Wednesday, January 28, 2009

खुश्क आंखो मे कई बार झलक जाती है


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जो तुम चाहते हो, उसे पाने की कोशिश करो! अन्यथा तुम उसे पाने के लिए मजबूर हो जाओगे!


खुश्क आंखो मे कई बार झलक जाती है
खुशी मिलते ही आंखो से टपक जाती है
गमो के दौर मे ना पुछो कभी हलात इसकी
खामोशीओ मे भी ये साफ नज़र आती है
कभी मेहफिल तो कभी तन्हाई मे चुप के
कभी चमन तो कभी बाघो मे रुक के
जब कभी अपनो की याद सताती है
मोती बन के पल भर मे बिखर जाती है
उम्र का कोई तालुक नही दरमियान इस के
कभी मौका तो कभी दस्तूर ये निभाती है
बगैर इसके तो ज़िन्दगी भी अधुरी है शायद
कभी अपने तो कभी गैरो का एहसास दिलाती है
खुश्क आंखो मे कई बार झलक जाती है
खुशी मिलते ही आंखो से टपक जाती


Woh Zindagi hi kya jisme Mohabbat nahi,
Woh Mohabbat hi kya jisme Yaadein nahi,
Woh Yaadein kya jisme Tum nahi,
Aur woh Tum hi kya jiske saath Hum nahi.

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