Sunday, May 2, 2010

क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता....


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मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है
पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उडान होती है
मत कर इतना यकीन हाथों की इन लकीरों पर
तकदीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती है, स्वप्न के परदे निगाहों से हटती है
हौसला मत हार गिर कर ऐ मुसाफिर, ठोकरें इंसान को चलना सिखाती है
हवा में ताश का घर नहीं बनता, रोने से बिगडे मुक़द्दर नहीं बनता
दुनिया जीतने का हौसला रखो ऐ दोस्तों, एक जीत से कोई सिकंदर नहीं बनता
जहाँ हर सर झुक जाए वही मंदिर है, जहाँ हर नदी मिल जाये वही समंदर है
ज़िन्दगी हर मोड़ पर एक युद्ध है जो हर युद्ध जीत जाये वही सिकंदर है
ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,
हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता....

बेहतर है प्रभु का हाथ पकड़ने के
बजाय अपना हाथ प्रभु को पकड़ा दो
तुम हाथ पकड़ोगे तो हो सकता है
किसी दबाब में छोड़ बैठोगे
प्रभु पकड़ेंगे तो हाथ कभी नहीं छूटेगा
दबाब और माया क्या कर लेगी?
और प्रभु को कैसे मनाऒगे?
जप मन मेरे प्रेम सहित श्रद्धा सहित
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे ...

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