदरूप सिंह "को राजा बना दिया जिसका नाम "बहादुर सिंह "रख दिया गया ( 1902 -1945 )अंगरेजों की इस मेहरबानी के लिए बहादुर सिंह ने अंगरेजी सरकार का धन्यवाद दिया और कहा मैं वाइसराय का आभारी हूँ .मैं वादा करता हूँ कि सरकार का वफादार रहूँगा .मेरी यही इच्छा है कि अंगरेजी सरकार के लिए लड़ते हुए ही मेरी जान निकल जाये .
इसी अंगरेज भक्त गद्दार का लड़का "बलभद्र सिंह "हुआ जो दिग्विजय का बाप है .बलभद्र का जन्म 1914 में हुआ था और इसके बेटे दिग्विजय का जन्म 28 फरवरी 1947 को इन्दौर में हुआ था .
बलभद्र सिंह ने मध्य भारत (पूर्व मध्य प्रदेश )की विधान सभा का चुनाव हिन्दू महा सभा की सिट से लड़ा था .और कांग्रेस के उम्मीदवार जादव को हराया था .सन 1969 में दिग्विजय ने भी नगर पालिका चुनाव कांग्रेस के विरुद्ध लड़ा था .और जीत कर अध्यक्ष बन गया था .
लेकिन इमरजेंसी के दौरान गिरफ्तारी से बचने लिए जब दिग्विजय अपने समाधी "अर्जुन सिघ "के पास गया तो उसने कांग्रस में आने की सलाह दी .और कहा यदि जागीर बचाना है तो कांग्रेस में आ जाओ .
इस तरह दिग्विजय का पूरा वंश अवसरवाद ,खुशामद खोरी .और अंगरेजों सेवा करने लगा है
इसी कारण से जब दिग्विजय उज्जैन गया था तो वहां के भाजयुमो के अध्यक्ष "धनञ्जय शर्मा "ने सबके सामने गद्दार करार दिया था .ओर सबूत के लिए एक सी डी बी पत्रकारों को बांटी थी (पत्रिका शुक्रवार 22 जुलाई 2011 भोपाल )
2 -दिग्विजय ने कांग्रेसी नेत्री की हत्या करवायी !
अभी तक अधिकांश लोग इस बात का रहस्य नहीं समझ पा रहे थे कि दिग्विजय R .S .S और हिदुओं से क्यों चिढ़ता है .अभी अभी इसका कारण पता चला है .यद्यपि यह घटना पुरानी है .इसके अनुसार 14 फरवरी 1997 को रत के करीब 11 बजे दिग्विजय उसके भी लक्ष्मण सिंह और कुछ दुसरे लोगों ने "सरला मिश्रा "नामकी एक कांग्रेसी नेत्री की कोई ज्वलन शील पदार्थ डाल कर हत्या कर दी थी .और महिला को उसी हालत में जलता छोड़कर भाग गए थे .इतने समय के बाद यह मामला समाज सेवी और बी जे पी के पूर्व पार्षद महेश गर्ग ने फिर अदालत में पहुंचा दिया है और सी .जे .एम् श्री आर .जी सिंह के समक्ष ,दिग्विजय सिंह ,उसके भाई लक्षमण सिंह ,तत्कालीन टी आई एस.एम् जैदी ,नायब तहसीलदार आर .के.तोमर ,तहसीलदार डी.के. सत्पथी ,डा .योगीराज शर्मा .ऍफ़.एस.एल के यूनिट प्रभारी हर्ष शर्मा और नौकर सुभाष के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 ,201 .212 ,218 ,120 बी ,और 461 अधीन मामला दर्ज करने के आदेश देने के लिए आवेदन कर दिया है .फरियादी महेश गर्ग ने धारा 156 .3 यह भी निवेदन भी किया है कि उक्त सभी आरोपियों के विरुद्ध जल्दी कार्यवाही कि जाये .इसपर सी. जे. एम् महोदय ने सुनवाई की तारीख 28 जुलाई तय कर दी है .यही कारण है कि दिग्विजय सभी हिन्दुओं का गालियाँ देता है (दैनिक जागरण 23 जुलाई 2011 भोपाल )
हम सब जानते है कि आपसी विवाह सम्बन्ध करते समय परिवार का खानदान देखा जाता है .नियोजक किसी को नौकरी देते समय आवेदक की पारिवारिक पृष्ठभूमि देख लेते है .यहांतक जानवरों की भी नस्ल देखी जाती है .
फिर गद्दारों की संतान गद्दार देश भक्त कैसे हो सकते हैं .विदेशी अंगरेजों के चमचे विदेशी सोनिया चमचागिरी क्यों न करेगा .ऐसा व्यक्ति कुत्ते से भी बदतर है ,कुत्ता अपनो को नहीं काटता है .इसने तो कांग्रेसी महिला नेत्री की निर्दयता पूर्वक हत्या करा दी .


http://uqconnect.net/~zzhsoszy/ips/r/raghogarh.html





प्रस्तुतकर्ता बी एन शर्मा पर 2:00 PM 9 टिप्पणियाँ
लेबल: गद्दार, दिग्विजय
Saturday, July 2, 2011
दिग्विजय की चड्डी ढीली क्यों ?

दिग्विजय सिंह अक्सर आर.एस.एस. ,बी.जे.पी और अन्य हिंदूवादी संगठनों को गलियां क्यों देता है ,बाबा रामदेव और अन्ना हजारे का विरोध क्यों करता है ?राहुल गंदी की तारीफें करके सोनिया की चापलूसी क्यों करता है ?यह ऐसे सवाल हैं ,जो लोगों के मन में उठते रहते हैं .परेक बात सब लोग जानते हैं कि सोनिया .मनमोहन ,दिग्विजय ,अहमद पटेल ,विलास राव ,शीलादीक्षित ,शहीद बलवा ,और हसन अली सब एक ही थैले कि चट्ते बट्टे है,इन सबका विदेशों में अरबों रूपया जमा है .
लोग यह भी जानते हैं कि दिग्विजय एक चालाक ,और मक्कार व्यक्ति है .और राजनीति का घाघ खिलाडी है .उसे एक तीर से कई शिकार करने का अभ्यास है .अंगरेजी क़ी कहावत है ,कि यदि किसी औरत को पटाना हो ,तो उसके कुत्ते तक की तारीफ़ करो .इसी लिए दिग्विजय हर तरह से सोनिया को खुश करता रहता है .क्योंकि असल सत्ता उसी के पास है .वर्ना एक विदेशी विधवा सिवाय भ्रष्टाचार और महगाई के आलावा क्या पैदा कर सकती है .आप सब ने देखा है कि जैसे जैसे भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन तेज होता जा रहा है यह सब एकजुट होने लगे हैं ,और सोनिया कि शरण में आ रहे है .जैसे कुत्तों के पिल्ले अपनी माँ के पास सिमट जाते हैं .
मुझे लगता है कि दिग्विजय की चमचागिरी के पीछे यही कारण होना चाहिए ,दिग्विजय ने अपने शासनकाल में मध्य प्रदेश को चौपट कर दिया था .इसके समय भ्रष्टाचार चरम सीमा पर था .वैसे तो इसने कई घोटाले किये थे .लेकिन ताजा कर्जा घोटाला (loan scam )सुप्रीम कोर्ट में पहुच गया है .दिग्विजय सन 1994 से 2000 तक मध्य प्रदेश का मुख्य मंत्री रहा .इसने "State Industrial Development Corporation "के माध्यम से कुछ औद्योगिक समूहों को सात सौ उन्नीस (719 )करोड़ रूपया बिना किसी जमानत ,या शर्त के कर्जा दे दिया था .और कर्जा लेने वालों से कोई जमानत (security )भी नहीं ली .यह सब दिग्विजय के मित्र थे .जब सन 2005 कर्जे की न तो किश्त जमा हुई ,और न ब्याज ही जमा हुआ तो बी. जे. पी की सरकार का माथा ठनका .उस समय कारपोरेशन का मेनेजिंग डायरेक्टर S .R .Mohanty था .जो एक I .A .S अधिकारी था .सरकार ने इस मामले की (EOW ) Economic Offences Wing से जाँच की तो पता चला कि यह कर्जा दिग्विजय ने उद्योगपतिओं को ICD योजना अर्थात "Inter Corporate Deposit "के तहत दिया था .इस घोटाले में उस समय के कुछ कांग्रेसी नेता ,और मोहंती के आलावा 35 अफसरों के विरुद्ध ऍफ़ आई आर दर्ज हो गयी .( इंडियन एक्सप्रेस 5 फरवरी 2011 ) बाद में मोहंती जबलपुर हाई कोर्ट गया .जहाँ उसको किसी तकनीकी कारण से थोड़ी सी राहत मिल गयी .लेकिन मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भेज दिया (एन ड़ी टी.वी 6 फरवरी 2011 )मामले कि गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसके दो सदस्यों की एक बेंच बना दी ,जिसमे एक Chief Judicial Magistrate और एक Additional Session Judge को रखा गया है .क्योंकि अब वह कर्जा जो 719 करोड़ का था ब्याज मिलाकर 2200 करोड़ का हो गया है .
बी.जे. पी .मध्य प्रदेश के प्रवक्ता श्री नरोत्तम मिश्र ने अदालत से इस केस को प्राथमिकता के आधार पर जल्द निपटने की अपील की है .दूसरी तरफ मुख्य आरोपी मोहंती खुले आम दिग्विजय को जिम्मेदार बता रहा है .उस समय वह "Health Secratary "था .दिग्विजय ने जिन 29 उद्योग पतियोंको कर्जा दिया था उनके कुछ नाम इस प्रकार है -
ई एन बी -प्रफुल महेश्वरी -417 .55
अल्पाइन -सतीश भंडारी -275 .56
रुईया -टी बी रूइया -271 .91
ईशर-गुरुचरण -155 .43
सोम समूह -140 .57
इसकी काफी बड़ी सूचीहै जो ,पत्रिका ,भोपाल 24 दिसंबर 2010 में प्रकाशित हुई थी इसका शीर्षक था "कर्ज लेकर भूल गए :जनता का धन उद्योगपतियों की जेब में "
अब जैसे जैसे सुनवाई के दिन पास आते जा रहे हैं ,दिविजय की चड्डी ढीली होती जा रही है .वह बौखला कर सरे बी.जे.पी ओर संघ को गलियां देने लगा है .उसे भी यह भी डर है की कहीं बाबा रामदेव या अन्ना हजारे इस मूद्दे को देंगे तो सोनिया के साथ सभी अन्दर हो जायेंगे .क्योंकि चोर चोर मोसेरे भाई होते है .यद्यपि मिडिया ने इस घोटाले को अधिक महत्त्व नहीं दिया .फिर भी मैं अपने सभी ब्लोगर बंधुओं से अनुरोध करता हूँ कि,इस घोटाले की बात सबको पहुंचा दें .ताकि दिग्विजय की असलियत लोगों को पता चले .और कोई सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका भी कर सके .खबर की लिंक भी दी जा रही है -.
http://www.ndtv.com/article/india/loan%20-scam-another%20-ias-under-scanner%20-83683




प्रस्तुतकर्ता बी एन शर्मा पर 9:21 PM 5 टिप्पणियाँ
लेबल: दिग्विजय
Thursday, June 30, 2011
दिग्विजय सिंह का भंडाफोड़ !!

दिग्विजय सिंह अपराधियों ,औरातान्कवादियों से हमदर्दी रखता है ,यह उसके सभी अखबारों ,और टी.वी. में दिए गए बयानों से साबित होता है .जो व्यक्ति ओसामा को "ओसामा जी " और बाबा रामदेव को "ठग "और अन्ना हजारे को "धोखेबाज "कहता हो आप उसकी मानसिकता के बारे में खुद अंदाजा कर सकते है .इस बात में कोई शक नहीं है कि जिस व्यक्ति के जैसे विचार होते हैं ,वह वैसी ही नीति अपनाता है .वैसे तो दिग्विजय हिन्दू संगठनों को आतंकवादी ,अपराधी कहता है ,तो उसका मुंह नहीं थकता है.


लेकिन जब उसे मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री का पद मिला तो उसने चुन चुन कर कई ऐसे लोगों को महत्वपूर्ण पदों पर बिठा दिया था जो अपराधी थे ,या जिनकी अपराधिक प्रष्ठभूमि थी .वैसे गिग्विजय को कांग्रेस से कोई लेनादेना नहीं था .उसके पूर्वज अंग्रेजों के पिट्ठू थे .और गुना जिला में एक छोटी सी रियासत राघौगढ़ के जमींदार थे .वही ठसक दिग्विजय में भरी हुई थी .दिग्विजय को कांग्रेस में लाने वाले उसके समधी अर्जुन सिंह थे .उस समय लोग एम् .पी कांग्रेस को "समधी कांग्रेस "कहते थे .सता पते ही दिग्विजय ने ईमानदार और निष्ठावान कायकर्ताओं को निकाल दिया और सन 1988 में पार्टी के "पुनर्गठन "के बहाने अपने लोगों को पार्टी में भर दिया जो अपराधी थे .उसी दिन से मध्य प्रदेश कांग्रेस का अपराधीकरण शुरू हो गया था .जो उस समय के अखबारों में छपा था .उनका कुछ नमूना दे रहे हैं -
पार्टी में अपने ही लोगों को भर दिया ,और पुराने निष्ठावान कांगरेसियों कि उपेक्षा करके उनको निकाल दिया.
1 -इंदिरा गांधी को समर्पित ,दुर्दिनों के साथियों को गड्ढे में धकेला गया. कांग्रेस प्राइवेट लिमिटेड बन गई (दैनिक भास्कर .14 जन 1988 )
2 -बुरे दिनों के साथी पुनर्गठन के नाम पर निकले गए.(दैनिक भास्कर .16 जन 1988 )
3 -प्रदेश कार्यकारिणी की उपेक्षा .(भास्कर 18 जन .1988 )
बाद में जब 15 सितम्बर 1988 को पचमढ़ी में कांग्रेस की कार्यकारिणी की सभा हुई तो उसमे यह मुद्दा यथा था .और प्रताव पारित हुआ और सोनिया ने कहा था की कि 1978 से 1980 तक जिन लोगों ने काग्रेस के आंदोलनों में सक्रीय कम किया था ,उन्हीं को कंरेस में रखा जायेगा .लेकिन दिग्विजय से उस प्रस्ताव की अनदेखी करते हुए जिन लोगों को ऊंचे ऊँचे पदों पर बिठा दिया उनमेसे कुछ लोगों के नाम दिए जा रहे है .और दिग्विजय की नीतियों के बारे में कुछ जानकारी दी जा रही है .कांग्रेस कार्यालय की फाइलों से प्राप्त हुई है .
1 -दिनांक 27 -28 मार्च 1986 को दिग्विजय ने हेक जिलों से युवकों को बुलालर एक दल बनाया .जिसमे करीब 700 लोग चुने गए .और दल में शामिल होने की अंतिम तारीख 31 मार्च 1986 रखी थी .फिर उनके 22 सेल बना कर जंगल में ट्रेनिंग के लिए भेजा .इनमे अधिकांश लोग ऐसे थे ,जो खुले आम इंदिरा और राजीव को गालियाँ देते थे .इनका काम फसाद कराना था.
2 -जगतपाल को कांग्रेस कमिटी का जनेअल सेक्रेटरी मनोनीत किया ,जिसने 10 लाख रूपों का गबन किया.
3 -भोपाल गैस कांड के अपराधी .यूनियन कार्बाइड के अपराधियों और उनके साथियों को संरक्षण दिया .
4 -जब सन 1985 में मंदसौर के एक कसबे "सिंगौरी "में साम्प्रदायिक डंडे हुए ,तो दिग्विजय ने एक प्रेस नोट से दंगा और भड़का दिया .जिस से कई लोग मारे गए.
5 -ठाकुर हरबंस सिंह नामके व्यक्ति को कांग्रेस सेवादल का चेयर मेन बना दिया ,जिस पर धोखा घडी ,गबन और अन्य कई मामले चल रहे थे .
अ -केस .न. 1650 /84 धारा 378 (c ) C R P C
ब-केस स .298 /82 धारा 420
इसके आलावा हरबंस के निवास स्थान सेवनी पर इनकम टेक्स ने छापा मारा था और लाखों रूपया बरामद किया था .
6 -कप्तान सिंह ठाकुर .दिग्विजय ने इसे बीस सूत्री प्रोग्राम का जनरल सेक्रेटरी और Coordinator बना दिया था ,यह मैनपुरी से एक लड़की भगा कर लाया था .और उसे घर में रख लिया .फिर Willingdon हॉस्पिटल की एक नर्स को भगा लाया ,जो दिल्ली के कनाट प्लेस में रहती थी .यही नहीं इसने पूर्व राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर रेलवे में नौकरी ले ली थी .बाद में सच्चाई सामने आने से नौकरी से निकाल दिया था .उसके इन्हीं गुणों के कारण दिग्विजय ने उसे महत्वपूर्ण पद दिया था .और उसे पसंद करता था .
7 -सदरुद्दीन अंसारी .दिग्विजय ने इसे Vice President बना दिया था .यह कांग्रेस में होकर भी "जमाअतुल उलमा "का भी उपाध्यक्ष था. उसका लड़का निजामुद्दीन अंसारी कुख्यात अपराधी था .और भोपाल में उसपर कई मुकदमे दर्ज हैं .सन 1985 में इसी ने अपने लोगों के साथ मंदसौर में दंगे करवाए थे.
यह तो थोड़े से नमूने हैं जो विस्तार भय से लिखे हैं .उपलब्ध फाइलों में ऐसे बहुत प्रमाण हैं ,जिससे दिग्विजय के अपराधियों के साठगाँठ होने के सबूतहै .
आज भले दिग्विजय राहुल को प्रधान मंत्री बनाने की बातें करके , सोनिया की चापलूसी कर रहा है और खुद को इंदिरा और सोनिया का भक्त बता रहा है .लेकिन दिग्विजय के ईमान का कोई भरोसा नहीं है .इसके सबूत के लिए रायपुर से प्रकाशित अखबार की हेडिंग का हवाला दिया जा रहा है .
"प्रदेश के वरिष्ठ नेता ,रोकते रहे ,और कहा कि इंदिरा और राजीव को गालियाँ देने वालों को जिम्मेदारी देना मेरी भूल है .इंदिरा" को अंतर्राष्ट्रीय वेश्या ",और सोनिया को "फ़ोरेन माल "कहने वाले प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारी "देशबंधु रायपुर .30 अगस्त 1992 ).
(नोट -दिग्विजय के भक्त कांग्रेसी विचार करें !!)
दिग्विजय सिंह सम्बन्धी इन तीनों लेखों को पढ़ने वाले सभी पाठको से अनुरोध है कि ,यह जानकारी मुझे कांग्रेस के एक निष्ठावान और वरिष्ठ पदाधिकारी ने दी है .जिसमे कुछ अखबारों से कुछ कांग्रेस दफ्तर की फाइलों से ली गयी है .आज भी यह व्यक्ति कांग्रेस के प्रति समर्पित हैं .लेकिन उन्हों ने दिग्विजय कि जनविरोधी नीतियों का विरोध किया था ,और दिग्विजय को सचेत किया था .उनकी बात न मानने के कारण मध्य प्रदेश से कांग्रेस का सफाया हो गया था.इनके पास इतने सबूत हैं जिस से सोनिया भी फस सकती है ,दिग्विजय क्या चीज है .मैंने वह फायलें खुद देखी है .उनका परिचय इस प्रकार है -
R.M.Bhatanagar
Ex.Chairman (Minister staus),ExOffice Secratary,(1978-1993) Secretary cum Personnel Officer,
34.Good Shefard Colony,Banjari Chauraha Kolar Road-BHOPAL.M.P.


चूँकि उनपर दो बार हमला हो चूका है वह अपना मोबाईल नंबर नहीं दे रहे हैं .इन लेखों के बाद उन्होंने अपनी तरफ से यह भी लिखने को कहा है जो उन्होंने अखबारों को पहले भी लिख दिया था."सत्यापन -मैं शपथ पूर्वक सत्यापत करता हूँ कि उल्लेखित जानकारी मेरे निजी ज्ञान तथा उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर सत्य है "
अब जिसे चाहिए उन से संपर्क करे .या मेरे मेल से सूचित करे .Em-satyawadi44@gmail.com






प्रस्तुतकर्ता बी एन शर्मा पर 9:32 PM 9 टिप्पणियाँ
लेबल: दिग्विजय
Wednesday, June 29, 2011
दिग्विजय सिंह का पर्दाफाश !

दिग्विजय सिंह की हालत उस व्यक्ति की तरह है जो खुद तो मल मूत्र के गड्ढे में पड़ा हो और दूसरों के साफ़ कपड़ों में दाग तलाश करता हो .आज दिग्विजय हरेक के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है.और खुद को भ्रस्ताचार से मुक्त होनेका ढिढोरा पीट रहा है .एक समय यही व्यक्ति सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार को ,जरूरी ,और जायज कहता था.यही नहीं भ्रष्टाचार को कानूनी दर्जा दिलवाने की वकालत भी करता था.दिग्विजय ने अपने मंत्री मंडल में ऐसे लोग भर लिए थे जो भ्रस्ताचार को उचित मानते थे .दिग्विजय ने कहा था कि"वर्त्तमान राजनीतिक व्यवस्था में हमें भ्रष्टाचार कि परिभाषा बदलनी होगी .मैं जो भी करता हूँ पार्टी के लिए करता हूँ "(राज्य की नई दुनिया .भोपाल 28 फरवरी 2001 )
यही नहीं सोनिया भी दिग्विजय के इन विचारों का समर्थन करती थी. 14 दिसंबर 1998 को राष्ट्रीय सम्मलेन मेंप्रदेश के गृहमंत्री हरबंस सिंह ने सोनिया से कहा कि मैं मुख्य मंत्री के आदेश से पार्टी के लिए धन जमा कर रहा हूँ .सोनिया ने उसकी तारीफ कि थी (नव भारत भोपाल 15 दिसंबर 1998 )उसके बाद सन 1990 से 1993 तक दिग्विजय के आदेश से हरबंस सिंह ने 100 -100 रुपये के कूपन बेच कर लोगों से रुपये वसूले .और लाखों रूपया इकठे किये .लेकिन रूपया पार्टी के खाते में जमा करने कि जगह जेब में रख लिए .यहांतक कांग्रस कार्यालय के खर्चे के लिए बहार से कर्जा लेना पड़ा था. (हिन्दुस्तान टाइम्स नई दिल्ली .7 मार्च 1993 )
दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में जो घोटाले ,गबन ,आर्थिक अनियमितताएं हुई थी ,उनके बारे में महा लेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्र्ट में कहा था कि प्रतिमाह लगभग 70 लाख की हेराफेरी मुख्य मंत्री द्वारा कि गयी है .जिसकी पुष्टि समाचारों ने भी की है .जैसे -
1 -मध्य प्रदेश की तेरह सिंचाई परियोजनाओं में सब अदूरी हैं ,एक हेक्टर जमीं भी सिंचित नहीं हुई ,24 अरब रूपया खर्च होने पर सिर्फ 12 हेक्टर जमीन सिंचित हुई .(नव भारत 4 जून 2000 ) सिंचाई योजना में घोटाला .(नव भारत 17 जुलाई 1999 )
2 -राजिव गांधीराष्ट्रीय पेयजल मिशन के तहत 15400 ग्रामीण बसाहटों में केवल 90 बसाहटों में पानी की व्यवस्था हो सकी .याकि कुल 8 .5 %काम किया गया .बाकी रूपया हड़प लिया गया. (नव भारत .भोपाल 18 जुलाई 1999 )
3 -घोटालों के कारण कुएं भी क्म खुदे और मकान भी क्म बने .(नव भारत .7 मई 1999 )
4 -मास्टर रोल घोटाले के दोषियों को बहाल कर दिया गया .(नव भारत 4 मई 1999 )
5 -करोंड़ों के सड़क घोटाला करने वाले निलंबित अफसरों को मुख्य मंत्री ने राजनीतिक दवाब के कारण काम पर ले लिया .और उनपर कार्यवाही रोक दी (दैनिक भास्कर .8 मई 1999 )
इसके अलावा दिग्विजय ने अपने पद का नाजायज दुरपयोग करते हुए .अपने परिवार के लोगों ,रिश्तेदारों ,और हितेषियो को जो लाभ पहुँचाया और सरकारी धन को हड़प किया था .उसकी जानकारी दिग्विजय की गुप्त रिपोर्ट में से हमें मिली है .इस रिपोर्ट के अनुसार -
1 -दिग्विजय्ने मुख्य मंत्री रहते हुए अपनी पत्नी ,अपनी नाबालिग पुत्री मंदाकिनी (आयु 12 साल )मृणालिनी (आयु 9 साल )और हरीश चंडोक और बलभद्र के नाम से एक फर्जी कंपनी बनायीं जिसका नाम "Gwalior Coal "था और इस फर्जी कंपनी के नाम पर करोड़ों रूपया लोन लिया था .और रूपया हड़प करके कंपनी बंद कर दी थी .
2 -संजय सागर Forest Cultivation Project चला कर जमीनों पर कब्ज़ा करके करोड़ों रुपये कमाए .
3 -दिग्विजय अपने गाँव राघौगढ़ और उसके किले को अपनी जायदाद मानता है .इसलिए उसने किले की चट्टानों को कटवा कर .और पहाड़ी के टीलों को खुदवा कर पत्थर मिटटी बिकवा कर करोड़ों रूपया अपनी जेब में डाल लिया .और कोई टेक्स नहीं दिया.
4 -दिग्विजय और उसके छोटे भी लक्षमण ने एक गुजरात के व्यवसायी दिनेश पटेल और रणछोड़ सिंह पटेल के साथ मिलकर एक फर्जी कंपनी बनायी .जिसका नाम "Maruti Limited "था इस कंपनी के बहाने दिग्विजय ने राघौगढ़ की ज़मीन और जंगल पर कब्ज़ा कर लिया.और जमीनों को बेचकर रूपया कमाया .बाद में इस फर्जी कंपनी के नाम पर State Bank विजयपुर की ब्रांच अपने प्रभाव से से कर्जा भी दिलवा दिया .यह फर्जी कंपनी गुना स्थित Fertiliser Plant के प्रबंधकों पर ठेका देने पर दवाब देने लगी .लेकिन गुना फर्टीलाइजर प्रबंधकों ने जन मन कर दिया तो दिग्विजय के गुंडे मारा पीटी और तोड़फोड़ करने लगे .जिस से कई लोग जख्मी हो गए .गुना थाने में दिग्विजय के लोगों के विरुद्ध ऍफ़ आई आर भी दर्ज है .केस संख्या .63 /84 धारा 379
5 -अपने भी के नाम पर गुना में एक सोयाबीन का प्लांट लगाने के बहाने बैंक से आठ लाख रूपया लोन लिया ,और कोई प्लांट नहीं बनाया .सारा रूपया हड़प कर गया.
6 -अपने गाँव राघौ गढ़ में अपने महल में कारपेट बनाने की कंपनी के बहाने सरकार से सब्सिडी लेकर रूपया जेब में भर लिया .कोई कंपनी नहीं बनायी .
7 -दिग्विजय ने एक गरीब कोटवार (एक पिछड़ी जाति) की जमीन पर अवैध कब्ज़ा कर लिया .और उसकी ज़मीन पर Stone Crusher लगा दिया फिर पांच Dumper के लिए लोन ले लिया .और रूपया हड़प कर लिया.
8 -गुना में श्वेत क्रान्ति के बहाने अपने एक रिश्तेदार के नाम से डेयरी बना दी और बैंक से 8 लाख रूपया लोन ले लिया .लेकिन डेयरी नहीं बनवाई और रूपया हड़प कर गया .
यह तो कुछ थोड़े से ही नमूने हैं ,जो उन फाइलों से जल्दी जल्दी निकले जा सके हैं .दिग्विजय के भ्रष्टाचार के और भी सबूत है ,जो किसी समर्थ और सक्षम व्यक्ति को दिए जा सकते हैं ,जो दिग्विजय का सामना करने को तय्यार हो .ऐसी करीब 30 -40 फाइलें हैं
मेरा सिर्फ यही कहना है की भ्रष्टाचार कैसा भी हो अपराध होता है .चाहे एक हजार का हो ,चाहे एक करोड़ का .यदि कोई संगठन व्यवस्था करा सके तो उन महोदय का टी वी पर दिग्विजय से मुकाबला करवा दिया जा सकता है .
मेरा कांग्रेसियों से अनुरोध है कि दिग्विजय से सावधान रहें ,यह किसी का सगा नहीं है .आज यह जिस राहुल की तारीफ़ में ज़मीन असमान एक कर रहा है .एक दिन उसी राहुल के लिए संकट पैदा कर देगा.
आप लोग भी इस लेख को अपने मित्रों तक भेजने का कष्ट करें .इस विषय के अंतिम एपिसोड में मैं उन महोदय का परिचय भी दूंगा जिन से औरभी जानकारियाँ मिल सकती हैं .तब तक आप तीसरे एपिसोड की प्रतीक्षा करें









प्रस्तुतकर्ता बी एन शर्मा पर 4:30 PM 7 टिप्पणियाँ
लेबल: दिग्विजय
Tuesday, June 28, 2011
दिग्विजय सिंह बेनकाब !

दिग्विजय सिंह उर्फ़ दिग्गी राजा अपने हिन्दू विरोधी विचारों ,और बेतुके बयानों के लिए जाने जाते हैं .सभी लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि दिग्गी को सभी हिन्दू संगठनों से घोर एलर्जी है .चाहे वह आर एस एस हो या बी जे पी .चाहे बाबा रामदेव हों या अन्ना हजारे .दिग्गी कि नजर में वे सब लोग आतंकवादी और भ्रष्ट हैं ,जो भ्रष्टाचार का विरोध करता हो .लोग यह भी जानते हैं कि दिग्गी ने मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री की कुर्सी फिर से हथियाने के लिए चापलूसी और खुशामदखोरी की हदें पर कर दी हैं .
अपनी इसी स्वामीभक्ति के कारण वह पार्टी के महामंत्री और उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रभारी बनाये गए है .कान्ग्रेसिओं की नजर में दिग्गी एक वरिष्ठ .निष्ठावान ,और पार्टी के प्रति समर्पित नेता हैं .
लेकिन यदि कोई यह कहे कि दस सालतक मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री रहते हुए ,दिग्गी ने खुद कांग्रस को चूना लगाया ,भोपाल स्थित कांग्रेस के कार्यालय "जवाहर भवन 'को फर्जी ट्रस्ट बनाकर अपने क़ब्जे में कर लिया ,भवन से लगी हुई दुकानों का किराया हड़प कर लिया ,अदालत में झूठा शपथ पत्र दिया ,अपने लोगों को फर्जी कंपनिया बना कर रुपयों का घोटाला किया ,पार्टी में अपराधियों को संरक्षण दिया .तो कांग्रेसी ऐसा कहने वाले को फ़ौरन आर एस एस का आदमी कह देंगे ,और अगर कोई यह कहे कि दिग्विजय सिंह सार्वजनिक रूप से इंदिरा गाँधी को "राजनीतिक वेश्या "और सोनिया को "फोरेन"यानी विदेशी कहता था ,तो कांग्रेसी उस व्यक्ति को बाबा रामदेव ,या अन्ना हजारे का चमचा कह देंगे .
लेकिन यह सब आरोप किसी संघी या बाबा रामदेव के आदमी ने नहीं ,बल्कि मध्य प्रदेश कांगेस पार्टी के चेयर मेन Chairman ने लगाये हैं जो सन 1978 से 1993 तक पार्टी में बने रहे .और उनको Minister Status का दर्जा प्राप्त था .यही नहीं ,यह व्यक्ति राजीव गांधी के काफी निकट थे .इनके कार्यकाल में अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह एम् .पी में मुख्य मंत्री रहे .इन महोदय का नाम श्री आर. एम् .भटनागर है .आज इनकी आयु 76 के लगभग है .भटनागर जी ने दिग्विजय पर जो भी आरोप लगाये हैं .वह उन्होंने शपथ पूर्वक बताये हैं .जिनकी पुष्टि ,अखबारों ,विधानसभा के रिकार्ड ,और प्रमाणिक गुप्त दस्तावेजों से होती है .यही श्री भटनागर ने इसकी सूचना Top Secret पत्र दिनांक 9 अगस्त 1998 और दिनांक 29 सितम्बर 2001 को सोनिया को देदी थी .यह खबर इंदौर से साप्ताहिक "स्पुतनिक "ने अपने अंक 42 वर्ष 47 औरदिनांक 31 जनवरी -6 फरवरी के अखबार में विस्तार में छापी थी .,
अब हम दिग्विजय के कुछ कारनामों का सप्रमाण एक एक करके भंडा फोड़ेंगे जैसे 1 .जवाहर भवन की संपत्ति हड़प करना ,2 .अपने लोगों को नाजायज फायदा पंहुचाना ,3 .अपराधियों को संरक्षण देना ,4 इंदिरा गाँधी के लिए वेश्या कहना .
1 -जवाहर भवन की संपत्ति गबन करना
दिग्विजय सिंह ने पहला घोटाला कांग्रेस की सम्पति को हड़प करने का किया था .सन 2006 से पूर्व म.प्र काग्रेस कमेटी का मुख्य कार्यालय लोक निर्माण विभाग के एक शेड में कहता था. बादमे मद्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी को अपना भवन बनाने हेतु म.प्र. आवास और पर्यावरण विभाग ने आदेश क्र. 3308 /4239 दिनांक 30 /11 /74 और पुनर्स्थापित आदेश दिनांक 30 अगस्त 1980 तथा आदेश दिनांक 20 /11 81 द्वारा रोशन पूरा भोपाल के नुजूल शीट क्रमांक 3 प्लाट 7 में 5140 वर्ग फुट जमीं बिना प्रीमियम के एक रूपया वार्षिक भूभाट लेकर स्थायी पट्टे पर आवंटित कर दिया था .और उस भूखंड का विधिवत कब्ज़ा कांग्रस कमिटी को नुजूल से लेकर 23 /11 81 को सौप दिया .भवन निर्माण हेतु सदस्यों और किरायेदारों से जो रुपया जमा हुआ उस से तीन मंजली ईमारत बनायीं गयी .जिसमे दो बड़े हाल और साथ में 59 दुकानें भी थीं .इस भवन का नाम "जवाहर भवन शोपिंग कोम्प्लेक्स "रखा गया. इस भवन की भूमि पूजा तत्कालीन मुख्य मंत्री अर्जुन सिंह ने 16 अगस्त 1984 को की थी.और उद्घाटन राजीव गाँधी ने किया था. निर्माण हेतु सदस्यों के चंदे से 29 .84 लाख और किराये से 66 .78 लाख जमा हुए थे. और कराए की राशी से पार्टी का खर्च चलने की बात कही गयी थी .
बबाद में दिग्विजय सिंह ने 19 /12 /85 को एक फर्जी ट्रस्ट बनाकर उस भवन पर कब्ज़ा कर लिया .यद्यपि उस ट्रस्ट का नाम "कांग्रेस कमिटी ट्रस्ट "था लेकिन उसका कांग्रेस से कोई सम्बन्ध नहीं था .दिग्विजय ने अनुभागीय अधिकारी (तहसीलदार )के समक्ष शपथपत्र देकर कहा की यह ट्रस्ट पुण्यार्थ है. और जवाहर भवन की सारी चल अचल सम्पति इसी ट्रस्ट की है .इस तरह कांग्रस दिग्विजय की किरायेदार बन गई .देखिये
(देशबंधु दिनांक 6 दिसंबर 1998 ) दिग्विजय ने उस ट्रस्ट का खुद को अध्यक्ष बना दिया .उक्त ट्रस्ट में निम्न पदाधिकारी थे.
अध्यक्ष -दिग्विजयसिंह पुत्र बलभद्र सिंह 2 .मोतीलाल वोरा ट्रस्टी 3 .जगत पाल सिंह मेनेजिंग ट्रस्टी .
इस ट्रस्ट के विरुद्ध न्यायालय अनुभागीय अधिकारी तहसील हुजुर भोपाल में एक जनहित याचिका भी दर्ज कीगयी थी. जो प्रकरण संख्या 04 बी -113 /85 -86 दिनांक 12 जुलाई 88 में दर्ज हुआ था. बाद में यह मामला श्री आर .एम् .भटनागर ने विधान सभा में भी उठवाया.म.प्र. विधान सभा के प्रश्न संख्या 9 (क्रमांक 579 )दिनांक 23 फरवरी 96 को उक्त ट्रस्ट के बारे में श्री करण सिंह ने यह सवाल किया था .क्या राज्यमंत्री धार्मिक न्यास यह बताने का कष्ट करेंगे की इस ट्रस्ट के पंजीयन के समय तक कितनी बार ट्रस्टियों के नाम बदले गए हैं ?जैसा की भटनागर ने 24 दिसंबर 98 को प्रश्न किया था .और पंजीयक से शिकायत की थी ?
इस पर विधान सभा में राज्यमंत्री धार्मिक न्यास श्री धनेन्द्र साहू ने उत्तर दिया था कि अबतक उक्त ट्रस्ट के ट्रस्टी चार बार बदले गए हैं और ट्रस्ट के भवन कि दुकाने पट्टे पर नहीं बल्कि किराये पर दी गयीं है. और इसकी अनुमति भी नहीं ली गयी थी .यही नहीं उक्त ट्रस्ट कि औडिट रिपोर्ट भी 31 मार्च 2000 तक नहीं दी गयी है .
इसके बाद दिग्विजय सिंह ने दुकानों से प्राप्त कराए क़ी पार्टी को न देकर अपने निजी काम में लगाना सुरु कर दिया .जिसकी खबर इंदौर से प्रकाशित "Free Press Journal "ने दिनांक 5 नवम्बर 1986 को इस हेडिंग से प्रकाशित की थी."Digvijay accused of misusing party funds "
श्री भटनागर ने बताया कि जवाहर भवन की 59 दुकानों से मिलाने वाले किराये से प्रति माह दो तीन लाख रुपये कि जगह सिर्फ मुश्किल 65000 /- ही जमा होते थे .इस प्रकार अकेले 10 सालों में करोड़ों का घपला किया गया है. उक्त ट्रस्ट का खाता पंजाब नॅशनल बैंक की भोपाल टी .टी. नगर ब्रांच में थी .जिसका खता नुम्बर 19371 है. खाते से पता चला कि 1 अप्रेल 2001 से 26 मार्च 2003 तक ट्रस्ट से "एक करोड़ ,इक्कीस लाख ,एक हजार छे सौ उनचास "रुपये नकले गए थे. जिसमे सेल्फ के नाम से 162739 /- दिग्विजय ने निकला था .बैंक का लोकर भी थी .जिसमे कई मूल्यवान वस्तुएं भी थी जो भेंट में मिली थी .असके आलावा नकद राशी भी थी .भटनागर ने बताया कि उस समय खाते में ग्यारह करोड़ राशी थी .लोकर कि दो चाभियाँ थी .एक जगतपाल सिह के पास ,और दूसरी दिग्विजय के पास थी .जब जगतपाल कि मौत होजाने के बाद लोकर खोला गया तो उसकी कीमती चीजे गायब थी .और खाते से 9 करोड़ रुपयों का कोई हिसाब नहीं मिला,देखिये साप्ताहिक पत्र इंदौर से प्रकाशित"स्पुतनिक "दिनांक 31 जनवरी 2005 .
इसी पत्र में yah भी लिखा है कि दिग्विजय से ट्रस्ट से सेल्फ के नाम से 65000 /- निकाला था .और अपने मित्र राधा किशन मालवीय को स्कोर्पियो खरीदने को दिया था .बाद में उस गाड़ी को को शाजापुर में दुर्घटना ग्रस्त बता दिया था.आज भी जवाहर भवन दिग्विजय के कब्जे में है .श्री भटनागर ने इसकी शिकायत सोनिया को 31 जनवरी 2005 लिखित में शपथ पूर्वक कर दी थी .और मांग कि थी कि दिग्विजय से कांग्रेस की सम्पति वापस करवाई जाये .और उसे राजनीतिक सन्यास पर भेज दिया जाये .
वास्तव में दिग्विजय ऐसा व्यक्ति है जिसने खुद कांग्रेस को चूना लगाकर करोड़ों रुपये हड़प लिए .मेरे पास कई सबूत हैं .यदि कोई मित्र यह जानकारी बाबा राम देव या अन्ना हजारे तक पहुंचा दे तो यह दस्तावेज उनको भेजे जा सकते है .
अगले एपिसोड में दिग्विजय के आर्थिक घोटालों का भंडा फोड़ किया जायेगा .आप अवश्य पढ़िए .!



Saturday, June 18, 2011
दिग्गीराजा की शतरंजी चाल !

http://bhandafodu.blogspot.com/search/label/%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BE

आज शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो दिग्विजय सिंह और उसके हिन्दू विरोधी बेतुके बयानों के बारे में नहीं जनता होगा .द्प्ग्विजय को लोग दिग्गी राजा के नाम से भी पुकारते हैं .दिग्गी राजनीति में घाघ ,कुटिल ,और दावपेचों में निपुण है .एक बार उसने कहा था कि मई आजतक चुनाव वोटों से नहीं ,बल्कि मेनेजमेंट से जीतता आया हूँ .अगर हम दिग्गी को राजनीति का कीड़ा कहें तो गलत नहीं होगा .आज दिग्गी कि नजर फिर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है .
कहावत है कि यदि किसी को रिवोल्वर का लाइसेंस चाहिए उसे तोप का लाइसेंस मांगना चाहिए .इसी लिए दिग्गी राहुल को प्रधानमंत्री बनवाना चाहता है .और राहुल उर्फ़ Raul Vinci गन्दी को हर तरह से योग्य साबित करने की जुगाड़ लगा रहा है .सही है इतने समय में राहुल ने वह सब गुण हासिल कर लिए हैं ,जो एक सच्चे कांग्रेसी में होना चाहिए .दिग्गी के अनुसार राहुल चरित्रवान है ,कुंवारा युवक है ,उसके पास कालाधन नहीं है .और हर तरह से बेदाग है .
हम भी यही कहते हैं ,लेकिन कुछ दुष्ट झूठे लोग राहुल के बारे में कुछ और बताते है -जैसे

1 -राहुल चरित्रवान है !
राहुल गन्दी का चरित्र इतनी उच्च कोटि का है ,कि जब अमेठी के एक कांग्रेसी बलदेव सिंह की लड़की "सुकन्या "राहुल के दर्शन करने वहां के रेस्ट हाउस में गयी ,तो राहुल और उसके विदेशी दोस्तों ने उसकी पूजा की थी .लोग सामूहिक बलात्कार की झूठी बातें करते है .तब से सुकन्या और उसकी माँ स्मिता देवी जमीन में समा गए .कि उन्होंने राहुल जैसे महान व्यक्ति पर बलात्कार का आरोप लगाया था .जिसने भी यह घटना इस साईट में दी है वह जरुर आर एस एस का आदमी होगा .आओ इस साईट को खोल कर देखिये -

http://www.scribd.com/doc/45330117/rahul

2 -राहुल भ्रष्टाचार से मुक्त है !
इसी तरह यह बात भी झूठ और निराधार है ,कि राहुल के पास काला धन है उसके पास तो खाने को भी रुपये नहीं है ,बेचारा इतना भोला है कि ,अपनी माँ के बाप का और नानी का नाम भी नहीं जनता ,ऐसा व्यक्ति ही देश का प्रधानमंत्री होना चाहिए राहुल कि .जो भी बेनामी संपत्ति इस साईट में बताई गयी हैं सब संघ वालों का षडयंत्र है .अप इस लिंक को पढ़कर संघ को गालियाँ जरुर दीजिये !

http://www.haindavakeralam.com/HKPage.aspx?PageID=12594

3 -युवक है ,कुंवारा है
कुछ लोगों कि आदत होती है कि,किसी सीधे साधे युवक पर अनर्गल आक्षेप लगाते रहते हैं .जो लोग कहते है कि राहुल ने वेरोनिका नामकी स्पेनिश लड़की से गुप्त रूप से शादी कर ली है .और हनी मून भी केरल में मन लिया है ,वे लोग जरुर बाबा रामदेव के चमचे हैं .या बी जे पी के लोग है .यह साईट किसी हिन्दू आतंकी ने बनाई है .लोग अंधे जो यह नहीं जानते कि राहुल ब्रह्मचारी है .अब इस साईट के बारे में हम क्या करें ?

http://planet6oclock.com/planet6oclock/content/rahul-gandhis-spanish-girlfriend-veronica-images-video

4 -राहुल के पास कालाधन नहीं है
हम चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं ,कि राहुल के पास एक रूपया भी बेनामी नहीं है .अप तलाश कर के देख लो सिर्फ एक चवन्नी होगी .को गांधी बाबा ने अपने लिए कांग्रेस कि सदस्यता के लिए रख ली थी .शायद वही राहुल के पास होगी .अब इन कलमुहे लोगों को क्या कहे जो कहते है कि ,राहुल के पास अरबों की सम्पति है .जिसे निकालने के लिए कई रामदेव और कई अन्ना हजारे लग जायेंगे .फिर भी अप इस साईट को देखिये ताकि बाबा का मुंह बंद हो सके .आर एस एस की यह खुराफात लगती !

http://karsewak.blogspot.com/2007/01/rahul-gandu-his-gf-making-money-in.html

5-राहुल बेदाग है
लगता है कि,अमेरिका की पुलिस दारु के नशे में रहती है ,जभी तो उसने राहुल गाँधी को अवैध रूप से डालर लेजाते हुए गिरफ्तार कर लिया .बिचारी मम्मी सोनिया को अटल बिहारी जैसे संघी से राहुल को छुड़वाने के लिए पैर पड़ना पड़ा .ऍफ़ बी आई को पता नहीं था कि आगे यही स्मगलर भारत का प्रधानमंत्री बनेगा .और अमेरिका से हाथ फैला फैला कर कर्जा मांगता रहेगा .कि अमेरिका कंगाल हो जाएगी .अगर ऐसा भारत में हुआ होता तो कांग्रेसी उन पुलिस वालों को संघ के लोग बताकर तिहाड़ में ठूंस देते .राहुल तो पैदायशी बेदाग है .जिस ने यह साईट बनाई है ,उसे अपने दिमाग का इलाज करवा लेना चाहिए .हम तो फिर भी राहुल को प्रधानमंत्री बनवा कर रहेंगे ,चाहे देश जाये गड्ढे में !

http://planet6oclock.com/planet6oclock/content/rahul-gandhi-fbi-news-was-rahul-gandhi-arrested-or-detained-usa-2011

बेचारे दिग्गी क्या करें ?उनकी नजर में राहुल द्वारा टुकड़ों पर है .शायद फिर से राहुल खैरात में मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री की कुर्सी दिलवा रहे .असल में डौगी विजय अपनी नस्ल का नाम कर रहे है ,वह है पूंछ हिलाना ,और दूसरों पर भौंकते रहना .वह अपना कम करे ,हम अपना काम करंगे !!
दिग्गी राजा के बारे में और जानकारी अगली पोस्ट में देंगे ,जरूर पढ़िए !

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